मेंढक की शादी, पहुंचे 1000 बाराती

रायगढ़। छत्तीसगढ़ के जनपद रायगढ़ में मूसलाधार बारिश की कामना के लिए अनोखी शादी कराई गई। यह शादी अब चर्चाओं में आ गई है। शादी के लिए किसी इंसानी युगल की बजाए मेंढक-मेंढकी को चुना गया। खास बात यह है कि वैवाहिक समारोह में वर-वधु पक्ष की तरफ से मेहमानों की अच्छी-खासी भीड़ भी जुटी। पंडित ने बकायदा हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार शादी कार्यक्रम संपन्न कराया। ढोल की थाप पर ग्रामीण भी जमकर थिरके।

जनपद रायगढ़ के लैलूंगा ब्लॉक के बेस्कीमुडा गांव में यह अनोखा विवाह कराया गया। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राचीन मान्यता है कि यदि बारिश न हो तो मेंढक-मेंढकी की शादी करानी चाहिए। इससे इंद्रदेव प्रसन्न होकर मूसलाधार बारिश करते हैं। इस मान्यता पर भरोसा कर बेस्कीमुडा गांव के ग्रामीणों ने इस शादी के लिए जमकर तैयारियां की थीं। हिंदू रीति-रिवाज के अनुरूप विवाह पूर्ण कराने को योजना बनाई गई। बाद में मेंढक (नर) और मेंढकी (मादा) की रीति-रिवाज से शादी करा दी गई।

बेहद धूमधाम के साथ शादी का कार्यक्रम कराया गया। वैवाहिक कार्यक्रम में आमंत्रण के लिए कार्ड भी छपवाए गए थे। इस समारोह में शिरकत करने गए भाजयुमो नेता कृष्णा जायसवाल के मुताबिक दूल्हे मेंढक पक्ष से सोनाजोरी गांव के ग्रामीण बाराती बनकर गाजे-बाजे के साथ नाचते-गाते बेस्कीमुडा में आयोजित शादी के मंडप में पहुंचे। वहां दुल्हन पक्ष मेंढकी के गांव बेस्कीमुडा के ग्रामीणों ने दूल्हा पक्ष के आए बारातियों का जोरदार स्वागत किया। दूल्हा-दुल्हन के मंडप पर पहुंचने के बाद पंडित ने मंत्रोच्चार से विवाह की सभी रस्मों को पूर्ण कराया।

अच्छी दावत की व्यवस्था भी की गई थी। एक हजार से अधिक ग्रामीण इस कार्यक्रम में शामिल हुए। प्राचीन मान्यता के तहत बारिश अच्छी न होने पर इस तरीके से मेंढक एवं मेंढकी की शादी की रस्म पूरी कराई जाती है। इसके बाद अच्छी बारिश की संभावना की जाती है। बहरहाल यह वैवाहिक कार्यक्रम समूचे क्षेत्र में चर्चाओं का विषय बन गया है।