बदलापुर डीपी यादव बनाम मुलायम परिवार, DP Yadav का ऐलान साजिशकर्ताओं को दूंगा करारा जवाब

DP Yadav को उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा बाइज्जत बरी किये जाने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति को लेकर नई चर्चाएं गर्मा गई है। डीपी ने सक्रिय राजनीति में आने का ऐलान करते हुए साजिशकर्ताओं को करारा जवाब देने की बात कही है। डीपी यादव का यह बयान समाजवादी पार्टी ( Samajwadi Party ) की टेंशन बढ़ाने वाली बात है। महेंद्र भाटी मर्डर केस में हाईकोर्ट के फैसले ने डीपी यादव और उनके समर्थकों को काफी सुकून पहुंचाया है और उनके हौसले बुलंद हैं। डीपी यादव ( DP Yadav ) का कहना है कि एक राजनैतिक साजिश के तहत उनका राजनैतिक कैरियर बर्बाद करने के लिए साजिशें की गई। अब वह उन साजिशों का बदला लेंगे। राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि डीपी यादव ( DP Yadav ) निश्चित तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 40 से 50 सीटों पर सपा का खेल बिगाड़ सकते हैं। डीपी यादव ( DP Yadav ) कहते हैं कि उनके नाम के साथ बाहुबली शब्द राजनैतिक कारणों से ही जोड़ा गया। लेकिन यह सच्चाई है कि उनकी की गिनती उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेताओं में ही होती रही है। वह कभी पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) के करीबी रहे तो कभी सपा संरक्षक मुलायम सिंह ( Mulayam Singh Yadav ) के खासम खास बने। एक समय ऐसा भी आया जब वह मुलायम सिंह यादव ( Mulayam Singh Yadav ) के धुर विरोधी नजर आए। अब एक बार फिर से वह राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की तैयारी में हैं। जल्द ही वह बड़ा धमाका कर सकते हैं। इन्हीं मुद्दों को लेकर उदय भूमि के ब्यूरो चीफ विजय मिश्रा ने पूर्व सांसद डीपी यादव से विस्तृत बातचीत की। बातचीत के दौरान विभिन्न पहलुओं पर डीपी यादव ने विस्तार से अपना पक्ष रखा। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश।DP Yadav Interverw Photo

सवाल: महेंद्र भाटी केस में फैसले को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे ?
जवाब: देखिए जहां तक ताल्लुक महेंद्र भाटी केस ( Mahendra Bhati Murder Case ) का है तो मैं आपको बता दूं इस केस में मैं किसी भी तरह से दोषी नहीं था। कुल मिलाकर राजनीतिक कारणों से मेरे खिलाफ जबरन चार्जशीट लगवाई गई और मेरे खिलाफ राजनैतिक साजिश रची गई। महेंद्र सिंह भाटी हमसे सीनियर थे। वह मेरे भाई श्याम सिंह के अच्छे दोस्त भी थे। वह राजनीति में मेरे से पहले आ गए थे। पहले दादरी से विधायक बन गए थे। मेरे भी उनके साथ अच्छे रिश्ते थे। महेंद्र भाटी हत्याकांड ( Mahendra Bhati Murder Case ) की जांच पहले तो सीबीआई को दे दी गई। बाद में सीबीआई के एक बड़े अधिकारी ने मेरे खिलाफ चार्जशीट लगा दी। हाईकोर्ट के फैसले ने मेरी बातों को सही साबित किया है।

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सवाल: फिर महेंद्र भाटी मर्डर केस ( Mahendra Bhati Murder Case ) से आपका कनेक्शन कैसे जुड़ा ?
जवाब: इसका जबाव वही लोग अच्छे से दे सकते हैं जिन्होंने साजिश के तहत मेरा नाम जोड़ा। मेरी और महेंद्र सिंह भाटी की जाति एक नहीं है। उनके साथ किसी भी तरह का कोई विवाद नहीं था। ऐसा कोई लॉजिक नहीं कि कहा जाए कि मेरे और उनके बीच किसी प्रकार के मतभेद थे। ना तो हमारा विधान सभा क्षेत्र एक था और न ही जिला। मैं बुलंदशहर में रहा और भाटी जी दादरी में रहे। लोग जानते हैं किसने मेरे खिलाफ साजिश की।DP Yadav Badlapur Mulayam Singh Yadav

सवाल: किसने आपके खिलाफ साजिश की और उनका उद्देश्य क्या था ?
जवाब: सभी लोग जानते हैं कि वह साजिश किसने रची थी। जो साजिशकर्ता हैं, वह अभी भी लोगों के सामने हैं। समाजवादी पार्टी ( Samajwadi Party ) से बुनियादी तौर पर मेरे अलग हटने के बाद बहुत गहरे मतभेद इसलिए हो गए क्योंकि मैं अटल बिहारी वाजपेई के कहने पर सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ( Mulayam Singh Yadav ) के खिलाफ चुनाव लड़ा था। राजनीति में यह कोई गलती तो है नहीं। अब कोई व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर द्वेष भावना अपना ले तो मैं क्या कर सकता हूं? मैंने यदि चुनाव लड़ा और यदि कोई उससे व्यक्तिगत रूप से मेरे खिलाफ रंजिश रखे तो यह अच्छी बात तो है नहीं। लोग मुझे पसंद करते थे। मेरे खिलाफ साजिश की यह भी एक वजह रही।mulayam Singh Yadav

सवाल: तो क्या आपकी वजह से मुलायम सिंह खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे थे ?
जवाब: देखिए यह तो सच है कि उस समय जब मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ( Mulayam Singh Yadav ) की मीटिंग होती थी तो डीपी यादव ( DP Yadav ) के पक्ष में नारे बहुत लगते थे। लोगों के बीच में लोकप्रियता भी बढ़ गई थी, लोग पसंद करते थे। यहां तक होता था कि पार्टी के लोगों को जब मुलायम सिंह के प्रोग्राम नहीं मिलते थे तो वह कहते थे कि डीपी यादव का प्रोग्राम लगा दो, तो कहीं ना कहीं हो सकता यह बात मुलायम सिंह के मन में खटकती रही हो, उन्हें लगता होगा कि डीपी यादव ( DP Yadav ) का कद क्यूं बढ़ रहा है। दूसरी बात पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ( Ex Prime Minister Chandrashekhar ) और शरद पवार ( Sharad Pawar ) सहित कई बड़े नेताओं के साथ मेरे करीबी रिश्ते रहे। यह बात भी मुलायम सिंह को बुरा लगता था। समाजवादी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष ने मुलायम सिंह ( Mulayam Singh ) के कान में कह दिया कि डीपी यादव मुख्यमंत्री बनना चाहता हैं। जब मुझे यह बात पता चली तो मैंने मुलायम सिंह जी के समक्ष स्पष्टीकरण भी दिया। इससे ज्यादा मैं क्या कर सकता था।

सवाल: तो क्या 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में मुलायम परिवार को DP Yadav चुनौती देंगे ?
जवाब: देखिए मेरी व्यक्तिगत तौर पर किसी से कोई रंजिश नहीं है। मैं निश्चित रूप से अपनी बात तो कहूंगा। मेरे साथ जो नाइंसाफी हुई, गैर बराबरी और अधिनायकवाद हुआ है, उसके खिलाफ तो आवाज उठाऊंगा ही। अब वह चाहे सैफई परिवार को प्रभावित करे या किसी पार्टी को या फिर किसी व्यक्ति विशेष को। यह तो मैं कुछ कहना नहीं चाहूंगा, मगर जिन लोगों ने जान-बूझकर मेरे कैरियर पर कुठाराघात किया और मेरे खिलाफ इतनी बड़ी नाइंसाफी की है, उन्हें जवाब अवश्य दूंगा। मेरे समर्थक और मेरे चाहने वालों में मेरे खिलाफ हुए साजिश को लेकर गुस्सा है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के 40 से 45 विधानसभा सीटों पर मेरी पार्टी का असर होगा। इन सीटों पर 5 हजार से लेकर 50 हजार के बीच मेरे लॉयल समर्थक हैं। मेरे समर्थक चाहते हैं कि मैं जनता के बीच में रहूं।

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सवाल: यानी आप यही कहना चाह रहे हैं कि मुलायम सिंह ने पॉलिटिकली डैमेज करने के लिए आपके खिलाफ साजिश की और प्रोपेगेंडा वार चलाया ?
जवाब: बिल्कुल, गहरी साजिश थी और राजनीतिक साजिश के तहत ही एक एजेंडा के तहत मुझे हर तरीके से डैमेज किया गया और मुझे उन चीजों में भी फंसाया गया, जिन चीजों से मेरा दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था। मेरे खिलाफ एक प्रोपेगेंडा चलाया गया। मुझे बदनाम किया गया। मेरी अपराधिक छवि को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। मु­ो एक बाहुबली के रूप में स्थापित किया गया। मुझे हर तरीके से नुकसान पहुंचाया गया। मेरे अच्छे कामों पर चर्चा तक नहीं हुई और हर गलत कामों में मेरा नाम घसीटा जाने लगा।DP Yadav

सवाल: तो क्या बाहुबली के रूप में आपको प्रचारित कर राजनीतिक रूप से मात देने की कोशिश हुई ?
जवाब: देखिए मैं एक सभ्य घराने से ताल्लुक रखता हूं। मेरे पिताजी स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे हैं। वहीं से हमें शिक्षा-दीक्षा मिली। हम कभी भी उस तरह के लोग हो ही नहीं सकते। मैं तो कविता और लेख लिखने वाला आदमी हूं। मेरी 5 किताबें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं और चंद्रशेखर जी (Ex Prime Minister Chandrashekhar ) ने प्रधानमंत्री ( Prime Minister ) रहते हुए मेरी तीन किताबों का विमोचन किया था। कोई प्रधानमंत्री ( Prime Minister ) किसी अपराधी या किसी बाहुबली ( Bahubali ) की किताब का विमोचन नहीं करता है। मुझे बदनाम किया गया। बाहुबली ( Bahubali ) कहकर मेरा दुष्प्रचार किया गया। मैं एक ऐसे पिता का पुत्र हूं, जिन्होंने पटेल साहब के लगान आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई और 21 दिनों तक जेल में रहे। मेरे पिताजी फ्रीडम फाइटर ( Freedom Fighter ) रहे हैं और उन्होंने आजादी के आंदोलन में जेल की सजा काटी थी। 21 दिनों तक वह बुलंदशहर जेल में रहे थे।

सवाल: 2022 विधान सभा चुनाव में डीपी यादव किसके साथ हैं? अकेले चुनाव लड़ेंगे या गठबंधन करेंगे ?
जवाब: यह वक्त की गोद में बैठा सवाल है। वक्त ही इसका सही जवाब देगा। अभी तो काफी जल्दी है। अभी-अभी तो मैं दिमागी तौर पर फ्री हुआ हूं। मीडिया में कई मेरे जानकार हैं और वरिष्ठ पदों पर हैं लेकिन पिछले 5 साल में मैंने प्रेस मीडिया में कुछ नहीं बोला। आप पहले ऐसे पत्रकार हैं जिसके साथ में इतने सालों बाद अपनी बातें शेयर कर रहा हूं। पहले भले ही मैं चुप रहा लेकिन अब मैं अपनी बातों को रखूंगा। अपने खिलाफ हुई नाइंसाफी के खिलाफ राजफाश जरूर करूंगा। मैं जनता का आदमी हूं, जनता से मिलूंगा और जनता के बीच रहूंगा। नागरिक अब मुझसे आकर मिल रहे हैं। मुझसे पूरी तरह से सक्रिय राजनीति में आने का अनुरोध भी कर रहे हैं, जो मेरे समर्थक हैं, मुझे पसंद करते हैं, मेरे चाहने वाले हैं, जो मुझमें अपने नेता की छवि देखते हैं, मैं उन सब के साथ जल्द ही मीटिंग भी करूंगा, जनसभाएं भी करूंगा और जिस तरह से मेरे खिलाफ राजनीतिक साजिश कर मुझे नुकसान पहुंचाया गया, मैं उसका जवाब तो जरूर मांगूंगा।DP Yadav Interview News

सवाल: मेरा सवाल है किस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे ?
जवाब: मैं सपा में तो कतई नहीं जाऊंगा। तकरीबन तकरीबन सभी पार्टियों के लोग मेरे टच में हैं। मैं ईश्वर वादी हूं और भगवान में पक्का विश्वास रखता हूं। अपने स्वाभिमान के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता हूं। मेरे अंदर वह आत्मा ईश्वर ने दी है जो कभी कमजोर पड़ती नहीं है, क्योंकि मेरी बुनियाद सच्चाई पर आधारित है। समय आने पर पता चल जाएगा कि मैं किसके साथ मिलकर चुनाव लडूंगा। मेरी पहली पब्लिक मीटिंग नोएडा में होगी।