बजट 2022 : एमएसएमई सेक्टर मायूस, हल्की उम्मीद

बजट ऊंट के मुंह में जीरा समान है। आम बजट लोक-लुभावन है, चुनावी बजट है। एमएसएमई सेक्टर को उम्मीद के मुताबिक नहीं मिला है। लेकिन यदि हम बजट का आंकलन करें तो यह देश को बनाने वाला बजट है। रक्षा क्षेत्र के लिए बजट में किए गए प्रावधान से छोटे एवं मध्यम उद्यमियों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। चूंकि रक्षा क्षेत्र के लिए देश के भीतर से सामान की खरीदारी होने से मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलने के साथ स्वदेशी उद्यमियों को भी फायदा होगा। रॉ-मैटीरियल और लोन की समस्या जस की तस, नहीं मिला रोड मैप। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लाभों के लिए कुछ घोषणाओं की उम्मीद थी। लेकिन, वित्त मंत्री के बजट भाषण में MSMEs के लिए ज्यादा कुछ नहीं रहा। घोषणाओं को धरातल पर उतारना बाकी है क्योंकि उद्योगों को वित्त की उपलब्धता अभी भी बहुत कठिन है और बैंक अपने रूढ़िवादी रवैये के साथ जारी हैं।

गाजियाबाद। वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण ने मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट का ऐलान कर दिया। वित्त मंत्री का पिटारा खुलने के बाद सभी वर्ग की तरफ से आम बजट पर अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही है। सूक्ष्म, लघु एवं लघु मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर भी काफी आस लगाए बैठा था। कारण यह था कि कोरोना काल में एमएसएमई सेक्टर मृतप्राय: स्थिति में पहुंच चुका है। उद्योग-धंधों को सुचारू रखकर करोड़ों रोजगार को जिंदा बनाए रखने की चुनौती काफी बड़ी है। आम बजट पर उद्यमियों की प्रतिक्रिया से नहीं लगता कि एमएसएमई संतुष्ट हैं। उद्यमियों ने कहा कि आम बजट लोक-लुभावन नहीं है। यह देश को बनाने वाला बजट है, मगर एमएसएमई सेक्टर के लिहाज से ऊंट के मुंह में जीरा समान है।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीरज सिंघल ने कहा कि आम बजट लोक-लुभावन है, चुनावी बजट है। एमएसएमई सेक्टर को उम्मीद के मुताबिक नहीं मिला है। लेकिन यदि हम बजट का आंकलन करें तो यह देश को बनाने वाला बजट है। रक्षा क्षेत्र के लिए बजट में किए गए प्रावधान से छोटे एवं मध्यम उद्यमियों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। चूंकि रक्षा क्षेत्र के लिए देश के भीतर से सामान की खरीदारी होने से मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलने के साथ स्वदेशी उद्यमियों को भी फायदा होगा।

आईआईए के राष्ट्रीय सचिव प्रदीप गुप्ता ने कहा कि आम बजट ने एमएसएमई सेक्टर को निराश किया है। जो उम्मीदें थीं, वह पूरी होती दिखाई नहीं दे रही हैं। उन्होंने कहा कि रॉ मैटीरियल की बढ़ती कीमतों ने उद्यमियों को सबसे ज्यादा परेशान कर रखा है। कोरोना काल में यह सेक्टर मृतप्राय: हालत में पहुंच चुका है। उद्यमियों को कोई भी कैमिकल दो से ढाई गुना ज्यादा दर पर खरीदना पड़ रहा है। रॉ मैटीरियल की कॉस्ट में कोई कमी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि यह चुनावी बजट है। एमएसएमई सेक्टर की लोन से संबंधित समस्या को भी दूर नहीं किया गया है। लोन समस्या को निपटाने के नाम पर झुनझुना थमा दिया गया है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई को सुविधा मिलने की दृष्टि से बात की जाए तो यह बजट ऊंट के मुंह में जीरा समान है।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सेंट्रल एग्जयूकेटिव मेंबर जेपी कौशिक ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लाभों के लिए कुछ घोषणाओं की उम्मीद थी। लेकिन, वित्त मंत्री के बजट भाषण में MSMEs के लिए ज्यादा कुछ नहीं रहा। घोषणाओं को धरातल पर उतारना बाकी है क्योंकि उद्योगों को वित्त की उपलब्धता अभी भी बहुत कठिन है और बैंक अपने रूढ़िवादी रवैये के साथ जारी हैं। हालांकि, यह एक संतोषजनक कदम है कि आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLG) को मार्च, 2023 तक बढ़ाया जाएगा और गारंटीकृत कवर को 50,000 करोड़ से बढ़ाकर 5 लाख करोड़ का कवर किया जाएगा।