वैद्यनाथधाम (देवघर) के सिद्धपीठ बाबा के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री तरुण मिश्र ने किए दर्शन

-सम्पूर्ण विप्र समाज के कल्याण के लिए मंदिर में की पूजा-अर्चना
-मन्दिर के मुख्य प्रबंधक रमेश परिहस्त ने अंग वस्त्र भेंट कर किया सम्मान्नित

झारखण्ड। वैद्यनाथधाम (देवघर) के सिद्धपीठ बाबा मन्दिर में शुक्रवार को अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री तरुण मिश्र ने सम्पूर्ण विप्र समाज के कल्याण के लिए पूजा-अर्चना की। पूजा के उपरांत मन्दिर के मुख्य प्रबंधक रमेश परिहस्त ने पारम्परिक रूप से तरुण मिश्र का सम्मान किया। इस दौरान उन्होंने ब्राह्मण समाज के उत्थान को लेकर किए जा रहे कार्यों की चर्चा की। तरुण मिश्र ने कहा देवघर का बैद्यनाथ धाम द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक है। इस द्वादश ज्योतिर्लिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह विश्व का इकलौता शिव मंदिर है, जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं। इसलिए इसे शक्तिपीठ भी कहते हैं। पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि यहां माता सती का ह्रदय कट कर गिरा था इसलिए इसे हृदय पीठ भी कहते हैं। मान्यता है कि बाबा भोले के भक्त जब सावन में बाबा बैजनाथ मंदिर में कांवर लेकर आते हैं तो उन्हें शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैजनाथ के मंदिर को शक्तिपीठ भी कहा जाता है।

सावन के महीने में यहां लाखों श्रद्धालु भगवान भोले शंकर को जल चढऩे के लिए पहुंचते हैं। उन्होंने कहा यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। यहां आने वाले भक्तों को शिव और शक्ति दोनों के आशीर्वाद मिलते हैं। यही कारण है कि इसे मनोकामना लिंग भी कहते हैं। यहां सच्चे मन और श्रद्धा से मांगी गई सभी मनौति पूरी हो जाती है। यह विश्व का इकलौता मंदिर है जहां शिव और शक्ति है एक साथ विराजमान हैं। इसलिए श्रद्धालु जब बाबा धाम आते हैं तो जल का एक पात्र शिवलिंग पर अर्पित करते हैं और दूसरा पार्वती मंदिर में अर्पित करते हैं। श्रद्धालु बताते हैं कि यहां मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। देवघर का बैद्यनाथ धाम हमारे लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यह दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करता है।

मुख्य प्रबंधक रमेश परिहस्त ने बैद्यनाथ धाम की विशेषता बताते हुए कहा कि शिव महापुराण के अनुसार वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना महादेव के परम भक्त महा पराक्रमी राक्षस राज रावण ने की थी। राक्षस राज रावण महादेव को कैलाश पर्वत से लंका ले जाना चाहता था ताकि वह अपना सारा जीवन भगवान की आराधना में बिता सकें। देवघर को देवी देवताओं का घर कहा जाता है यहां हर साल सावन में बहुत बड़ा श्रावणी मेला लगता है और यहां लाखों शिवभक्तों एवं काँवरियों की भीड़ सुल्तानगंज से गंगा जल भर कर 108 किलोमीटर पैदल यात्रा करके भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं। बाबा बैद्यनाथ ज्योर्तिलिंग मंदिर के बगल में एक विशाल तालाब है जिसके आस पास बहुत सारे मंदिर स्थापित हैं।