भाजपा के माननीयों को जनरल नापसंद ?

जनरल वीके सिंह की अध्यक्षता में हुई जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की महत्वपूर्ण बैठक से किनारा करने वाले स्थानीय भाजपा विधायकों और जनप्रतिनिधियों की लिस्ट काफी लंबी है। पूर्व मंत्री एवं गाजियाबाद के विधायक अतुल गर्ग, मेयर आशा शर्मा, राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल, मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी, साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा, लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर, एमएलसी दिनेश गोयल बैठक से दूर रहे। उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री एवं एमएलसी नरेंद्र कश्यप भी बैठक में मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके प्रतिनिधि के रूप में सौरभ जायसवाल मौजूद रहे। यह कोई पहली बैठक या कार्यक्रम नहीं है जिसमें कि स्थानीय भाजपा नेताओं ने जनरल से दूरी बनाई है। धोबी घाट आरओबी शहर का एक बड़ा मुद्दा रहा है। जनरल वीके सिंह के प्रयासोें से आरओबी बना। लेकिन विगत दिनों जब जनरल ने आरओबी का निरीक्षण किया था तब भी उनके साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद नहीं थे। बहरहाल शनिवार की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि गाजियाबाद के दिग्गज भाजपाई जनरल को नहीं पचा पा रहे हैं और जनरल को एक बार फिर इन दिग्गजों से मोर्चा लेना पड़ेगा। ऐसे में राजनीतिक गलियारे में चर्चाएं तेज हो गई है कि गाजियाबाद के माननीय भाजपाईयों को जनरल नापसंद है।
जनरल वीके सिंह की अध्यक्षता में हुई जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक के दौरान माननीय के लिए लगाई गई कुर्सियां खाली रही।
विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
गाजियाबाद। गाजियाबाद के सांसद और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह को क्षेत्र की जनता भले ही खूब पसंद करती हो लेकिन गाजियाबाद के दिग्गज भाजपाइयों को वह नापसंद हैं। गाजियाबाद के माननीयों की जनरल वीके सिंह से पुरानी अदावत है। कई मौकों पर गाजियाबाद के माननीय विधायक यह दर्शा चुके हैं कि जनरल वीके सिंह की मौजूदगी उनको चुभती है। माननीयों की पुरानी अदावत और जनरल को लेकर उपेक्षा का भाव शनिवार को एक बार फिर से उजागर हुआ। कलेक्ट्रेट सभागार में शनिवार को जनरल वीके सिंह की अध्यक्ष में जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की महत्वपूर्ण बैठक हुई। लेकिन जिले के अधिकांश जनप्रतिनिधियों ने इस बैठक से किनारा किया। बैठक में प्रोटोकॉल के हिसाब से कुर्सियां लगी थी और कुर्सियों के सामने माननीयों के नेम प्लेट भी लगे थे लेकिन पूरी बैठक के दौरान यह कुर्सियां खाली रही। यही वजह है कि बैठक से अधिक चर्चा बैठक में जनप्रतिनिधियों की गैर मौजूदगी को लेकर हो रही है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चाएं फिर से तेज हो गई है कि गाजियाबाद के भाजपा नेताओं ने एक बार फिर से जनरल वीके सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और सभी चाहते हैं कि जनरल का गाजियाबाद में दखल कम हो। बहरहाल जिन माननीयों ने जनरल वीके सिंह से किनारा किया है उनके राजनैतिक कद और जनरल वीके सिंह के राजनैतिक कद में भारी अंतर है। जनरल ना सिर्फ गाजियाबाद के लोगों के बीच लोकप्रिय हैं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुड बुक में हैं। ऐसे में जनरल के खिलाफ माननीयों की मोर्चाबंदी कितनी कारगर होगी यह तो भविष्य ही बताएगा लेकिन, हालिया घटना ने एक बार फिर से पुरानी यादों को ताजा कर दिया है।
जनरल वीके सिंह राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं। वह ना सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतराष्ट्रीय मंचों पर भी बड़े और गंभीर मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं और उनकी बातों को गंभीरता से लिया जाता है। लेकिन गाजियाबाद के भाजपा नेता जनरल को गंभीरता से नहीं लेना चाहते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब वीके सिंह को भाजपा ने गाजियाबाद से प्रत्याशी बनाया था तब भी उनका विरोध हुआ था। 2014 के चुनाव में जनरल को 7.58 लाख वोट मिले थे और वह रिकार्ड 5 लाख 67 हजार मतों से विजयी हुए। इस चुनाव में मतों के लिहाज से यह देश में दूसरी सबसे बड़ी जीत रही थी।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले फिर से जनरल के खिलाफ स्थानीय नेताओं ने मोर्चा खोला। विरोध का स्तर इतना बढ़ गया कि जनरल की मौजूदगी में मंच से ही उनके खिलाफ बयानवाजी होने लगी। उस दौरान तो चर्चाएं यहां तक चलने लगी कि जनरल इस बार गाजियाबाद से चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन 2019 के चुनाव में भी स्थानीय दिग्गज भाजपा नेताओं के विरोध के वावजूद जनरल वीके सिंह ने लगभग साढ़े 9 लाख वोट हासिल किया और उनके जीत का अंतर 5 लाख वोटों से अधिक रहा। चुनाव खत्म होने के बाद जनरल ने सभी विरोधियों को मनाने की कोशिश की। डिनर डिप्लोमेसी के तहत गाजियाबाद के सभी प्रमुख भाजपा नेताओं और जनप्रतिनिधियों के साथ लंच डिनर के माध्यम से पुरानी कड़वी यादों को भुलाने की कोशिश की। लेकिन एक बार फिर से लग रहा है कि जनरल के खिलाफ स्थानीय नेताओं ने एकजुट होकर विरोध का मन बनाया है।
शनिवार को जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण थी। जनरल वीके सिंह केंद्र सरकार में मंत्री हैं। ऐसे में बैठक की महत्ता के साथ-साथ प्रोटोकॉल के तहत भी सभी स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बैठक में मौजूद रहना चाहिए था। लेकिन बैठक में सिर्फ मोदीनगर के विधायक मंजू, जिला पंचायत अध्यक्ष ममता त्यागी और एमएलसी श्रीचंद्र शर्मा ही मौजूद रहे। बैठक से किनारा करने वाले भाजपा नेताओं की लिस्ट देखें तो यह काफी लंबी है। पूर्व मंत्री एवं गाजियाबाद के विधायक अतुल गर्ग, मेयर आशा शर्मा, राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल, मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी, साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा, लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर, एमएलसी दिनेश गोयल बैठक से दूर रहे। उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री एवं एमएलसी नरेंद्र कश्यप भी बैठक में मौजूद नहीं थे लेकिन उनके प्रतिनिधि के रूप में सौरभ जायसवाल मौजूद रहे।
जनरल वीके सिंह की अध्यक्षता में हुई जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक के दौरान माननीय के लिए लगाई गई कुर्सियां खाली रही।
यह कोई पहली बैठक या कार्यक्रम नहीं है जिसमें कि स्थानीय भाजपा नेताओं ने जनरल से दूरी बनाई है। धोबी घाट आरओबी शहर का एक बड़ा मुद्दा रहा है। जनरल वीके सिंह के प्रयासोें से आरओबी बना। लेकिन विगत दिनों जब जनरल ने आरओबी का निरीक्षण किया था तब भी उनके साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद नहीं थे। बहरहाल शनिवार की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि गाजियाबाद के दिग्गज भाजपाई जनरल को नहीं पचा पा रहे हैं और जनरल को एक बार फिर इन दिग्गजों से मोर्चा लेना पड़ेगा।