गाजियाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर ने कहा शहर के भविष्य की जरूरतों को लेकर अभी से करेंगे प्लानिंग

– म्युनिसिपल कमिश्नर महेंद्र सिंह तंवर ने कहा गाजियाबाद सदैव आबाद के मिशन को करेंगे साकार – स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की तैयारियां शुरू, सिर्फ रैंकिंग ही नहीं धरातल पर भी बदलाव की होगी कवायद
– नगर निगम की आमदनी बढ़ाने के साथ बड़े प्रोजेक्ट के लिए नगर निगम जारी करेगा बांड
– पुराने ढ़र्रे को छोड़कर कॉरपोरेट शैली की तरफ बढ़ रहा है गाजियाबाद नगर निगम
– गंदगी नहीं फैलाना भी सफाई करने के बराबर है, शहरवासियों को होना पड़ेगा जागरूक
– निगम मुख्यालय में हाईटेक कंट्रोल रूम शुरू, ई-ऑफिस की प्लानिंग को लागू करने की योजना पर काम तेज

दिल्ली से सटा गाजियाबाद प्रमुख औद्योगिक शहर होने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश का प्रवेश द्वार भी है। यानि गाजियाबाद उत्तर प्रदेश का आईना है। दिल्ली-एनसीआर के अन्य शहरों ने विकास का जो मुकाम हासिल किया है, वह अभी तक गाजियाबाद को नसीब नहीं हो सका है। ऐसा नहीं है कि गाजियाबाद में विकास नहीं हुआ है, लेकिन बात जब तुलना की होती है तो गाजियाबाद पिछड़ जाता है। पिछले तीन-चार साल में गाजियाबाद में नगर निगम के कामकाज को लेकर काफी बदलाव देखने को मिला है। स्वच्छता सर्वेक्षण में गाजियाबाद ने प्रदेश को गौरवान्वित भी किया है, लेकिन कूड़ा निस्तारण की समस्या अभी भी गंभीर है। शहर में एक भी डंपिंग ग्राउंड नहीं है। नगर निगम की आमदनी के सीमित संसाधन हैं। कई समस्याएं हैं। पिछले दिनों लोगों ने शहर में जलभराव की गंभीर समस्या को देखा है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 शुरू होने वाला है। 2015 बैच के आईएएस अधिकारी महेंद्र सिंह तंवर को गाजियाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर का चार्ज संभाले दो महीने हुए हैं। ऐसे में गाजियाबाद शहर के विकास को लेकर उनकी क्या योजनाएं हैं ? नगर निगम की वर्तमान और भविष्य की क्या चुनौतियां हैं ? शहरवासियों की समस्याओं का किस तरह से निदान होगा ? इन सभी मुद्दों को लेकर उदय भूमि के ब्यूरो चीफ विजय मिश्र ने म्युनिसिपल कमिश्नर महेंद्र सिंह तंवर के साथ विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश।

प्रश्न: गाजियाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर के रूप में आप क्या चुनौती देख रहे हैं?
उत्तर: देखिए चुनौतियां दोनों तरह की हैं, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म। मैं एक ऐसा गाजियाबाद इमेजिन करता हूं जो एक समय के बाद बेहद खूबसूरत हो, अच्छा हो। जब कोई हमारे शहर में आए या शहर से गुजरे तो वह अच्छा फील करे। सदैव आबाद गाजियाबाद को हमें साकार करना है। गाजियाबाद एक डायनेमिक और वाइब्रेंट सिटी है। डायनेमिक सिटी से मेरा तात्पर्य है कि वह सिटी जो लगातार बढ़ रहा है। गाजियाबाद में पापुलेशन ग्रोथ काफी है। ऐसे में भविष्य के लिए गाजियाबाद को अभी से तैयारी शुरू करनी होगी। हमें उन सभी चीजों का ध्यान रखना है जिन पर शहर की आबादी बढ़ने पर असर पड़ेगा। हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर पर लोड बढ़ेगा। 2011 की जनगणना के अनुसार गाजियाबाद की आबादी 16 लाख थी, जो कि अब बढ़कर लगभग 25 लाख के करीब है। यानि पिछले 9 साल में शहर में 8 से 9 लाख लोग बढ़े। आगे आबादी और बढ़ेगी। हमारी चुनौती यही है कि वर्तमान की जरूरतों को पूरा करते हुए भविष्य के लिए शहर को कैसे तैयार करें।

यह भी पढ़ें : वाइब्रेंट और डायनामिक सिटी है गाजियाबाद : म्युनिसिपल कमिश्नरप्रश्न: नगर निगम मेंटेनेंस इकाई है और आमदनी के सीमित संसाधन हैं। ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए फंड कहां से लाएंगे?
उत्तर: मैं थोड़ा सा इसको क्लेरिफाई कर दूं। जब मैं गाजियाबाद नगर निगम के म्युनिसिपल कमिश्नर के रूप में इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करता हूं तो मैं मेट्रो, फ्लाईओवर, बिल्डिंग की बात नहीं करता हूं। मैं अपने कार्यक्षेत्र के अधीन आने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करता हूं। नगर निगम के इंफ्रास्ट्रक्चर से मेरा मतलब यह है कि मेरे पास सफाई कर्मचारी कैसे हैं। नाले कैसे बनाये गये हैं, पेयजल आपूर्ति को लेकर क्या हमारी व्यवस्था है। हमारा वाटर स्टोरेज, डिमांड और सप्लाई चेन की क्या स्थिति है। नगर निगम के इंफ्रास्ट्रक्चर का मतलब मेंटेनेंस इकाई के इंफ्रास्ट्रक्चर से है। नगर निगम सर्विस डिलीवरी एजेंसी है। जहां तक फंड की बात है तो हम नगर निगम की आमदनी बढ़ाएंगे और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मार्केट से फंड जुटाएंगे। इस पर काम किया जा रहा है।

प्रश्न: आमदनी कैसे बढ़ाएंगे और मार्केट से किस तरह से फंड जुटाएंगे?
उत्तर: नगर निगम की आमदनी का मुख्य सोर्स टैक्स है। इस पर मंथन चल रहा है कि किस तरह से टैक्स वसूली को बढ़ाया जाये। हम आमदनी के नये सोर्स डेवलप करने को लेकर भी प्लान कर रहे हैं। मार्केट से फंड जुटाने को लेकर होमवर्क करना शुरू कर दिया गया है। वाटर सप्लाई और सीवरेज सिस्टम को दुरूस्त करने के लिए म्युनिसिपल बांड जारी करने को लेकर काम चल रहा है। जब तक हम आमदनी बढ़ाने और फंड जुटाने को लेकर काम नहीं करेंगे तब तक इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप नहीं कर पाएंगे। जब तक फंड नहीं होगा तब तक हमारा कोई विजन सफल नहीं होगा। म्युनिसिपल बांड जारी कर फंड जुटाने की योजन पर काम चल रहा है।

प्रश्न: हम इस दिशा में कहां पर हैं, क्योंकि बांड जारी करने की प्लानिंग तो पहले भी हुई थी?
उत्तर: नगर निगम का चार्ज लेने के बाद से ही मैंने इसके लिए प्रयास शुरू कर दिया है। पेयजल आपूर्ति योजना को लेकर बांड जारी करने को लेकर मंथन चल रहा है। पूर्व में प्रयास हुए लेकिन कोई कंक्रीट रिजल्ट नहीं आया। मैं इसे नए सिरे से देख रहा हूं और हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अहमदाबाद सहित कई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने बांड जारी किया है। हम सभी जानकारियां जुटा रहे हैं।

यह भी पढ़ें : आईएएस अधिकारी पहले बेसिक्स को करूंगा ठीक, भ्रष्टाचार को लेकर रहेगा जीरो टोलरेंसप्रश्न: स्वच्छता सर्वेक्षण आने वाला है, लेकिन क्या हम 2021 के लिए तैयार हैं?
उत्तर: आने वाला नहीं है। आ गया है। हमने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। बैठकें शुरू हो गई हैं और स्वच्छता को लेकर समीक्षा की जा रही है।

प्रश्न: स्वच्छता सर्वेक्षण में किस नंबर के लिए हमारी तैयारी होगी?
उत्तर- देखिए मेरा मानना है कि क्लास का हर एक बच्चा टॉपर बनना चाहता है, लेकिन टॉपर आना अपने हाथ में नहीं होता। मेरा काम है अपना शत-प्रतिशत देना और टॉपर बनने के लिए पूरा प्रयास करना। इसके साथ ही मेरा एक और लक्ष्य है कि शहरवासियों के अंदर टॉपर बनने की भावना लाना। मतलब शहरवासियों को स्वच्छता बनाए रखने के लिए स्वत: जाग्रत बनना। जब तक शहर के रेजीडेंट सहयोग नहीं करेंगे तब तक लक्ष्य हासिल नहीं होगा। मैं शहरवासियों से अपील करूंगा कि हर व्यक्ति जो गाजियाबाद में रहता है, वह चाहे गाजियाबाद का स्थायी निवासी है या फिर नौकरी करने के लिए आया है। वह यह समझो कि गाजियाबाद मेरा है। मैं बार-बार कहता हूं सिर्फ साफ करना ही सफाई नहीं होता बल्कि गंदा ना करना भी सफाई करने के बराबर होता है। हमें लगातार विजिलेंट होना पड़ेगा। शहर के एक नागरिक के रूप में हमें लोगों को गंदगी फैलाने पर टोकना भी पड़ेगा और उन्हें रोकना भी पड़ेगा। लोगों को कहना पड़ेगा कि भाई यह शहर मेरा है, तुम इसे गंदा क्यों कर रहे हो।

प्रश्न: जन चौपाल कार्यक्रम क्या है, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है और आप काफी लोकप्रिय हो रहे हैं?
उत्तर: देखिये। मैं प्रशासनिक अधिकारी हूं। शासन द्वारा हमें जो जिम्मेदारियां दी जाती हैं उसका बेहतर ढंग से जनहित में अनुपालन करना हमारा दायित्व और कर्तव्य है। लोकप्रियता को लेकर नहीं सोचते हैं। मैंने पहले भी कहा था। गाजियाबाद वाइब्रेंट और डायनेमिक सिटी है। यहां क्विक रिस्पांस है। आप अच्छा करेंगे तो लोग आपको बेहतर रिस्पांस देंगे। जहां तक जन चौपाल की बात है तो इसका बेहद सिंपल सा कांसेप्ट है। मैं एक ग्रामीण परिवेश से आता हूं और मैंने देखा है कि कितने भी बड़े मसले हों गांव में जब पांच लोग एक पेड़ के नीचे एक साथ बैठते थे तो वह सुलझ जाते थे। आज हमारे बीच में संवाद खत्म हो गया है। इसी संवाद को शुरू करने और लोगों की शिकायतों का मौके पर निस्तारण करने के लिए जन चौपाल कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसका काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।

प्रश्न: आईएएस अधिकारी होने के बावजूद आप सड़क पर मिट्टी उठाने लगते हैं। खुद नाले की सफाई करने लगते हैं। इसकी क्या जरूरत है?
उत्तर: आपके इस सवाल का मैं पहले ही जवाब दे चुका हूं। मैं गाजियाबाद में रह रहा हूं। इसलिए यह शहर मेरा है। अधिकारी के साथ-साथ नागरिक के रूप में भी मेरी जिम्मेदारियां है। जब तक आप नीचे जाकर काम नहीं करेंगे, तब तक आप अपने लोगों में कॉन्फिडेंस डेवलप नहीं कर पाएंगे। गाजियाबाद को डस्ट फ्री बनाने की योजना शुरू की गई है। यह सच है कि मैं रोज जाकर सड़क से मिट्टी साफ नहीं कर सकता, लेकिन यदि मैं कुछ चीजें सांकेतिक रूप से करता हूं तो उसका सकारात्मक असर मेरी टीम पर पड़ता है।

प्रश्न: पॉलिटिकल ट्रेनिंग सेंटर की जमीन को खाली कराना आपकी उपलब्धि रही है, लेकिन इसको लेकर हो रही राजनीति से कैसे निपटेंगे?
उत्तर: पॉलिटिकल ट्रेनिंग सेंटर सरकार का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा होने के कारण यह पिछले एक साल से रूका हुआ था। इसलिए इस जमीन को प्राथमिकता के आधार पर खाली करवाया गया, लेकिन कार्रवाई के दौरान मानवीय पहलू का ध्यान रखा गया और जिन लोगों के मकान टूटे उन्हें नगर निगम ने वैकल्पिक इंतजाम के तहत रहने के लिए मकान उपलब्ध कराने का भी ऑफर दिया है। जिस हिस्से में पॉलिटिकल ट्रेनिंग सेंटर बनना है, उसे खाली करा लिया गया है, लेकिन जमीन के एक बड़े हिस्से पर अभी भी अवैध कब्जा है, जिसे बाद में योजनाबद्ध तरीके से खाली कराया जाएगा।

यह भी पढ़ें : UP की महिला IAS अधिकारी ने पेश की मिसाल: गोद में नवजात बेटी, हाथों में सरकारी फाइलप्रश्न: कंट्रोल रूम शुरू हो गया और ई-ऑफिस की प्लानिंग है। क्या निगम पुराने ढ़र्रे को छोड़कर कॉरपोरेट शैली की तरफ बढ़ रहा है?
उत्तर: आपको एक गोल टारगेट सेट करना पड़ता है। जितना आप व्यवस्थित और प्रोफेशनल रहेंगे, उतना ही शहर का और संस्थान का फायदा होगा। जितना अव्यवस्थित और अनप्रोफेशनल होंगे उतना शहरवासियों का नुकसान होगा। पूर्व के अधिकारियों ने भी कई अच्छे काम किये हैं। मैं भी अपने तरीके से प्लानिंग के तहत कुछ और बेहतर करने के लिए काम कर रहा हूं। नगर निगम का काम लोगों को तत्काल रिलीफ देना है। कहीं सफाई की समस्या है, कहीं स्ट्रीट लाइट नहीं है, कहीं पानी नहीं आ रहा है। इस तरह की समस्याओं में तत्काल शिकायत दूर हो। इस उद्देश्य के साथ कंट्रोल रूम शुरू किया गया है। अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। ई-ऑफिस को लेकर काम चल रहा है, ताकि गाजियाबाद शहर को पूरी तरह से हाईटेक बनाया जा सके।

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प्रश्न: आखिरी सवाल गाजियाबाद शहर और शहरवासियों को लेकर क्या कहेंगे?
उत्तर: गाजियाबाद शहर लाइव और वाइब्रेंट है। यहां लोग आपको वॉच करते हैं। कुछ भी गलत करते हैं तो भी वह रिकॉग्नाइज करते हैं और आप अच्छा करते हैं तो आपको धन्यवाद देने से भी नहीं चूकते हैं। यहां के लोग रेस्पॉन्सिव हैं। आपको काफी सम्मान देते हैं। शहरवासियों से मेरा अनुरोध है कि आप अपने शहर को क्या दे सकते हैं यह भी सोचिये। सिर्फ यह मत सोचिये कि नगर निगम ने आपके लिए क्या किया या क्या कर रहा है। गाजियाबाद आपका शहर है और यह नगर निगम भी आपका है। हम लोग अधिकारी हैं आएंगे और कुछ समय के बाद चले जाएंगे, लेकिन इसके अल्टीमेट स्टेक होल्डर आप शहरवासी हैं। ऐसे में आप लोगों को यह डिसाइड करना है कि आपको कैसा शहर चाहिए। शहर को गंदा नहीं करना, शहर को साफ करने जैसा है। जहां भी नगर निगम की जिम्मेदारी है हम कहीं भी पीछे नहीं हटेंगे। आपको एक अच्छा शहर देंगे। समस्त शहरवासियों को शुभकामनाएं।