छह फीसदी आबादी भूखंड से वंचित नहीं हुए हैं पुराने किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्तमान में नहीं लिया है कोई निर्णय

सीईओ रितु माहेश्वरी के निर्देश पर किसानों को आबादी भूखंड दिए जाने पर तेजी से काम हो रहा है। सीईओ ने आश्वस्त किया है कि प्राधिकरण किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यह भी बता दें, कि वर्तमान समय में सिर्फ सहमति के आधार पर ही किसानों से जमीन खरीदी जा रही है। कुछ मीडिया ग्रुप इस संबंध में गलत सूचना प्रकाशित कर रहे हैं, जिसका प्राधिकरण खंडन करता है।

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से किसानों को छह फीसदी आबादी भूखंड न दिए जाने की सूचना गलत और भ्रामक है। प्राधिकरण की तरफ से वर्तमान में ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। 2016 में प्राधिकरण बोर्ड से अप्रूव्ड पॉलिसी के हिसाब से किसानों को लाभ दिया जा रहा है। इसलिए प्राधिकरण इससे संबंधित प्रकाशित सूचना का खंडन करता है।

दरअसल, 23 फरवरी 2016 को जारी शासनादेश के क्रम में प्राधिकरण की 104वीं बोर्ड बैठक (09-03-2016)  में निर्णय लिया गया कि किसानों से सीधे क्रय की गई जमीन के एवज में 3500 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से ही मुआवजा दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त कोई अन्य लाभ नहीं देय होगा। इसके बाद 05 अप्रैल 2022 को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की 126वीं बोर्ड बैठक में सीधे क्रय की जाने वाली जमीन के एवज में दिए जाने वाले मुआवजे की दर में 250 रुपये का इजाफा किया गया है। यानी 3750 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा दिए जाने का निर्णय लिया गया। 7 साल पुराने इस फैसले पर ही प्राधिकरण अब भी अमल कर रहा है। 2016 से पहले जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है, वे 6 % आबादी प्लॉट के पात्र हैं।

किसानों को नियमानुसार मुआवजा और आबादी भूखंद अब भी देय है। इन सभी पात्र किसानों के लिए 6 फीसदी आबादी भूखंड नियोजित किए जा रहे हैं। सीईओ रितु माहेश्वरी के निर्देश पर किसानों को आबादी भूखंड दिए जाने पर तेजी से काम हो रहा है। सीईओ ने आश्वस्त किया है कि प्राधिकरण किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यह भी बता दें, कि वर्तमान समय में सिर्फ सहमति के आधार पर ही किसानों से जमीन खरीदी जा रही है। कुछ मीडिया ग्रुप इस संबंध में गलत सूचना प्रकाशित कर रहे हैं, जिसका प्राधिकरण खंडन करता है।