बिहार में पलटू चाचा सरकार तेजस्वी सरदार, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय बोले ईट से ईट बजा देंगे

विजय मिश्र
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। इंडियन एक्सप्रेस, जी न्यूज, दैनिक जागरण, अमर उजाला, नई दुनिया सहित कई प्रमुख समाचार पत्र एवं न्यूज चैनल के साथ काम कर चुके हैं। वर्तमान में उदय भूमि के नेशनल ब्यूरो चीफ हैं।)

बिहार में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ और एनडीए गठबंधन टूट गया। पलटू चाचा के नाम से चर्चित नीतीश कुमार ने एक बार फिर से बीजेपी को गेटआउट कहते हुए लालू के लालटेन को थाम लिया है। नीतीश कुमार को पलटू चाचा का टैग आरजेडी के तेजस्वी ने ही दिया था। उधर इन सभी सरगर्मियों के बीच केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने भी संकेत दे दिये हैं कि भाजपा शांत नहीं रहेगी और आने वाले समय में महागठबंधन की सरकार को हर मोर्चे पर घेरेगी। नित्यानंद राय ने चुनौती दे दी है कि यदि बिहार में विकास रूकेगी तो महागठबंधन की खैर नहीं।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और बीजेपी के बड़े नेता नित्यानंद राय ने एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ फिर से नाता जोडऩे वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को करारा जवाब दिया है। नीतीश पर आक्रामक होते हुए नित्यानंद राय ने की दो टूक शब्दों में कहा कि अगर विकास का काम रोका गया तो ईंट से ईंट बजा देंगे। सड़क से सदन तक बिहार के विकास के लिए संघर्ष करेंगे और जनता के हितों के लिए लड़ेंगे। नित्यानंद राय कम बोलने वाले नेताओं में गिने जाते हैं। ऐसे में उनका यह बयान बिहार में बीजेपी के भविष्य की रणनीति की तरफ इशारा माना जा रहा है।

बिहार में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बीच बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ नित्यानंद राय मंगलवार को दिल्ली से पटना पहुंचे और प्रदेश भाजपा कार्यालय में बीजेपी कोर कमिटी की बैठक में शामिल हुए। बैठक में बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के अलावा रविशंकर प्रसाद, अश्निनी चौबे, शाहनवाज हुसैन, राधा मोहन सिंह, सुशील कुमार मोदी समेत कई नेता शामिल हुए।

फाईल फोटो

पटना पहुंचे नित्यानंद राय ने बीजेपी कोर कमेटी की बैठक से पहले मीडियाकर्मियों से संक्षिप्त बातचीत में कहा कि जो कोई भी नरेंद्र मोदी के विकास की धारा को रोकने का काम करेगा, उसकी ईंट से ईंट बजा देंगे। भाजपा सड़क से सदन तक 365 दिन संघर्ष करेगी। बिहार में बीजेपी को मजबूत करने में लगे में नित्यानंद राय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नित्यानंद राय को कम बोलने और अधिक करने वाले नेताओं में गिना जाता है। वह मीडिया से भी बहुत कम बात करते हैं। ऐसे में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नीतिश और तेजस्वी के बेमेल गठबंधन वाली सरकार को भाजपा से कड़ी चुनौती मिलेगी। भाजपा महागठबंधन के जंगलराज वाली कार्यशैली को भी उठाएगी। सुशील कुमार मोदी को जहां नीतीश का पिछलग्गू बनकर बीजेपी को बिहार में कमजोर करने का श्रेय दिया जाता है वहीं नित्यानंद राय को कार्यकर्ताओं के बीच सक्रिय और फ्रंटफूट पर आक्रामक तरीके से खेलने वाला राजनैतिक खिलाड़ी माना जाता है।

नीतीश सांप है… लालू यादव का पुराना ट्वीट वायरल
पटना। बिहार में एक बार फिर महागठबंधन की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि इस बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का पुराना ट्वीट वायरल हो रहा है। इस ट्वीट में उन्होंने नीतीश कुमार की तुलना सांप से की थी। उन्होंने कहा था कि वह हर दो साल में नई चमड़ी धारण कर लेते हैं।
साल 2017 में आरजेडी से नाता तोडऩे के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। तब 3 अगस्त 2017 को लालू प्रसाद यादव ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया था, ‘नीतीश सांप है जैसे सांप केंचुल छोड़ता है वैसे ही नीतीश भी केंचुल छोड़ता है और हर 2 साल में सांप की तरह नया चमड़ा धारण कर लेता है। किसी को शक?

नीतीश आठवीं बार लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ
आरजेडी और जेडीयू के विधायक दल की अलग-अलग बैठकों के बाद नीतीश कुमार ने पहले इस्तीफा दिया, उसके बाद नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। वह आठवीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि ये गठबंधन क्यों टूटा और दूसरा सवाल यह कि जिस महागठबंधन से वह 2017 में अलग हुए थे उसके साथ यह सरकार कितने दिन की मेहमान। क्या आरजेडी के साथ जिस भ्रष्टाचार और ठेका पट्टा में दखल को लेकर वह अलग हुए थे वह भ्रष्टाचार और दखलंदाजी अब नहीं होगी।

सुशील मोदी के दिल्ली जाने के बाद से नीतीश थे असहज
सबसे पहले बात गठबंधन टूटने की, दरअसल 2020 का चुनाव जीतने के बाद बीजेपी अपना सीएम बनाने के लिए छटपटा रही थी लेकिन उसने नीतीश कुमार को 2025 तक सीएम बनाये रखने का वादा कर दिया था। नीतीश कुमार के सबसे करीबी दोस्त और भाजपा की कमजोर करने के लिए जिम्मेदार सुशील मोदी को जैसे ही बिहार की राजनीति से बेदखल कर दिल्ली शिफ्ट किया गया और नये चेहरे मंत्रिमंडल में लाये गये उससे नीतीश को दिक्कत होने लगी थी। नीतीश कुमार बीजेपी की नहीं चलने दे रहे थे और बीजेपी नीतीश कुमार पर वार करने का कोई मौका नहीं चूक रही थी। इसी बीच महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को आगे कर जिस तरह से उलटफेर किया गया वह चौंकाने वाला था। बीजेपी ने पहले अकाली दल फिर शिवसेना को कहीं का नहीं छोड़ा. बिहार में आरसीपी सिंह पर हाथ रख दिया, यह देखकर नीतीश कुमार के कान खड़े हो गये। उन्होंने आरसीपी सिंह को तीसरी बार राज्यसभा न भेजकर बड़ी चाल चल दी। उसके बाद भी आरसीपी सिंह के बहाने नीतीश ने बीजेपी से पल्ला झाडऩे का सबसे उचित मौका समझा।

अमित शाह से भी नीतीश थे नाराज
नीतीश कुमार सिर्फ बिहार के नेताओं से ही नहीं बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह से भी नाराज थे। उनका मानना था कि बिहार में उन्होंने ही बीजेपी कोटे के मंत्रियों के नाम तय किये और उन्हीं के इशारे पर हमले हो रहे हैं। हालांकि खुद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि आम चुनाव में बिहार से नीतीश कुमार ही चेहरा होंगे लेकिन नीतीश कुमार ने इस पर यकीन नहीं किया। दोनों दलों में गांठ उसी समय पड़ गई थी जब लोजपा के चिराग पासवान अलग होकर चुनाव लड़े, खुद तो वह एक ही सीट जीते लेकिन जेडीयू को 43 पर समेटकर तीसरे नंबर की पार्टी बना दिया। नीतीश मन मसोस कर रह गये, सब कुछ चुनाव के दौरान हुआ इसलिए कुछ करने की स्थिति में नहीं थे लेकिन खार खाये बैठे थे और बाद में जब मंत्रिमंडल में चुन चुनकर बीजेपी ने नीतीश विरोधी मंत्री रखे इससे विश्वास की खाई और चौड़ी हो गई, रणनीति के तहत राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ इसलिए दिया कि भनक न लगे कि वह क्या करने वाले हैं.

सबसे बड़ा सवाल कब तक चलेगी लालटेन वाली सरकार
अब सबसे बड़ा सवाल कि यह सरकार कितने दिन की मेहमान, क्या नीतीश कुमार की सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी। इस पर कुछ भी कहना इसलिए मुश्किल है कि बीजेपी बेशक सत्ता से बाहर हो गई है लेकिन खेल से बाहर नहीं हुई है और वह सरकार के लिए परेशानी खड़ी करने और आपस में लड़ाने का कोई मौका नहीं चूकेगी। ऐसे में कोई नया खेल हो जाए तो आश्चर्य नहीं!