महाराष्ट्र में बचेगी या जाएगी उद्धव सरकार, आया नया सियासी उबाल

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में एमएलसी चुनाव के नतीजे आने के अगले दिन एकाएक सियासी तूफान देखने को मिला है। उद्धव ठाकरे सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मंत्री एकनाथ शिंदे ने महाविकास अघाड़ी सरकार की नींद उड़ा दी है। 12 एमएलए के साथ मंत्री जी अचानक गायब हो गए हैं। शिवसेना के टॉप लीडर निरंतर शिंदे से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, मगर अब तक वह असफल रहे हैं। मंत्री शिंदे ने इस प्रकार का कदम उठाकर अपनी नाराजगी को खुलकर जाहिर कर दिया है। ताजा घटनाक्रम के बाद महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।

शिवसेना ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी ने महाराष्ट्र में सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। भाजपा ने भी शिवसेना पर पलटवार किया है। ऊंट किस करवट बैठेगा, इसे लेकर फिलहाल कोई पुख्ता बात नहीं की जा सकती। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार चल रही है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सरकार के मुखिया हैं। भाजपा से नाता तोड़कर शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से गठजोड़ कर लिया था। इसके बाद से भाजपा और शिवसेना में तनातनी चल रही है। ताजा मामला उद्धव सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे के एकाएक गायब होने का सामने आया है।

सरकार की परेशानी का कारण यह है कि शिंदे अपने साथ शिवसेना के 12 विधायकों को भी ले गए हैं। खबर है कि मंत्री और सभी विधायक गुजरात के सूरत शहर में किसी होटल में ठहरे हुए हैं। सभी के मोबाइल फोन भी स्वीच आॅफ हैं। इसके चलते शिवसेना की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उसे सत्ता हाथ से जाने की चिंता सता रही है। महाराष्ट्र में एमएलसी चुनाव के नतीजे सोमवार को आए थे। एमएलसी चुनाव में 10 में से 5 सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। एमएलसी चुनाव के नतीजे आने के अगले दिन यह सियासी घटनाक्रम सामने आया है।

दरअसल एमएलसी चुनाव से पहले ऐसी चर्चाएं जोरों पर थी कि महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के मध्य रिश्ते अच्छे नहीं हैं। इसके चलते मंत्री शिंदे को यह कदम उठाना पड़ा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हैं कि मंत्री शिंदे सोमवार की शाम से खफा चल रहे हैं। शिंदे और 12 विधायकों से संपर्क न होने पर सोमवार की देर रात सीएम आवास पर विधायकों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में मुबंई और आस-पास के क्षेत्र के विधायकों ने शिरकत की थी। इस समय शिवसेना की टेंशन हाई है।

उधर, केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नारायण राणे का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि ऐसी चीजों पर कोई टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए। नॉट रिचेबल होने का क्या मतलब है। वहीं, शिवसेना के सीनियर लीडर और प्रवक्ता संजय राउत ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने उद्धव सरकार को गिराने की साजिश रचे जाने का आरोप लगाया है। राउत ने कहा है कि भाजपा मध्य प्रदेश की तर्ज पर महाराष्ट्र में सरकार को अपदस्थ करना चाहती है, मगर अपने मंसूबों में वह कामयाब नहीं हो पाएगी। महाराष्ट्र के मौजूदा सियासी समीकरण को जानने की भी जरूरत है।

इसके चलते शिवसेना का परेशान होना और भाजपा का खुश होना वाजिब है। महाराष्ट्र विधान सभा में कुल 288 सदस्य हैं। इसके मद्देनजर सरकार गठन के लिए 145 विधायक चाहिए। शिवसेना के एक विधायक का देहात हो चुका है। ऐसे में विधान सभा में अब 287 विधायक रह गए हैं। सरकार के लिए 144 विधायक चाहिए। बगावत से पहले महाराष्ट्र में मौजूदा सरकार को महा विकास अघाड़ी के 169 विधायकों का समर्थन प्राप्त था। जबकि भाजपा के पास 113 विधायक और विपक्ष में 5 अन्य विधायक हैं।

महाराष्ट्र में मंत्री शिंदे को मिलाकर कुल 26 विधायक बागी हैं। इसमें कुछ निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं। सभी बागी विधायक दल-बदल विरोधी कानून की जद में आ सकते हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना के कुल 55 विधायक है। यदि शिंदे के साथ 37 विधायक आ जाएं तो वे दल-बदल विरोधी कानून के दायरे से बाहर होंगे, मगर अभी ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है। यह बात भाजपा को भी समझ में आ रही है।