उत्तर प्रदेश क्रिकेट की कलंक कथा: स्टेडियम घोटाले में यूपीसीए को लगाया 25 करोड़ का चूना

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के नाम भ्रष्टाचार का एक और अध्याय जुड़ा है। जीसीए के डायरेक्टर  राकेश मिश्रा पर गाजियाबाद में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने के नाम पर करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन और उससे जुड़े कई डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन भ्रष्टाचार प्राइवेट लिमिटेड की तरफ चल रही है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट में चयन समिति से लेकर एपेक्स बॉडी तक में व्याप्त भ्रष्टाचार की चर्चा जोर-शोर से हो रही है।आरोप है कि गाजियाबाद इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम घोटाले में यूपीसीए और बीसीसीआई के भी कुछ लोग शामिल हैं। ऐसे में यदि मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच कराई गई तो कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे और काफी बड़ा घोटाला निकल कर सामने आएगा।

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। रिश्वत लेकर खिलाडिय़ों का चयन करने को लेकर बदनाम उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) एक बार फिर से दागदार हो रहा है। इस बार अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम घोटाले का जिन्न बाहर निकला है। स्टेडियम घोटाले के कारण यूपीसीए को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान होने के साथ-साथ उसकी साख पर भी बट्टा लगा है। एक बार फिर से उत्तर प्रदेश क्रिकेट में चयन समिति से लेकर एपेक्स बॉडी तक में व्याप्त भ्रष्टाचार की चर्चा जोर-शोर से हो रही है। क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े जिन लोगों पर खिलाडिय़ों को निखारने की जिम्मेदारी है वही भ्रष्टाचार का गंदा खेल करने में मशगुल हैं। गाजियाबाद क्रिकेट एसोसिएशन (जीसीए) के डॉयरेक्टर एवं उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) के एपेक्स काउंसिल मेंबर राकेश मिश्रा भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरे हैं। आरोप है कि राकेश मिश्रा ने गाजियाबाद में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल खेला है। भ्रष्टाचार की वजह से यूपीसीए को लगभग 25 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है।

गाजियाबाद के बड़े उद्योगपत्तियों में शुमार राकेश मिश्रा कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े हुए हैं। राकेश मिश्रा को बीसीसीआई उपाध्यक्ष एवं आईपीएल के पूर्व चेयरमैन राजीव शुक्ला का वरदहस्त प्राप्त है। राजीव शुक्ला के करीबी होने का राकेश मिश्रा को काफी फायदा मिला और उन्हें यूपीसीए में भी पद दिया गया। पिछले कई वर्षों से गाजियाबाद क्रिकेट एसोसिएशन के साथ-साथ उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में भी राकेश मिश्रा का पूरा सिक्का कायम है। आरोप तो यहां तक लग रहे हैं कि यूपी की क्रिकेट टीम चयन में भी राकेश मिश्रा का ही सबसे अधिक प्रभाव रहता है। रसूख की बदौलत ही गाजियाबाद में अंतर्राष्टीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने से संबंधित समस्त कामों की जिम्मेदारी राकेश मिश्रा को मिली। इसी का फायदा उठाकर राकेश मिश्रा ने अंतर्राष्टीय क्रिकेट स्टेडियम जमीन घोटाले को अंजाम दिया। राकेश मिश्रा ने स्टेडियम के पास की जमीन स्वयं और रिश्तेदारों के नाम पर खरीदी और वहां आरपीएल नाम से क्रिकेट ग्राउंड बनाया। आरपीएल नाम से ही राकेश मिश्रा की टायर बनाने की भी कंपनी है। इतना ही नहीं शहर के कई धनाढ्य और अपने नजदीकी लोगों के साथ मिलकर पहले किसानों से कम कीमत पर जमीन खरीदा और फिर उसे दोगुनी कीमत पर यूपीसीए को बेच दिया। भ्रष्टाचार की पोल खोलने वाले प्रवीण त्यागी ने आरोप लगाया है कि घोटाले के इस खेल में राकेश मिश्रा के अलावा यूपीसीए और बीसीसीआई के भी कुछ लोग शामिल हैं। ऐसे में यदि मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच कराई गई तो कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे और काफी बड़ा घोटाला निकल कर सामने आएगा।

महज 11 दिन में दोगुनी कीमत पर खरीदी गई जमीन
स्टेडियम के लिए जिस जमीन का चयन किया, वह डूब क्षेत्र में है। इसके अलावा जमीन ग्रीन बेल्ट व एंटरटेंनमेंट जोन का हिस्सा है। इतना ही नहीं राकेश मिश्रा ने अपने जानकारों को जमीन सस्ते दामों पर किसानों से दिलवाईं और फिर 11 दिनों बाद ही वह जमीन यूपीसीए के लिए मंहगे दामों पर उनसे खरीद ली। उदय भूमि के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक यूपीसीए ने किसानों से सीधे जमीन ना खरीदकर पहले उसे पूंजीपतियों को खरीदवाया और फिर बाद में पूंजीपतियों से दोगुनी कीमत पर जमीनें खरींदी। भ्रष्टाचार का खेल देखिये कि सिर्फ 9 दिन में जमीन की कीमत दोगुनी हो गई। मनीष कुमार गर्ग ने 26 फरवरी 2015 को किसान से जिस जमीन को 3200 रुपये प्रतिवर्ग मीटर की दर से खरीदा। उसी जमीन को 11 दिन बाद मनीष कुमार गर्ग से यूपीसीए ने 5500 रुपये प्रतिवर्ग मीटर की दर से खरीदा। इतना ही नहीं इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया गया। यूपीसीए इस बात का इंतजार करता रहा कि पूंजीपति पहले किसानों से जमीन खरीद लें फिर यूपीसीए पूंजीपतियों से जमीन खरीदे। गौर करने वाली बात यह है कि यूपीसीए ने 9 मार्च 2015 में जिस व्यक्ति से 5500 रुपये प्रतिवर्ग मीटर की दर से जमीन खरीदी। उसी व्यक्ति (मनीष कुमार गर्ग) ने उसी स्थान पर फिर से किसानों से दो दिन बाद 11 मार्च 2015 को 3200 रुपये प्रतिवर्ग मीटर की दर जमीन खरीदा। मनीष कुमार वर्मा ने किसानों से 1 करोड़ 25 लाख 76 हजार रुपये में जमीन खरीदकर एक महीने बाद यूपीसीए को 2 करोड़ रुपये से अधिक में बेचा। यूपीसीए की तरफ से समस्त जमीनों की खरीददारी राकेश मिश्रा ने की। किसानों से जमीन खरीदकर फिर उसे यूपीसीए को बेचने का सिलसिला आगे भी जारी रहा। 17 मार्च 2015 को मनीष कुमार गर्ग फिर जहां 3200 रुपये वर्गमीटर की दर से किसानों से जमीन खरीदी वही जमीन यूपीसीए ने फिर से 5500 रुपये प्रतिवर्ग मीटर की दर से खरीदा। मनीष कुमार वर्मा की तरह संदीप कुमार, राम कुमार गुप्ता, उदय पुंडीर सहित कई अन्य लोगों से महंगी दरों पर यूपीसीए ने जमीन खरीदा।

राकेश मिश्रा के भांजे सागर मिश्रा पर भी लगे आरोपअंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम घोटाले को लेकर राकेश मिश्रा के भांजे सागर मिश्रा पर भी आरोप लगे हैं। गुरूवार को नेहरू स्टेडियम में प्रेसवार्ता में प्रवीण त्यागी ने आरोप लगाया कि राकेश मिश्रा उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से प्रस्तावित क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण के लिए गोपनीय निर्णय लेने के लिए अधिकृत थे। लेकिन उन्होंने अपने पद एवं गोपनीयता का दुरूपयोग करते हुए स्वंय एवं अपने निकट सम्बन्धियो एवं मित्रों के द्वारा क्रिकेट स्टेडियम के पास या उससे लगी हुई बहुत सारी भूमि की खरीद फरोख्त अपने निजी लाभ के लिए की। राकेश मिश्रा ने प्रस्तावित क्रिकेट स्टेडियम के पास खरीदी गई भूमि पर एक क्रिकेट ग्राउंड आरपीएल क्रिकेट ग्रांउड के नाम से बनाया हुआ है। यहीं पर उत्तर प्रदेश के क्रिकेट खिलाड़ियों के चयन के लिए डिस्ट्रिक्ट एवं जोनल ट्रायल होते हैं। प्रवीण त्यागी ने बताया कि यह जमीन राकेश मिश्रा ने आरपीएल इण्डस्ट्रीज लिमिटेड एवं केजीएम डवलपर्स के नाम से खरीदी हुई है। केजीएम डवलपर्स राकेश मिश्रा के भांजे सागर मिश्रा की कंपनी है। जिस पर वह अपनी निजी क्रिकेट एकेडमी चलाते है एवं युवा क्रिकेटर्स को उनके प्रशिक्षण देने के नाम पर भी उनसे वसूली करते हैं। इतना ही नहीं उक्त भूमि का प्रयोग किराये पर देने के लिए भी करते है।

राकेश मिश्रा की वजह से क्रिकेट को हो रहा नुकसान
स्टेडियम घोटाले के अलावा प्रवीण त्यागी ने राकेश मिश्रा पर क्रिकेट को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लगाया। प्रवीण त्यागी ने कहा कि राकेश मिश्रा बीते 1 दशक से अधिक समय से जीसीए की कुर्सी पर कब्जा जमाए बैठे हैं। कमेटी का चुनाव नहीं होता। स्टेट टीम के सलेक्शन के लिए राकेश मिश्रा अपने खुद की एकेडमियों का इस्तेमाल करते हैं। जबकि यूपीसीए के सदस्य को एकेडमी चलाने की मनाही है। इन एकेडमियों का खर्चा यूपीसीए से वसूला जाता है। खिलाडिय़ों पर दवाब बनाया जाता है कि वह उनकी एवं उनसे जुड़े लोगों की एकेडमी में दाखिला लें। राकेश मिश्रा अपने पद और रसूख का गलत इस्तेमाल कर क्रिकेट और प्रतिभावान क्रिकेटरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

आरोपों को लेकर राकेश मिश्रा ने जारी किया प्रेसनोटस्टेडियम घोटाले को लेकर लगे आरोपों को राकेश मिश्रा ने गलत बताया है। राकेश मिश्रा द्वारा गुरूवार को प्रेसनोट जारी कर बताया गया कि वह शुक्रवार को इस मामले में पत्रकारों के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे।