कोरोना से ज्यादा घातक है लापरवाही: योगेश कंसल

-लायंस आई हॉस्पिटल गाजियाबाद द्वारा कोविड वैक्सीनेशन शिविर का आयोजन

गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है। अभी भी कोरोना के मरीज मिल रहे हैं। दोनों डोज लगने के बाद भी कोरोना हो सकता है, लेकिन इन डोज के बाद कोरोना घातक नहीं होगा। कोरोना की दूसरी लहर को हर किसी ने बहुत करीब से देखा और महसूस किया। जब अस्पतालों के बाहर लाइन लग रही थी। लोग ऑक्सीजन के लिए भटक रहे थे तो दवाई के लिए तड़प रहे थे। ऐसा मंजर जिंदगी में हर किसी ने पहली बार देखा था। मगर इसके बाद भी लोग सबकुछ भूल कर लापरवाही कर रहे है। बाजार में उमड़ रही भीड़ में शारीरिक दूरी की अनदेखी की जा रही है। लोग मास्क लगाना जरूरी नही समझ रहे है। यह बातें लायंस आई हॉस्पिटल गाजियाबाद द्वारा कविनगर में आयोजित कोविड वैक्सीनेशन शिविर का शुभारंभ करते हुए लायंस आई हॉस्पिटल के चेयरमैन योगेश कंसल ने कहीं।

उन्होंने बताया कोरोना से पूर्ण सुरक्षा के लिए दूसरा डोज जरूरी है। एक डोज लेने के बाद पूर्ण सुरक्षा की बात करना बेईमानी होगी। कोरोना से बचाव के लिए नियमों का पालन करना होगा। इसके साथ ही पात्रता के दायरे में आने वाले सभी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लगवानी चाहिए। तभी कोरोना से बचाव हो सकेगा।
रीजनल चैयरमेन लायंस मनोज तायल ने बताया कि शिविर में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी बच्चों और वयस्कों को वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज तथा वरिष्ठ नागरिकों को बूस्टर डोज दी गई। इसके अलावा 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बच्चों एवं वयस्कों को कोविशिल्ड वैक्सीन की भी पहली और दूसरी डोज तथा वरिष्ठ नागरिकों को बूस्टर डोज दी गई। उन्होंने बताया कि अभी तक 78 शिविर के माध्यम से वैक्सीन की 18000 से ज्यादा डोज दी जा चुकी हैं। आयोजित शिविर में 171 डोज दी गई।

उन्होंने बताया कि कोरोना का बड़ा खतरा तब तक बना रहेगा, जब तक 100 फीसदी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लग जाती है। वैक्सीन बहुत अहम है। कोरोना से यही सुरक्षा का एक बड़ा साधन है। बता दें कि कोरोना संक्रमण की प्रथम और दूसरी लहर में भी लायंस क्लब गाजियाबाद द्वारा जरूरतमंद लोगों की मदद के साथ कोरोनारोधी टीकाकरण शिविर आयोजित किया गया था। जिसका लाभ हर जरूरतमंद लोगों को मिला। लायंस क्लब गाजियाबाद ने सेवा भाव में अपने आम में एक मिशाल कायम की है। शिविर को सफल बनाने में सुनील गोयल, बसंत अग्रवाल, प्रदीप गुप्ता, दीपक कांत गुप्ता आदि का सहयोग रहा।