एनएसएस इकाई के स्वयंसेवकों ने पौधरोपितकर लोगों को किया पर्यावरण के प्रति जागरूक

-वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए पेड़-पौधे लगाना बहुत जरूरी: डॉ. सुनील कुमार पाण्डेय
-विभिन्न प्रकार के छायादार एवं फलदार 100 से अधिक किए पौधे रोपित

गाजियाबाद। मोहन नगर स्थिति आईटीएस (स्नातक परिसर) की एनएसएस इकाई द्वारा मंगलवार को सात दिवसीय शिविर के चौथे दिन करेहड़ा गांव में वृक्षारोपण अभियान चलाया गया। जिसमें एनएसएस इकाई के स्वयंसेवकों एवं संस्था के विद्यार्थियों ने गांव में अलग-अलग स्थानों पर पौधारोपण किया। जिसमें विभिन्न प्रकार के 100 से ज्यादा छायादार एवं फलदार पौधों का रोपण किया गया।

आईटीएस के निदेशक डॉ. सुनील कुमार पाण्डेय (स्नातक परिसर) ने पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुए पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेते हुए कहा कि हमें अपने जीवन में एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ पर्यावरण एवं जलवायु प्राप्त हो सकें। प्रकृति में संतुलन बनाये रखने के लिए तथा अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए पेड़-पौधे लगाना बहुत जरूरी है। पेड़-पौधे से हमें छाया, फल-फूलों और ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है। जो हमें जीवित रखने के लिए बहुत आवश्यक है। पेड़-पौधे हमारें पर्यावरण को सुरक्षित रखते है इसलिए वृक्षारोपण करना आवश्यक है।

वाईस प्रिंसिपल प्रो. नैंसी शर्मा ने कहा हम सभी को अपने जीवन में एक पौधा जरूर लगाना चाहिए। हम सभी देख रहे है कि किस तरह से हमारे विश्व में प्रदूषण हावी हो रहा है। हम सभी को प्रदूषण से बचने के लिए तथा पृथ्वी को बचाने के लिए पौधे लगाने चाहिए। इसलिए हम प्रण ले कि हम अपने पर्यावरण की सदैव रक्षा करें और अपने जीवन में एक पेड़ अवश्य लगाएंगे। इसी संकल्प के साथ राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने गाँव में जगह-जगह पौधा रोपण किया।

कार्यक्रम के संचालक प्रो. अमित शर्मा ने बताया कि पर्यावरण को स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाये रखने के लिए वृक्षारोपण अत्यन्त आवश्यक है। आज के परिवेश में वृक्षारोपरण कार्यक्रम को जन आंदोलन बनाने की जरूरत है। जितनी ज्यादा हरियाली विकसित होगी उतना ही अधिक स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण होगा। कार्यक्रम में संस्था के शिक्षक तथा कर्मचारीगण जिनमें प्रो. अमित शर्मा, विकास त्यागी, डॉ. संदीप गर्ग, प्रो. विकास कुमार, प्रो. आदिल खान, प्रो. नीरज जैन, प्रो. अनुभा श्रीवास्तव, प्रो. प्रशान्त त्यागी और प्रो. करन सिवाच, एवं बीबीए तथा बीसीए पाठ्यक्रमों के 100 छात्रों ने भाग लिया।