स्वच्छता प्रहरी पूनम तायल शहर को स्वच्छ बनाने में दे रहीं बड़ा योगदान

घरेलू कचरे से बनाती हैं खाद, किचन गार्डेनिंग के जरिये रखती है स्वास्थ और शहर का ध्यान

परिचय

पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट पूनम तायल पर्यावरण के प्रति समर्पित है। स्वच्छता प्रहरी के रूप में गाजियाबाद शहर को स्वच्छ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। जो लोग गाजियाबाद शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाना चाहते हैं वह पूनम तायल को रोल मॉडल मान सकते हैं। किस तरह घरेलू कूड़े का घर में ही निस्तारण करते हुए उसे मूल्यवान बनाते हुए शहर की स्वच्छता में योगदान दिया जा सकता है। यह हम पूनम तायल से सीख सखते हैं। पूनम ने डीएन कॉलेज हिसार (हरियाणा) से 1990 में स्रातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद वर्ष 1995 में चार्टर्ड एकाउंटेंट की पढ़ाई पूरी की। उनके पिता हरियाणा एर्गीकल्चरल यूनिवर्सिटी हिसार में रजिस्ट्रार के पद पर तैनात थे। ऐसे में उनका बचपन यूनिवर्सिटी के माहौल में गुजरा। जिसे देखकर वह पर्यावरण के नजदीक पहुंचीं। मां को देखकर पूनम में ग्रीनरी और किचन गार्डन के प्रति जिज्ञासा बढ़ी। उनकी मां भी पर्यावरण को लेकर काफी जागरूक रहती थीं। पूनम की मां छोटा सा किचन गार्डन चलाती थीं। उसे देखकर वह बेहद प्रभावित हुई । बचपन में वह पौधों के बीच बैठकर पढ़ाई करतीं। पर्यावरण के बारे में सोच-विचार करतीं। लिहाजा धीरे-धीरे उनका रूख पर्यावरण प्रेमी होता चला गया। आज वह ग्रीनरी को अपने जीवन का अह्म हिस्सा मानती हैं। हॉर्टी कल्चर एंड फ्लोरी कल्चर सोसाइटी ऑफ  गाजियाबाद, लायनेंस क्लब ऑ गाजियाबाद, आरडब्ल्यूए कविनगर एल ब्लॉक, लॉयंस आई हॉस्पिटल सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के माध्यम से सामाजिक कार्यों से जुड़ी रहती हैं। सीए के तौर पर भी वह प्रैक्टिस करती हैं और पति मनोज तायल के साथ मिलकर चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म चलाती हैं। पूनम को पशुओं से विशेष लगाव है। वह स्ट्रीट डॉग और आवारा पशुओं के कल्याण को लेकर भी काम कर रही हैं।

घरों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा परेशानी का सबब बनता जा रहा है। यदि किसी दिन नगर निगम की कूड़ा उठाने वाली गाड़ी ना आये तो लोग परेशान हो जाते हैं। शहर से प्रतिदिन निकलने वाले सैकड़ों टन कूड़े का निस्तारण नगर निगम के लिए भी परेशानी का सबब बना हुआ है। इस समस्या से कैसे निजात पाया जाये और आम शहरी अपने शहर को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने में किस तरह योगदान दे सकता है। यह हम कविनगर एल ब्लॉक निवासी पूनम तायल से सीख सकते हैं। पूनम घर से निकलने वाले गीले कूड़े से जैविक खाद तैयार करती हैं और उसी खाद से मकान की छत पर बनाये गये किचन गार्डन में फल, फूल एवं सब्जियां उगाती हैं। पूनम को जहां घर में ही आर्गेनिक फल और सब्जियां ्रमिल जाती हैं जो पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वास्थ के लिए भी लाभदायक है। घर में ही कूड़े का निस्तारण करके पूनम शहर को स्वच्छ बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं और यह अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणादायक है।

घरेलू कूड़ा-कचरा का निस्तारण करना आज गंभीर समस्या है। कचरा निस्तारण के लिए समुचित और ठोस संसाधनों का अभाव है। कूड़ा-करकट का निस्तारण न होने से पर्यावरण पर सबसे बुरा असर पड़ रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकारें भी इस समस्या से काफी परेशान हैं। इस बीच यदि घरेलू कचरे का घर के भीतर निदान करने की तकनीक पर कोई काम करे तो इसमें हैरान होना लाजमी है। गीले कूड़ा का घर में निस्तारण कर पर्यावरण को बेहतर बनाने में भी सहयोग किया जा सकता है। गाजियाबाद शहर में घरेलू कूड़ा-करकट के समुचित निस्तारण की अनूठी पहल देखने को मिल रही है। इस काम को गृहणी पूनम तायल बखूवी अंजाम दे रही हैं। सफल गृहणी होने के साथ-साथ वह चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठनों से सक्रिय तौर पर जुड़ी हैं। लेकिन इन व्यस्तताओं के बावजूद वह घरेलू कूड़े एवं कबाड़ के निस्तारण का प्रसंसनीय कार्य कर रही हैं। उन्होंने घर में किचन गार्डन की स्थापना कर रखी है।

उनका कहना है कि बच्चे और घर उनकी प्राथमिकता है। इसके बाद वह पर्यावरण और सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित रहती हैं। उनका कहना है कि पौधों के बीच में जाकर उन्हें बेहद सुकून मिलता है और किचन गार्डन में काम करके खुद को फिट और स्वस्थ भी रखती हैं। पूनम का कहना है कि घरेलू कूड़ा का निस्तारण वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या है। ऐसे में कूड़े का निस्तारण सिर्फ नगर निगम की जिम्मेदारी नहीं समझनी चाहिये। बल्कि हम सभी को मिलकर कूड़े के निस्तारण में योगदान देना चाहिये। घरेलू कूड़े का घर में निस्तारण करने के लिए वर्ष 2015 में उन्होंने किचन गार्डन की शुरूआत की थी। यह बदस्तूर चल रहा है। 6-7 दिन में सिर्फ कुछ ड्राई वेस्ट निकलता है। जिसे वह नगर निगम की कूड़ा उठाने वाली गाड़ी में डालती हैं। जबकि गीला कूड़ा प्रतिदिन किचन में एकत्र कर शाम को कंपोस्ट बैग में डाल कर उससे खाद तैयार करती हैं।

आर्गेनिक खाद होती है तैयार
2 से ढाई महीने में बन जाता है खाद पूनम बताती हैं कि घरेलू कूड़े से 2 से ढाई महीने में खाद तैयार हो जाती है। इसके लिए अधिक मेहनत करने की भी जरूरत नहीं होती है। प्लास्टिक के ड्रम या घड़े में घर के फल-सब्जियों का छिलका और वेस्ट डालने के बाद उसे ऊपर से जाली लगाकर ढंक दिया जाता है। प्राकृतिक तौर पर इस वेस्ट में कीड़े पैदा होते हैं, जो खाद को तैयार करने में अहम रोल अदा करते हैं। इसके अलावा घर में पड़े वेस्ट को बीच-बीच में डंडे से घुमाया जाता है। इस तरह से जैविक खाद तैयार होती है।

सीजन के हिसाब से उगाई जाती है सब्जियां
पूनम बताती हैं कि किचन गार्डन में सीजन के हिसाब से सब्जियां और फल उगाई जाती हैं। सर्दी के मौसम में वह फूलगोभी, पत्ता गोभी, बैंगन, शलगम, मूली, गाजर, आलू, मिर्ची, चुकंदर, टमाटर, प्याज, पालक, मैथी, बथुआ आदि उगाती हैं। जबकि गर्मी में ककड़ी, खीरा, लोकी, गोभी, करेला, कद्दू, प्याज, टिंडा लगाया जाता है। किचन गार्डन के लिए छत का इस्तेमाल किया गया है। वहां प्लास्टिक या ग्रो बैग्स का प्रयोग किया जा रहा है।

घर में तैयार करती हैं कीटनाशक
कीट-पतंगों से सब्जियों को बचाने के लिए कीटनाशक का इंतजाम भी घर में ही किया जाता है। पूनम बताती हैं कि नीम ऑयल, पुराने मट्ठे का स्प्रे, हींग, धतुरे का स्प्रे, नीम के पत्तों को पानी में उबाल कर उसका स्प्रे कर कीट-पतंगों से फल एवं सब्जियों को बचाया जा सकता है। यह सभी इंतजाम घर में किये जा सकते हैं।

कबाड़ का करें उपयोग
पूनम बताती हैं कि घर में बागवानी के लिए यदि महंगे गमले नहीं खरीद सकते हैं तो कबाड़ी से पुराने बर्तन लेकर भी काम चला सकते हैं। घर में बेकार हो चुके प्लास्टिक के बर्तनों का भी प्रयोग किया जा सकता है। बागवानी करने पर सब्जियों की अपेक्षा फूलों पर ज्यादा खर्च आता है। साल में दो सीजन में आप घर में सब्जियां उगा सकते हैं। गर्मी और सर्दी के सीजन में औसतन कुल 8 से 10 हजार का खर्च आता है। लेकिन इससे ज्यादा की सब्जियां सालभर में घर-घर में इस्तेमाल हो जाती हैं। सब्जियों के भाव जब-तब आसमान छूने लगते हैं। किचन गार्डन में तैयार सब्जियां फ्रैश भी होती हैं। किचन गार्डन से आपके शौक भी पूरे होंगे और फल-सब्जियां वगैरह लगाकर आप अपना खर्च कम कर पैसे भी बचा सकते हैं। इससे आपको ऑरगैनिक फूड भी मिलेगा। घर की बालकनी या छत पर किचन गार्डन तैयार हो सकता है। वह भी काफी कम लागत और कम समय में।

सीजनल फल और सब्जियां उगाएं
किचन गार्डनिंग के लिए इस बात का ध्यान रखें कि आपके घर में कौन सी सब्जियां आसानी से उगाई जा सकती हैं। टमाटर, शिमला मिर्च, लौकी, पालक, मेथी, गोभी, बैंगन वगैरह किचन गार्डनिंग के लिए मुफीद हैं। इसके अलावा करी पत्ता, पुदीना, नींबू वगैरह के पेड़ तो आप गमले में या पुरानी बाल्टी में लगा सकते हैं। इसी प्रकार अमरूद, आम वगैरह फल भी लगा सकते हैं। सब्जियां लगाने से पहले मिट्टी की सही तैयारी कर लें। गमले में मिट्टी डालें और पानी डालकर एक दो दिन छोड़ दें। फिर उसमें गोबर का खाद और कुछ सूखी पत्तियां डाल दें। अब खुरपी से थोड़ा कोड़ दें। इसमें सब्जी के बीज बो सकते हैं या नर्सरी से पौधा लाकर भी लगा सकते हैं। बीज बोया हो या फिर जब तक पौधा छोटा है तब तक आपको ज्यादा पानी नहीं डालना है। यदि आपने किसी सब्जी का पौधा लगाया है, तो वह थोड़ा जल्दी बड़ा होगा।

बीज बोया है तो थोड़ा सब्र रखने की जरूरत है। किचन गार्डनिंग में आप रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग न करें। ऑर्गेनिक उगाने के लिए आप ऑरगैनिक खादों का ही प्रयोग करें। गोबर की नैचुरल खाद, चाय की बेकार पत्ती या उसके पानी वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं। किचन गार्डनिंग के लिए नागरिकों को जागरूक होने की जरूरत हैं। ऐसे में पूनम तायल लोगों को जागरूक और प्रेरित भी कर रही हैं। वह घरेलू महिलाओं को इसके लाभ के विषय में बताती हैं। सामाजिक कार्यक्रमों के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा करती हैं। किचन गार्डेनिंग पर्यावरण की दृष्टि से भी काफी अच्छा कदम है। सिर्फ सोचने या विचार करने से कुछ नहीं होगा। किचन गार्डेनिंग के लिए मन से तैयार होने की जरूरत है।