गाजियाबाद में आएंगे शराब माफिया तो बड़ा पछताएंगे, सीधे जेल भेजे जाएंगे

देश की राजधानी से सटे जनपद गाजियाबाद में माफिया हमेशा सक्रिय रहते हैं। भू-माफिया, पानी माफिया, सैल्स टैक्स माफिया के अलावा शराब माफिया भी सरकारी तंत्र के लिए परेशानी का सबब रहे हैं। माफिया के खिलाफ सरकारी मशीनरी कभी छोटे स्तर पर तो कभी बड़े स्तर पर अभियान भी चलाती है, मगर समस्या का जड़ से निदान नहीं हो पाता है। सरकारी सख्ती के बाद माफिया कुछ दिन तक भूमिगत हो जाते हैं। बाद में मौका पाकर वह फिर सक्रिय होने लगते हैं। यही हाल शराब माफिया का भी है। गाजियाबाद में शराब की खपत काफी ज्यादा है। इसके मद्देनजर शराब तस्कर कमाई के चक्कर में नियम-कानूनों से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आते हैं। गैर राज्यों से शराब की तस्करी का मामला हो या जनपद के भीतर अवैध शराब का निर्माण एवं बिक्री, आबकारी विभाग को दिन-रात सतर्क रहना पड़ता है। पिछले कुछ समय में जिला आबकारी विभाग ने जिस प्रकार से शराब माफिया और तस्करों की कमर तोड़ने की कोशिश की है, वह पहले कभी देखने को नहीं मिली है। चाहे अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने की बात हो या लाइसेंसशुदा शराब विक्रेताओं को नियमों के अनुसार कारोबार कराने का मामला, आबकारी विभाग आजकल सभी पहलुओं पर गंभीरता से काम करने में जुटा है। इसका श्रेय जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह को दिया जाता है। बेहद ईमानदार छवि और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के तौर पर उन्होंने गाजियाबाद जनपद में अपनी अलग छाप छोड़ी है। शराब तस्करों के खिलाफ उनके नेतृत्व में समय-समय पर की गई कार्रवाई ने लखनऊ तक में चर्चाएं बटोरी हैं। जनपद गाजियाबाद में अवैध शराब के निर्माण, परिवहन एवं बिक्री रोकने के लिए जारी प्रयासों के विषय में उदय भूमि संवाददाता ने जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने विस्तृत बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कई सवालों का पूरी ईमानदारी से जवाब दिया। पेश से उनसे बातचीत के कुछ अंश।    

राकेश कुमार सिंह
जिला आबकारी अधिकारी, गाजियाबाद।
  • सवाल : दिल्ली से शराब की तस्करी रोकना कितनी बड़ी चुनौती है?
    जवाब : दिल्ली से शराब की तस्करी रोकना आबकारी विभाग के लिए चुनौती नहीं कह सकते हैं। यह हमारे काम का हिस्सा है। विभाग ने उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसका बखूवी पालन किया जा रहा है। हां, दिल्ली में शराब सस्ती होने से गाजियाबाद में तस्करी की संभावना बढ़ गई है। दिल्ली में शराब की एक बोतल के साथ दूसरी बोतल फ्री मिल रही है। ऐसे में शराब तस्कर मौका भुनाने की कोशिश में हैं। शराब तस्करों से निपटने के लिए विभाग पूरी रणनीति के साथ काम कर रहा है।

  • सवाल : दिल्ली के अलावा किन-किन राज्यों के शराब माफिया गाजियाबाद में सक्रिय।
    जवाब : गाजियाबाद हमेशा शराब तस्करों की पसंदीदा जगह रहा है। चूंकि तस्करों को अपने कांन्टेक्ट के जरिए अवैध शराब बेचकर मोटा मुनाफा होता रहा है। गाजियाबाद में दिल्ली के अलावा हरियाणा, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों से तस्करी कर शराब लाई जाती रही है। आबकारी विभाग भी समय-समय पर शराब तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करता रहता है। शराब तस्करी के लिए जो रास्ते ज्यादा संवेदनशील हैं, वहां चौकसी पर ध्यान दिया जाता है। जरूरत पड़ने पर दिल्ली और हरियाणा के आबकारी अधिकारियों के साथ समन्वय किया जाता है।

 

  • सवाल : दिल्ली में शराब सस्ती होने से गाजियाबाद में राजस्व पर कितना असर पड़ा है?
    जवाब : दिल्ली में सस्ती शराब मिलने से गाजियाबाद में शराब की बिक्री और राजस्व पर प्रतिकूल असर देखने को मिला है। इसके चलते आबकारी विभाग को 31 दिनों में 13.18 करोड़ रुपए का घाटा सहन करना पड़ा है। मई 2021 में 15 लाख और मई 2022 में विदेशी शराब की 8 लाख बोतलों की ही बिक्री हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण यही माना जा रहा है कि दिल्ली में शराब सस्ती है और अंग्रेजी शराब के शौकीन दिल्ली से सस्ते दामों पर शराब खरीद कर ला रहे हैं। बेशक राजस्व में गिरावट आई है, मगर राजस्व बढ़ाने की दिशा में प्रयास जारी हैं। लक्ष्य के अनुरूप राजस्व वसूली पर फोकस किया गया है।

  • सवाल : गाजियाबाद में कहां-कहां पर शराब की सेल प्रभावित हुई है ?
    जवाब : दिल्ली से गाजियाबाद में अवैध तरीके से शराब आने से यहां के कई क्षेत्रों में लाइसेंसी शराब की दुकानों के कारोबार पर असर पड़ा है। खास तौर पर दिल्ली के बेहद नजदीक बॉर्डर के आस-पास के क्षेत्रों में जो दुकानें हैं, वहां शराब की बिक्री का ग्राफी तेजी से नीचे आया है। जैसे साहिबाबाद, राजेंद्र नगर, वैशाली, लोनी ,खोड़ा, भोपुरा, कौशांबी, इंदिरापुरम, कविनगर, राजनगर के अलावा यूपी बॉर्डर की कई दुकानों पर यह असर देखने को मिला है। शराब कारोबारी भी परेशान हैं। ऐसे में आबकारी विभाग की जिम्मेदारी पहले से ज्यादा बढ़ गई है। आबकारी विभाग के पास फिलहाल 6 इंस्पेक्टर और 19 सिपाही हैं।

  • सवाल : शराब कारोबारी कुणाल चावला का मामला काफी सुर्खियों में रहा था। आखिर क्या था मामला और क्या कार्रवाई की गई ?
    जवाब : शराब कारोबारी कुणाल चावला ने गाजियाबाद में मेरठ रोड के पास गोदाम बना रखा था। जहां इंपोर्टेड शराब का स्टॉक होता था। गोदाम में शराब का स्टॉक नियमानुसार नहीं था। नियमों के विपरित काम कर आबकारी विभाग को राजस्व की चपत लगाई जा रही थी। आबकारी विभाग की विशेष टीमों ने वहां छापा मारकर कार्रवाई की थी। स्थानीय स्तर पर भी इस मामले में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती गई। गोदाम को सील करने के अलावा पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसके अलावा 2 मॉडल शॉप को भी सील किया गया था। मेरठ रोड स्थित गोदाम में करीब 10 करोड़ की शराब का स्टॉक किया गया था।

  • सवाल : शराब तस्करी रोकने के लिए आबकारी विभाग का रूटिन क्या है ?
    जवाब : अवैध शराब का निर्माण, बिक्री एवं परिवहन रोकने के लिए विशेष प्रवर्तन अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत आबकारी विभाग की टीमें प्रतिदिन संवेदनशील स्थलों पर छापा मारकर कार्रवाई करती हैं। खासकर लोनी बॉर्डर, ट्रोनिका सिटी, साहिबाबाद, खोड़ा और विजय नगर थाना क्षेत्र में ज्यादा निगरानी बरतनी पड़ रही है। लोनी में कई गांव ऐसे हैं, जहां अवैध एवं कच्ची शराब का निर्माण होता है। कई बार कार्रवाई किए जाने के बावजूद तस्कर बाज नहीं आ रहे हैं। जरूरत पड़ने पर दिन के अलावा रात में भी छापे मारे जाते हैं। इसके अलावा मुख्य मार्गों पर संदिग्ध वाहनों की जांच का क्रम जारी रहता है। 6 इंस्पेक्टर और 19 सिपाही पूरी मुस्तैदी से अपना फर्ज निभा रहे हैं। इन दिनों भीषण गर्मी और लू की मार पड़ रही है। इसके बाद भी विभाग की टीमें अपने काम के प्रति पूर्णत: समर्पित हैं।

परिचय
जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह मूल रूप से गाजीपुर के रहने वाले हैं। वह पढ़े-लिखे एवं शिक्षक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता शिक्षक थे। माता-पिता का देहांत हो चुका है। उनके दो भाई हैं। दोनों सरकारी शिक्षक हैं। उन्हें 1997 में आबकारी विभाग में ज्वाइनिंग मिली थी। पिछले 25 साल के सेवाकाल में वह उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अह्म जिम्मेदारी निभा चुके हैं। जनपद हमीरपुर, लखीमपुर खीरी, बदायूं और प्रयागराज में वह आबकारी इंस्पेक्टर के पद पर तैनात रहे थे। प्रयागराज, गोरखपुर में उन्होंने सहायक आबकारी आयुक्त की जिम्मेदारी भी संभाली थी। प्रयागराज के बाद वह गौतमबुद्ध नगर और महाराजगंज में तैनात रहे। महाराजगंज से 2021 में तबादला होने के बाद से वह गाजियाबाद में तैनात हैं। बतौर जिला आबकारी अधिकारी के तौर पर वह बेहद सफल अधिकारी साबित हुए हैं। आबकारी विभाग का काम-काज पटरी पर लाने, मातहतों को टीम वर्क से काम करने के लिए प्रेरित करने और शराब तस्करों से निपटने की सफल रणनीति बनाकर वह आज प्रदेशभर के आबकारी अधिकारियों को सकारात्मक संदेश देते नजर आते हैं। राकेश कुमार सिंह का काम के प्रति लगाव और मृदुल व्यवहार उन्हें दूसरे अधिकारियों से अलग करता है। अपने व्यवहार के कारण वह मातहतों के बीच भी लोकप्रिय रहते हैं। जिले में पूर्व में चिन्हित शराब माफिया का सूपड़ा भी साफ किया जा चुका है।