एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही ने कहा कि ज्ञान विज्ञान कला और संस्कृति के साथ आर्थिक क्षेत्र में भी समृद्ध रहा है भारत

एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही और राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने जयपुर में राष्ट्रीय अधिवेशन में किया दायित्व ग्रहण। दायित्व ग्रहण करने के बाद डॉ. राजशरण शाही ने कहा कि एबीवीपी की ध्येय यात्रा निरंतरता के साथ आगे बढ़ रही है। यहां न दायित्व का दबाव है, न दायित्व का प्रभाव है। यह एक ध्येय यात्री का सहज स्वभाव है। एबीवीपी की यात्रा त्याग और विचार स्वातंत्र्य के साथ गतिशील है। हम समरसता तथा एकता के भाव को लेकर एबीवीपी के छात्र आंदोलन में आगे बढ़ेंगे।

उदय भूमि संवाददाता
जयपुर। भारत का प्राचीन इतिहास गौरवशाली रहा है। ना सिर्फ ज्ञान, विज्ञान, कला और संस्कृति बल्कि अािर्थक क्षेत्र में भी भारत समृद्धशाली रहा है। पुराने इतिहासकार और विदेशी लेखकों ने इस बात का जिक्र किया है कि प्राचीन विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत का एक तिहाई योगदान था। यह भारत की आर्थिक समृद्धि का इतिहास है। भारत ने विश्व का मार्गदर्शन किया है। जयपुर में शुक्रवार से शुरू हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय अधिवेशन में परिषद के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही ने यह बातें कही। उन्होंने कहा कि भारत केवल आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं था बल्कि नैतिक रूप से से भी इतना उत्कृष्ट था कि यहां भिखारी और व्याभाचारी नहीं होते थे। लेकिन कालांतर में भारत पर आक्रमण का घात और प्रतिघात होता रहा शक आये, यमन आये मुगल आये और फिर अंग्रेजों का आक्रमण हुआ। घात और प्रतिधात के बीच विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत की धन संपदा को लूटने के साथ यहां की संस्कृति, विरासत और धार्मिक स्वरूप को नष्ट करने का कुलसित कृत्य किया। भारत फिर से अपने पुराने वैभव और गौरवशाली इतिहास को स्थापित करेगा।

तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले दिन एबीवीपी अध्यक्ष एवं महामंत्री चुनाव के निर्वाचन अधिकारी डॉ. एस. सुब्बैया ने मंच से राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय महामंत्री के निर्वाचन संबंधी जानकारियां प्रतिनिधियों से साझा कीं। इसके बाद डॉ. राजशरण शाही और याज्ञवल्क्य शुक्ल ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व ग्रहण किया। एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शाही ने दायित्व ग्रहण करने के बाद कहा कि एबीवीपी की ध्येय यात्रा निरंतरता के साथ आगे बढ़ रही है। यहां न दायित्व का दबाव है, न दायित्व का प्रभाव है। यह एक ध्येय यात्री का सहज स्वभाव है। एबीवीपी की यात्रा त्याग और विचार स्वातंत्र्य के साथ गतिशील है। हम समरसता तथा एकता के भाव को लेकर एबीवीपी के छात्र आंदोलन में आगे बढ़ेंगे।

डॉ. राजशरण शाही मूलत: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने शिक्षाशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की। वर्तमान में डॉ. शाही बाबासाहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में शिक्षाशास्त्र विभाग में सह-आचार्य के पद पर कार्यरत हैं। वे प्रतिष्ठित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में एसोसिएट रहे हैं। वर्ष 2017 में श्रेष्ठतम शिक्षक सम्मान योगीराज बाबा गंभीरनाथ स्वर्ण पदक से डॉ. शाही को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मानित किया था।

नवनिर्वाचित राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल मूलत: झारखंड के गढ़वा जिले से हैं। याज्ञवल्क्य शुक्ल की शिक्षा रांची से भूगोल विषय में पीएचडी तक हुई है। वे जगजीत सिंह नामधारी महाविद्यालय, गढ़वा के निर्वाचित छात्रसंघ अध्यक्ष तथा रांची विश्वविद्यालय के निर्वाचित छात्रसंघ उपाध्यक्ष रहे हैं। पूर्व में याज्ञवल्क्य शुक्ल ने रांची महानगर संगठन मंत्री, झारखंड प्रांत संगठन मंत्री तथा केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया है। नवनिर्वाचित राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि एबीवीपी सतत प्रवाहमान संगठन है।

एबीवीपी में मुझ जैसा सामान्य कार्यकर्ता भी राष्ट्रीय महामंत्री बन सकता है। संघर्ष, सेवा एवं संकल्प की परंपरा को वे आगे ले जाने का प्रयास करेंगे। एबीवीपी के जिन कार्यकतार्ओं ने संगठन को आज की स्थिति तक पहुंचाने का कार्य किया, उनको नमन। अधिवेशन को योग गरू बाबा रामदेव ने भी संबोधित किया। योग गुरू ने कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास को भारत के भविष्य का इतिहास बनाने में छात्रों का सबसे बड़ा योगदान रहेगा। भारत आज प्रधानमंत्री नेरेंद्र मोदी के नेतृत्व में फिर से विश्व को राह दिखा रहा है। पूरी दूनियां आज भारत को एक शक्तिशाली देश के रूप में देख रहा है। एबीवीपी के तीन दिवसीय अधिवेशन में देश भर से हजारोें की संख्या में छात्र जुटे हैं।