महिलाओं को राहत, नाइट शिफ्ट में काम की बाध्यता से आजादी

-मध्य प्रदेश सरकार के अध्यादेश को राष्ट्रपति ने वापस लौटाया

उदय भूमि ब्यूरो
भोपाल। मध्य प्रदेश में कामगार महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम की बाध्यता से मुक्ति मिल गई है। उनके लिए विभिन्न कंपनियों में रात की डयूटी करना अब अनिवार्य नहीं होगा। शिवराज सिंह चौहान की सरकार द्वारा इस संदर्भ में भेजे गए अध्यादेश को राष्ट्रपति ने स्वीकृति नहीं दी है। अध्यादेश वापस लौटाए जाने से सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है। जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार ने कुछ समय पहले कारखाना अधिनियम-1948 में संशोधन कर दिया था। इसके अंतर्गत महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम की मंजूरी अनिवार्य करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। शिवराज सरकार ने इस अध्यादेश को स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा था, मगर राष्ट्रपति ने अध्यादेश को हरी झंडी नहीं दी है। ऐसे में सरकार ने अध्यादेश की आपत्तियों को हटाकर नई अधिसूचना जारी की है। इसके तहत महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट में काम करना अनिवार्य नहीं होगा। सरकार ने संशोधित अध्यादेश में पुरानी व्यवस्था को पुन: लागू कर दिया है। हालांकि मप्र सरकार के इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार को भी आपत्ति थी। केंद्र का मानना था कि महिलाओं को सुरक्षा कारणों से रात की शिफ्ट में काम करने की परमिशन देना ठीक नहीं है। उधर, जानकारों का मानना है कि यदि राज्य में नाइट शिफ्ट में महिलाओं को डयूटी करने की बाध्यता लागू हो जाती तो उनकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुख्ता इंतजाम करनार इतना आसान नहीं होता। इसके लिए ठोस कदम उठाने पड़ते। अलबत्ता सरकार का यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया है।