किसानों की बल्ले-बल्ले, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में तीव्र विकास का रास्ता साफ

उदय भूमि ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा। सुप्रीम कोर्ट में किसानों के हक में फैसला आने के बाद से यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के किसानों की खुशी काफी बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किसानों को मिलने वाले 64.7 प्रतिशत के अतिरिक्त मुआवजे का रास्ता साफ  हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश को सही माना और किसानों को बढ़ा हुआ मुआबजा देने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के 7000 से अधिक किसानों को अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा। कोर्ट के आदेश के बाद यमुना प्राधिकरण क्षेत्र की रुकी हुई परियोजनाओं को भी अब तीव्र गति मिलेगी। जिन परियोजनाओं का किसान विरोध कर रहे थे अब उसे तेजी से पूरा किया जाएगा। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में औद्योगिक और आवासीय भूखंडों का विकास होगा। इसके अलावा यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वेको जोडऩे के लिए इंटरचेंज बनाने का काम तेजी से होगा।

किसानों को मिलेगा अतिरिक्त मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले से यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के सात हजार से ज्यादा किसान लाभान्वित होंगे। उन्हें बढ़ा एवं अतिरिक्त मुआवजा मिल सकेगा। इसके लिए यमुना प्राधिकरण को 550 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। हाईकोर्ट के आदेश से पहले यीडा द्वारा अतिरिक्त मुआवजा की एवज में 1688 करोड़ रुपए का वितरण किया जा चुका है। मुआवजा वितरण के बाद परियोजनाओं पर काम शुरू हो जाएगा। कोर्ट के फैसले से किसानों ने भी राहत की सांस ली है। हालांकि जेपी ग्रुप को 2500 एकड़ भूमि आवंटित हुई थी। जिन कृषकों की यह भूमि है, उन्हें भी अतिरिक्त मुआवजा मिलना है।

फैसले को दी थी सुप्रीम चुनौती
नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देता है। यह 64.7 प्रतिशत है। उप्र सरकार ने 2014 में यीडा क्षेत्र के कृषकों को अतिरिक्त मुआवजा देने के संबंध में आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया था कि अतिरिक्त मुआवजा राशि की वसूली आवंटियों से की जाए। शासनादेश को यीडा ने लागू कर दिया। इसके विरोध में 2020 में शकुंतला वेलफेयर सोसाइटी, एटीएस रियल्टी, एसडीएस, जेपी, अजनारा, सुपरटेक सहित कई बिल्डर ग्रुप ने हाईकोर्ट का सहारा लिया था। हाईकोर्ट ने शासनादेश को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने जिन किसानों को अतिरिक्त मुआवजा बांटा गया, उनसे वसूली का आदेश भी दिया था। इस फैसले को उप्र सरकार और यमुना प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

शुरू हो सकेंगे महत्वपूर्ण काम
यमुना प्राधिकरण द्वारा अब तक 1262 औद्योगिक इकाइयों के लिए भूखंड आवंटित किए जा चुके हैं। कई भूखंड मुआवजा के विवाद में विकसित नहीं हो पाए हैं। इसमें फिल्म सिटी, औद्योगिक सेक्टर-32, 33, 28 इत्यादि आंशिक रूप से रूके हैं। अब भूखंडों को विकसित करने का कार्य रफ्तार पकड़ सकेगा। यमुना एक्सप्रेस-वे को ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे से जोड़ा जाना है। इसके लिए इंटरचेंज का निर्माण होना है। इस बावत टेंडर हो चुके हैं, मगर अतिरिक्त मुआवजा न मिल पाने के कारण किसानों ने काम में अड़ंगा लगा रखा था।

यमुना प्राधिकरण के आवंटी
श्रेणी                  आवंटियों की संख्या
आवासीय                33144
संस्थागत                     64
व्यावसायिक                 16
औद्योगिक               1262