यमुना प्राधिकरण की बोर्ड बैठक : 38 हजार आवंटियों को बड़ी राहत

मेडिकल डिवाइस पार्क के क्रियान्वयन का रास्ता भी साफ
72वीं बोर्ड बैठक में 41 प्रस्तावों को विचारोपरांत मंजूरी

ग्रेटर नोएडा। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) की बहुप्रतिक्षित बोर्ड बैठक सोमवार को आयोजित की गई। बोर्ड बैठक में विचार-विमर्श के उपरांत सभी 41 प्रस्तावों को ग्रीन सिग्नल मिल गया। सबसे बड़ी राहत 38 हजार आवंटियों को मिली है। यह आवंटी अब 31 मार्च तक बगैर किसी विलंब शुल्क के संपत्ति की रजिस्ट्री करा सकेंगे। इसके अलावा मेडिकल डिवाइस पार्क को धरातल पर उतारने के काम में भी तेज आ सकेगी। किसानों को भी राहत देने की कोशिश की गई है। यमुना प्राधिकरण की 72वीं बोर्ड बैठक में अह्म फैसले लिए गए हैं। बैठक की अध्यक्षता प्राधिकरण के चेयरमैन एवं अपर मुख्य सचिव औद्योगिक अरविंद कुमार ने की। की अध्यक्षता में हुई। बैठक में कुल 41 प्रस्ताव पेश किए गए थे। विचारोपरांत सभी प्रस्ताव पास कर दिए गए।

रजिस्ट्री का समय बढ़ाया
बैठक में यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉ. अरुण वीर सिंह, एसीईओ मोनिका रानी, रविंद्र सिंह, ओएसडी शैलेंद्र भाटिया आदि मौजूद रहे। यमुना प्राधिकरण ने रजिस्ट्री नहीं करा पाने वाले आवंटियों को बड़ी राहत दी है। 31 दिसंबर तक रजिस्ट्री कराने की छूट दी गई थी, मगर कोविड महामारी और किसानों को अतिरिक्त मुआवजा नहीं दिए जाने के चलते रजिस्ट्री का समय और बढ़ा दिया गया है। जिन आवंटियों को पूर्व में चेक लिस्ट जारी की जा चुकी है, वह 31 मार्च तक बिना किसी विलंब शुल्क के रजिस्ट्री करा सकते हैं। उनसे किसी तरह का विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा। प्राधिकरण के इस फैसले से 38 हजार आवंटियों को फायदा मिलेगा। यमुना प्राधिकरण बोर्ड ने मूल आवंटी द्वारा अधिकार दिए जाने के बाद उनके संबंधी रजिस्ट्री करा सकेंगे।

आवंटियों को मिलेगा फायदा 
यमुना प्राधिकरण के पास इस तरह के तमाम मामले आए, जिनमें मूल आवंटी विदेश में रह रहे हैं या बीमार हैं या किसी अन्य कारण से रजिस्ट्री कराने के लिए नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे में प्राधिकरण बोर्ड ने निर्णय लिया है कि मूल आवंटी अपने भवन-भूखंड का रजिस्ट्री का अधिकार (जीपीए) अपने परिवार के लोगों और रिश्तेदारों को दे सकते हैं। उसके आधार पर प्राधिकरण रजिस्ट्री कराने की अनुमति दे देगा। इस फैसले से काफी आवंटियों को फायदा मिलेगा। यमुना प्राधिकरण बोर्ड ने संस्थागत भूखंडों के आवंटन की प्रक्रिया में संशोधन किया है। संस्थागत भूखंडों की मांग बढ़ने के चलते ये नियम बनाए गए हैं। इसके लिए शर्तें तय कर दी गई हैं। प्राधिकरण ने जो मानक बनाए हैं, उसमें से कम से कम 60 प्रतिशत अंक पाना अनिवार्य होगा।

किसानों को ब्याज से छूट
अगर भूखंड कम हैं और मानक पूरा करने वाले आवेदक अधिक हैं तो उनके बीच ड्रॉ कराया जाएगा। जमीन देने के बदले किसानों को आबादी का भूखंड दिया जाता है। किसानों को पहले जमीन का पूरा पैसा दे दिया जाता है। जब उन्हें आबादी का भूखंड दिया जाता है तो उतना पैसा किसान को प्राधिकरण में जमा करना पड़ता है। किसानों को अतिरिक्त मुआवजे का पैसा भी वापस करना पड़ता है। अगर यह पैसा देने में देरी हो जाती है तो उस पर किसान को ब्याज देना पड़ता है। यमुना प्राधिकरण बोर्ड ने किसानों को ब्याज से छूट देने के प्रस्ताव पर चर्चा की। इस प्रस्ताव को शासन को भेज दिया गया है।

उत्तर प्रदेश डाटा सेंटर नीति
शासन की अनुमति मिलने के बाद इसको अमल में लाया जाएगा। अगर शासन अनुमति दे देता है इससे किसानों को फायदा मिलेगा। यमुना प्राधिकरण को एक अप्रैल 2021 से 15 दिसम्बर 2021 तक विभिन्न योजनाओं से 2120 करोड़ों रुपए का राजस्व मिला है। पिछले वर्ष की तुलना में यह 169 प्रतिशत अधिक है। इस अवधि में प्राधिकरण ने 1474 को रुपए का भुगतान किया है। इसमें ऋण भी शामिल है। यमुना प्राधिकरण बोर्ड ने उत्तर प्रदेश डाटा सेंटर नीति 2021 को मंजूरी दे दी। इसमें इमारत की ऊंचाई और एफएआर भी शामिल है। बोर्ड ने विकास कार्यों का एस्टीमेट अब उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के अनुरूप बनाने को सहमति दी है। अब तक दिल्ली के रेट के अनुसार एस्टीमेट बनता था।