शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना पहली प्राथमिकता: विनोद मिश्रा

-एजुकेशन सिस्टम सुधारने को किए जाएंगे महत्वपूर्ण कार्य, लापरवाही नहीं होगी बरदाश्त, आरटीई के तहत आवंटित सीटों पर शत-प्रतिशत होगा बच्चों का एडमिशन

शिक्षा हर किसी का मौलिक अधिकार है। हमें आपको मिलकर तय करना है कि कोई बच्चा इस अधिकार से वंचित न रहने पाए। शिक्षा के साथ बच्चों को अच्छे संस्कार मिलें, इसके लिए शिक्षकों को अग्रणी भूमिका निभानी होगी। बच्चे राष्ट्र का भविष्य हैं, जिन्हें देश का योग्य नागरिक बनाना हमारा कर्तव्य है। नवनियुक्त बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) विनोद मिश्रा ने यह बातें कहीं। शनिवार को विनोद मिश्रा ने गाजियाबाद के बीएसए का चार्ज संभाला। सोमवार को उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद उदय भूमि संवादादाता से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि शासन की मंशा के अनुरूप विभागीय योजनाओं व कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कराना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि यहां के बीएसए के रूप में उनकी प्राथमिकता बेसिक शिक्षा गुणवत्ता में सुधार, शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों के साथ ही बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करना, बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ बच्चों तक पहुंचाना है। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे अपनी तमाम समस्याओं को मेरे हवाले करके सारा ध्यान नौनिहालों का भविष्य संवारने पर केन्द्रित करें।

आरटीई के तहत आवंटित सीटों पर शत-प्रतिशत प्रवेश
अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत आवंटित सीटों पर प्रवेश देने के लिए स्कूलों को अपने स्तर से सत्यापन का अधिकार नहीं है। बीएसए विनोद मिश्रा ने बताया कि प्रमाण पत्र सत्यापन के बाद ही लॉटरी के तहत सीटें आवंटित होती हैं। स्कूलों को उन्हें सीधे प्रवेश लेना होता है। ऐसा करने वाले स्कूलों से जवाब तलब होगा। जनपद में ऐसे 28 स्कूल चिन्हित हैं, जिन्होंने अभी तक आरटीई के तहत आवंटित सीटों पर बच्चों को प्रवेश नहीं दिया है। जिनके खिलाफ जिलाधिकारी की ओर से नोटिस भेजा जा चुका है। आरटीई के तहत आवंटित सीटों पर बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर स्कूलों को एडमिशन देना होगा। उन्होंने बताया कि हर साल आरटीई के तहत निजी बेसिक स्कूलों में 25 फीसद गरीब बच्चों के प्रवेश के निर्देश हैं, जिसमें बेसिक शिक्षा विभाग हर साल गरीब बच्चों का लॉटरी सिस्टम द्वारा प्रवेश कराता है। आरटीई के तहत जिन बच्चों को उनकी पसंद के निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाता है उनका पूरा खर्चा सरकार उठाती है। पुस्तक व ड्रेस के लिए भी सरकार की तरफ से दस हजार रुपये उपलब्ध कराए जाते हैं। जिनमें पांच हजार रुपए स्कूल के खाते में और पांच हजार रुपए अभिभावक के खाते में जमा होते है। अभी तक मात्र 2 प्रतिशत अभिभावकों को खाते में यह रकम जमा कराई गई है। जल्द शत-प्रतिशत अभिभावकों के खाते में रकम जमा कराने के निर्देश दिए गये है।

बच्चों को उद्देश्य परक शिक्षा दिलाने पर रहेगा जोर
बीएसए विनोद मिश्रा ने बताया कि उनका जोर बच्चों को उद्देश्य परक शिक्षा दिलाना होगा। अक्सर देखने को मिलता है कि बच्चे पढ़ाई तो करते हैं, लेकिन उन्हें आगे चलकर क्या बनना है, इसका लक्ष्य नहीं निर्धारित होता है। ऐसे में बच्चे बीच में भटक जाते हैं और ऐसे में अधर में पढ़ाई भी छोड़ देते हैं। बच्चों में पढ़ाई को लेकर लक्ष्य निर्धारित कराने का प्रयास किया जाए। विद्यालय में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
सुबह स्कूलों में नियमित रूप से प्रार्थना होनी चाहिए। शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को समय से विद्यालय में उपस्थित होने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षण कार्य में लापरवाही किसी भी हालत में बरदाश्त नहीं होगी। विद्यालय परिसर में साफ -सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पर बल देते हुए समय से अभिलेख पूर्ण करने को कहा गया है। उन्होंने पद की गरिमा का ध्यान रखते हुए कर्तव्यों व दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करने का निर्देश दिया। चेतावनी देते हुए कहा कि निरीक्षण के दौरान कोई कमी पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

भौतिक क्षेत्र में गाजियाबाद टॉप
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में गाजियाबाद की सरकारी शिक्षा में छवि बेहतर नहीं है। जबकि गाजियाबाद में भौतिक क्षेत्र में संसाधनों की कोई कमी नहीं है। बस जरुरत है उन संसाधनों का सही ढंग से इस्तेमाल हो और स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाए जाए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बिना बच्चों के भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का सदुपयोग करें। बच्चों को इसका समुचित लाभ दिलाएं। जनपद के सभी प्राथमिक विद्यालयों में डेस्क, कुर्सियां, ब्लैक बोर्ड, पर्याप्त शिक्षक, बच्चों के पीने के लिए शुद्ध जल की व्यवस्था उपलब्ध है। बस थोड़ा सा सुधार करने की जरुरत है और शिक्षकों को अपना दायित्व समझने की आवश्यकता है। एकेडमी स्तर पर प्राथमिक विद्यालयों में व्यवस्थाओं में सुधार लाया जाएगा। शिक्षा देने में शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। साथ-साथ विद्यालय को साफ-सुथरा और विद्यालय के विकास में भी शिक्षकों की भूमिका होती है। यदि शिक्षक अपने कर्तव्य का सही रूप से पालन करें और समय पर विद्यालय पहुंच ईमानदारी से छात्रों को शिक्षा प्रदान करें तो स्वर्णिम और खुशहाल समाज का निर्माण करने में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक यदि सक्रिय और गंभीर होकर अपने दायित्व का निर्वाह करें तो निश्चित तौर पर विकसित समाज का निर्माण किया जा सकता है।

स्कूल में मिले नदारद तो होगी कार्रवाई
प्राथमिक विद्यालयों में यह आम बात है कि स्कूल में हाजरी लगाकर अपने जरुरी काम करना और समय हो तो स्कूल जाएं या फिर अगले दिन जाएं। मगर अब स्कूल में आकर बिना बताए बाहर जाने वाले और स्कूल टाईम में अपने पर्सनल काम करना बहुत भारी पड़ सकता है। बेसिक शिक्षा अधिकारी विनोद मिश्रा ने ऐसे शिक्षकों को सख्त चेतावनी दी है कि अगर स्कूल टाईम में कोई भी शिक्षक स्कूल से नदारद मिलता है या फिर स्कूल टाईम में पर्सनल काम करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार पैसा बच्चों की पढ़ाई के लिए देती है न कि स्कूल में आपके पसर्नल कार्य के लिए। शिक्षकों को भी अपना कर्तव्य समझने की जरुरत है। स्कूल में ड्यूटी के वक्त कई शिक्षक बीएसए दफ्तर, नगर शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से लेकर बीआरसी तक में चक्कर लगाते देखे जाते हैं। कुछ नेतागीरी चमकाने में लगे रहते हैं तो कुछ का अलग ही खेल चलता है। अब इन पर भी लगाम कसी जाएगी। बीएसए ने कहा कि शिक्षकों के गायब होने और लापरवाही बरतने पर सख्त कार्यवाही के आदेश हैं। इसके लिए वह सभी खंड शिक्षा अधिकारियों, एबीआरसी, एनपीआरसी की बैठक लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश देंगे। नवांगत बीएसए इसके पूर्व लखनऊ में विधि अधिकारी, शिविर कार्यालय शिक्षा निदेशक (बेसिक) लखनऊ एवं अमेठी में बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत रह चुके हैं। गाजियाबाद में उन्होंने 21वें बेसिक शिक्षा अधिकारी के तौर पर पद ग्रहण किया है।