महाराष्ट्र संकट : मौजूदा हालात के लिए शिवसेना खुद जिम्मेदार

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के संकेत साफ दिखाई देने लगे हैं। बागी विधायकों को मनाने की शिवसेना की रणनीति काम नहीं कर पाई है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा जल्द इस्तीफा दिए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। पार्टी नेतृत्व की तरफ से जिस प्रकार के बयान सामने आ रहे हैं, उससे साफ है कि शिवसेना का मनोबल टूट चुका है। उसके पास सत्ता छोड़ने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है। इस पूरे घटनाक्रम के लिए वैसे शिवसेना नेतृत्व को ज्यादा जिम्मेदार माना जा रहा है। क्योंकि सत्ता की लालसा में पार्टी ने अपनी मूल विचाराधारा तक को पीछे छोड़ दिया।

कांग्रेस और राष्ट्रीय क्रांति पार्टी (राकांपा) के सहयोग से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बेशक बन गए, मगर अपने पुराने सहयोगियों को एकजुट रखने में वह नाकाम रहे। शिवसेना की हिंदुत्ववादी छवि पर भी असर पड़ा। सत्ता संचालन में ठाकरे इतने व्यस्त हो गए कि उन्हें अपनी पुराने एवं वफादार साथियों के मन की पीड़ा को जानने तक का मौका नहीं मिला। महाराष्ट्र में आए सियासी भूचाल के केंद्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे हैं। वह महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के साथ-साथ विधायक दल के नेता की जिम्मदारी भी निभा रहे थे।

शिंदे ने अपने साथ 40 से 46 विधायक होने का दावा किया है। हाई-वोल्टेज ड्रामे के बाद एकनाथ शिंदे का बयान भी सामने आया है। अपने बयान में उन्होंने शिवसेना नेतृत्व की बजाए कांग्रेस और राकांपा के प्रति नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि सरकार में सहयोगी कांग्रेस और राकांपा विधायकों के साथ काम करने में उन्हें परेशानी हो रही है। इसके अलावा शिंदे ने बाला साहब ठाकरे का जिक्र करने के साथ-साथ हिंदुत्ववादी विचाराधारा पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि वह बाला साहब ठाकरे की हिंदुत्ववादी विचाराधारा का सम्मान करते हैं।

दरअसल महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार है। सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे हैं। सरकार में होने के बावजूद शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा की वजह से अपनी हिंदुत्ववादी छवि को खुलकर पेश करने से कतराती रही है। भाजपा से तालमेल न बैठ पाने के बाद शिवसेना ने नए गठजोड़ में भरोसा जताया था। इस कारण पार्टी को नुकसान भी उठाना पड़ा है। उधर, शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने बुधवार को पत्रकारों के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे हमारे बहुत अच्छे मित्र हैं। सालों साल से हम एक-दूसरे के साथ काम कर रहे हैं।

उनके लिए आसान नहीं है पार्टी छोड़ना और हमारे लिए भी आसान नहीं है उन्हें छोड़ना। मैंने आज सुबह उनसे एक घंटे तक बातचीत की और पार्टी प्रमुख को इस बारे में सूचित कर दिया गया। राउत ने कहा कि सत्ता जाती है तो जाए, हम एकनाथ शिंदे को नहीं छोड़ सकते। राउत ने महाराष्ट्र विधान सभा भंग करने के संकेत भी दिए हैं। उउन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि, ‘महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट विधान सभा भंग करने की तरफ बढ़ रहा है। वहीं, बागी मंत्री एवं विधायक एकनाथ शिंदे ने कहा कि हम लोग शिव सेना में है। हम बाला साहेब के शिवसैनिक हैं। हम उनकी हिंदुत्व की लाइन को फॉलो कर रहे हैं। हम उनके हिंदुत्व के एजेंडे को आगे लेकर जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ऐसा किसने कहा कि हम पार्टी बना रहे हैं। अभी कुछ तय नहीं है।