Neeraj Chopra ने गोल्ड के साथ दिल भी जीता

Neeraj Chopra भारत के स्टार एथलीट ने Tokyo Olympics में करिश्माई प्रदर्शन कर भारत को गौरान्वित किया है। नीरज की काबिलियत की जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है। इसके साथ ओलंपिक में एथलेटिक्स का स्वर्ण पदक जीतने का इंतजार खत्म हो गया है। भारत को इस स्वर्णिम पल के लिए 121 साल तक इंतजार करना पड़ा। Neeraj Chopra की यह कामयाबी वाकई शानदार, जानदार और जबरदस्त है। समूचे देश को आज इस युवा खिलाड़ी पर गर्व महसूस हो रहा है। सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देने का सिलसिला अब तक जारी है। देश की नामचीन हस्तियों ने उन्हें दिल से शुभकामनाएं दी हैं।

फेंक जहां तक भाला जाए

जेवलिन थ्रोअर Neeraj Chopra के फाइनल मुकाबले में उतरने से पहले सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध शायर वाहिद अली वाहिद की कुछ पंक्तियों को खूब शेयर किया गया। यह पंक्तियां अभी भी सोशल मीडिया पर काफी पसंद की जा रही हैं। शायर वाहिद अली वाहिद ने लिखा था…तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए। दोनों तरफ लिखा हो भारत, सिक्का वही उछाला जाए…! भारतीय सेना के सूबेदार नीरज चोपड़ा एकाएक दुनियाभर में छा गए हैं। उदीयमान खिलाड़ियों के लिए वह किसी प्रेरणा स्त्रोत से कम नहीं हैं।

Tokyo Olympics में स्वर्णिम इतिहास रचकर वह युवाओं के आईकॉन बन गए हैं। उनकी यह जीत किसी सपने के साकार होने सरीखी है। ओलंपिक में एथलेटिक्स का स्वर्ण पदक पाने को भारत को लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी है। टोक्यो ओलंपिक में भारत को अब तक कुल 7 पदक मिले हैं। ओलंपिक का सफर समापन की ओर है। ऐसे में देश को गोल्ड मेडल मिलना काफी सुकून देता है। जेवलिन थ्रोअर Neeraj Chopra हरियाणा के मूल निवासी हैं। 23 साल की उम्र में वह भारतीय सेना से जुड़ गए थे। सेना में आने से पहले वह अपने मोटापे को लेकर बेहद परेशान रहे थे। ज्यादा वजन होने के कारण उन्हें आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता था। नीरज की कद-काठी को देखकर आस-पास के ग्रामीण उन्हें सरपंच के नाम से भी पुकारते थे।

Tokyo Olympics के लिए चयन होने के बाद से उन्होंने अपनी तैयारियां तेज कर दी थीं। ओलंपिक में प्रतिभाग के दौरान वह आत्मविश्वास से लबरेज रहे। फाइनल मुकाबले के समय उन्हें थोड़ी बहुत बेचैनी महसूस हुई, मगर तनाव को उन्होंने खुद पर हावी नहीं होने दिया। भाला फेंक के पहले राउंड में Neeraj Chopra ने प्रतिद्वंदियों के पसीने छुड़ा दिए थे। उनका भाला इतनी दूर जाकर गिरा था, जिसके आस-पास भी कोई प्रतिद्वंदी अंतिम राउंड तक नहीं पहुंच पाया। ओलंपिक में स्वर्णिम इतिहास रचने के बाद उन्होंने सबसे पहले अपना माथा धरती से लगाया। कुछ सेकेंड तक इसी मुद्रा में रहने के उपरांत वह तिरंगा लेकर मैदान में खुशी से उछलते और दौड़ते रहे। तब तक पूरी दुनिया को भारत के इस एथलीट की कामयाबी की खबर मिल चुकी थी। भारत में मानो जश्न की शुरुआत हो गई।

हरियाणा में नीरज चोपड़ा के गांव में परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने खूब जश्न मनाया। तदुपरांत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विभिन्न दिग्गज हस्तियों ने सोशल मीडिया के जरिए इस स्टार एथलीट की कामयाबी पर प्रसन्नता जाहिर कर बधाई संदेश दिया। हरियाणा के साधारण से गांव से निकला यह युवा अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है। Neeraj Chopra पर इनामों की बारिश भी हो रही है। इसके पहले टोक्यो ओलंपिक में कुछ और खिलाड़ियों ने भारत के लिए पदक जीते हैं, मगर नीरज की जीत सबसे बड़ी जीत है। वह बधाई के हकदार हैं। घर-घर में आज उन्हीं के चर्चे हो रहे हैं। क्रिकेट से इतर खेल में देश का नाम विश्व पटल पर रोशन होना अच्छी बात है। टोक्यो ओलंपिक में भारत की पुरूष हॉकी टीम ने भी पदक प्राप्त किया है।

फ्लाइंग सिख Milkha Singh को भला कौन नहीं जानता। कुछ दिन पहले मिल्खा सिंह का निधन हो गया था। ओलंपिक में एथलेटिक्स का मेडल भारत को न मिलने की बात मिल्खा सिंह को हमेशा अखरती रही थी। जेवलिन थ्रोअर Neeraj Chopra को मिल्खा के मन की यह बात भली-भांति मालूम थीं। अलबत्ता उन्होंने अपने स्वर्ण पदक को फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह को समर्पित करने की घोषणा कर देशवासियों का दिल जीत लिया है। टोक्यो ओलंपिक कई मायनों में भारत के लिए यादगार रहा है। पिछले ओलंपिक के मुकाबले इस बार भारत ने ज्यादा पदक जीते हैं। हालाकि कुछ खिलाड़ियों ने निराश भी किया है।

Tokyo Olympics में पाकिस्तान के जेवलिन थ्रोअर को फाइनल में पांचवां स्थान मिला है। वह भारत के नीरज चोपड़ा के इर्द-गिर्द भी नहीं पहुंच पाए। अच्छी बात यह रही कि दोनों देशों के बीच गंभीर मतभेद के बावजूद खेल मैदान पर खिलाड़ियों में किसी प्रकार का मनमुटाव देखने को नहीं मिला। पाकिस्तान के जेवलिन थ्रोअर ने अपनी हार को स्वीकार कर प्रतिद्वंदी Neeraj Chopra को जीत की बधाई दी है।

Tokyo Olympics में भारत की तरफ से सवा सौ से ज्यादा खिलाड़ियों का दल भेजा गया था, मगर सफलता सिर्फ 7 खिलाड़ियों को मिल पाई है। इस बारे में भी सोच-विचार करने की जरूरत है। आबादी के लिहाज से भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। चीन सर्वाधिक आबादी वाला मुल्क है। यदि टोक्यो ओलंपिक में चीन के खिलाड़ियों को प्राप्त पदकों की तुलना भारत से की जाए तो हमें घोर निराशा होगी। देश में अच्छे खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है। सिर्फ अच्छी प्रतिभाओं को ढूंढकर उन्हें आगे लाने की आवश्यकता है। भारत में खेलों में राजनीति भी जमकर होती है। यह कतई अच्छा नहीं है। खेलों से राजनीति को दूर रखकर भविष्य में बेहतर खिलाड़ियों को आगे लाने का अवसर दिया जाना चाहिए।