दिल्ली में सियासी घमासान, खेला होने का डर

दिल्ली में सियासी तापमान निरंतर बढ़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) में जारी घमासान रूक नहीं पाया है। कथित शराब घोटाले में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घिरने के बाद से आप निरंतर अपना बचाव करने के साथ-साथ भाजपा पर तीखे हमले बोल रही है। सियासी गलियारों में ऑपरेशन लोटस पर चर्चाओं का बाजार गरम है। भाजपा पर दिल्ली सरकार को गिराने की साजिश रचाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। दोनों दलों के बीच की यह जंग कहां जाकर रूकेगी, अभी यह कहना मुश्किल है। केजरीवाल सरकार ने पिछले साल दिल्ली में नई आबकारी नीति लागू की थी। यह नीति पूरी तरह असफल रही। आबकारी नीति में कथित तौर पर घोटाले के चक्कर में आम आदमी पार्टी (आप) बुरी तरह घिरी हुई है। उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है। दरअसल सिसोदिया पर आबकारी मंत्री का प्रभार भी है। सीबीआई जांच शुरू होने से पहले केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति पर पलटी मार ली थी।

ऑपरेशन लोटस ने उड़ाई नींद
नई नीति को आनन-फानन में वापस ले लिया गया था। इसके बावजूद यह विवाद चरम पर है। आप का आरोप है कि भाजपा ऑपरेशन लोटस चलाकर महाराष्ट्र की तर्ज पर दिल्ली सरकार को सत्ता से बाहर करने का षडयंत्र रच रही है। आप के इन आरोपों में कितना दम है, यह तो वहीं जानें, मगर आबकारी नीति में पाई गई खामियों और सीबीआई जांच से डिप्टी सीएम और वरिष्ठ अधिकारियों का आसानी से पीछा छुटना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भाजपा के खिलाफ मुखर हैं। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का बचाव करने के साथ-साथ वह भाजपा पर लगातार गंभीर आरोप लगा रहे हैं। सीएम केजरीवाल ने अब ट्वीट कर भाजपा को घेरने की कोशिश की है। केजरीवाल ने ट्वीट में लिखा है कि दिल्ली सरकार गिराने के लिए इन्होंने 800 करोड़ रखे हैं। प्रति एमएलए 20 करोड़, 40 एमएलए तोड़ना चाहते हैं।

केजरीवाल ने खुद संभाला मोर्चा
देश जानना चाहता है, ये 800 करोड़ किसके हैं, कहां रखे हैं? हमारा कोई एमएलए नहीं टूट रहा। सरकार स्थिर है। दिल्ली में सभी अच्छे कार्य जारी रहेंगे। सीएम केजरीवाल का यह ट्वीट इस बात का गवाह है कि आप अंदर से कितनी डरी हुई है। दिल्ली में आप के कुल 62 विधायक हैं। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन खुद घोटाले में फंसे होने के कारण इन दिनों जेल की हवा खा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री के बाद आप को अब डिप्टी सीएम के जेल जाने का डर भी सता रहा है। ऑपरेशन लोटस की वजह से तनाव में आई दिल्ली सरकार ने आनन-फानन में अपने विधायकों की आपात बैठक तक बुला ली। आप संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से आयोजित इस बैठक में 53 विधायक पहुंचे थे। आप का दावा है कि दिल्ली से बाहर होने के कारण कई विधायक बैठक में नहीं आ पाए हैं। दरअसल आप अपने विधायकों को एकजुट रखकर भाजपा को बड़ा संदेश देना चाहती है। सीएम केजरीवाल से पहले डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी भाजपा पर आप को तोड़ने की साजिश करने का आरोप लगा चुके हैं।

ध्यान भटकाने की राजनीति तो नहीं
उन्होंने कहा था कि भाजपा की ओर से उन्हें भी आफर दिया गया था। उन्होंने दावा किया कि भाजपा नेता की तरफ से की गई कॉल का साक्ष्य भी मौजूद रहे। समय आने पर वह यह सबूत पेश कर देंगे। उधर, आप के आरोप के जवाब में भाजपा भी काफी मुखर है। भाजपा ने दिल्ली सरकार गिराए जाने की कोशिशों के आरोपों को महज ड्रामा बताया है। पार्टी का साफ कहना है कि केजरीवाल सरकार शराब घोटाले से जनता का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बेतुकी बातें कर रही है। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एवं भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने इस संबंध में बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि हमें आपकी (आम आदमी पार्टी) सरकार तोड़ने की कोई जरूरत नहीं है। हम लोग ‘वादा पूरा करने’ की बात करते हैं यही ऑपरेशन लोटस’ है जो पूरे देश में चल रहा है और देश ने देखा है कि 2014 से आज तक सरकार ने कैसा काम किया है। दिल्ली सरकार में महाराष्ट्र का डर साफ देखने को मिल रहा है। पिछले दिनों महाराष्ट्र में एकाएक सत्ता परिवर्तन हो गया था।

शराब घोटाले से पार पाने की चुनौती
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से चल रही महाविकास अघाड़ी गठनबंधन की सरकार रातों-रात धड़ाम हो गई थी। गठबंधन सरकार का नेतृत्व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कर रहे थे। हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना के अधिकांश विधायकों ने बगावत कर उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया था। बाद में बागी विधायकों ने भाजपा से हाथ मिला लिया था। वर्तमान में शिवसेना नेता एवं विधायक शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में सरकार का संचालन हो रहा है। भाजपा और शिवसेना गठबंधन की सरकार आने के बाद राज्य में काफी कुछ बदला है। महाराष्ट्र में यकायक बदले राजनीतिक घटनाक्रम का डर आम आदमी पार्टी (आप) के मन से दूर नहीं हो पाया है। इसलिए आप नेताओं को लगता है कि भाजपा महाराष्ट्र की तरह दिल्ली में भी ‘खेला’ कर सकती है। इसके चलते आप द्वारा भाजपा पर निरंतर आरोप लगाए जा रहे हैं।

केजरीवाल-सिसोदिया की यह दोस्ती
कथित शराब घोटाले ने भी आप हाईकमान की रातों की नींद उड़ा रखी है। आप नेताओं को मालूम है कि सीबीआई के चंगुल से बच निकलना इतना आसान नहीं है। मनीष सिसोदिया को अरविंद केजरीवाल का सबसे करीबी माना जाता है। आप में समय-समय पर उथल-पुथल होती रही। आप से कई दिग्गजों ने मुंह भी मोड़ा, मगर केजरीवाल और सिसोदिया के संबंधों पर इसका तनिक असर नहीं पड़ा। मौजूदा संकट से आप खुद को कैसे बाहर निकाल पाती है, यह देखना दिलचस्प होगा। वैसे भाजपा और आप के मध्य तनातनी का दौर पहले भी चलता रहा है, मगर इस बार मामला ज्यादा सीरियस दिखाई पड़ रहा है। इसके चलते आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को खुद मोर्चा संभालना पड़ रहा है।