पूर्व पीएम शिंजो आबे की हत्या से दुनिया स्तब्ध

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या ने समूची दुनिया को स्तब्ध कर दिया है। दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में शुमार जापान में यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना वाकई हैरान करने वाली है। 67 वर्षीय शिंजो आबे बेहद कुशल राजनीतिज्ञ थे। विभिन्न देशों के साथ जापान के बेहतर रिश्ते कायम करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन दिनों वह चुनाव प्रचार में मशगूल थे। चुनावी जनसभा को संबोधित करते समय उन्हें नजदीक से 2 गोलियां मारी गई। एक गोली सीने में और दूसरी उनके गले में लगी थी। जानलेवा हमले के बाद आबे बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े थे। सुरक्षा टीम के सदस्यों ने आनन-फानन में उन्हें एयरलिफ्ट कर उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया, मगर समय को कुछ और मंजूर था।

डॉक्टरों के प्रयासों से पहले शिंजे आबे दम तोड़ चुके थे। उनके निधन से जापान की राजनीति में एक शून्य उत्पन्न हो गया है, जिसे भरा जाना संभव नहीं हो सकेगा। पूर्व पीएम शिंजो आबे का भारत के प्रति लगाव किसी के छुपा नहीं था। अपने प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान उन्होंने भारत की यात्रा की थी। ऐसे में दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिंजो आबे के अच्छे रिश्ते थे। दोनों राजनेताओं की मुलाकात पहली बार 2007 में हुई थी। इसके बाद समय-समय पर मुलाकात और वार्ता का सिलसिला चलता रहा। शिजो आबे के आकस्मिक निधन से पीएम मोदी भी काफी दुखी हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपनी भावनाओं को देश-दुनिया के सामने रखा है। भारत और जापान के मध्य सामरिक संबंधों में मजबूती के पीछे भी आबे की प्रमुख भागीदारी थी। आर्थिक रूप से संपन्न एवं विकसित जापान में आमतौर पर शांति एवं कानून व्यवस्था की कभी कोई बड़ी समस्या देखने को नहीं मिलती है। आतंकवाद के दंश से भी यह देश काफी दूर है। जापान के नागरिक अमन-चैन पसंद हैं। वह कठित मेहनत के जरिए अपना अलग मुकाम पाने की जद्दोजहद में हमेशा लगे रहते हैं। पूर्व पीएम शिंजो आबे की हत्या में हैंड गन का इस्तेमाल किया गया था।

हमलावर ने हैंड गन से उन पर हमला किया था। वैसे जापान में हैंड गन के सख्त कानून लागू हैं। कानून का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। शिंजो आबे के हत्यारे को सुरक्षा दल ने घटनास्थल पर दबोच लिया था। हत्यारोपी की पहचान तेत्सुया यमगमी के रूप में हुई। 41 साल का शूटर यमगामी जापान की मिलिट्री में रह चुका है। उसने नौसेना में भी सेवाएं दी थीं। शिंजो आबे से सिर्फ 10 फीट की दूरी पर यमगमी ने आबे पर निशाना साधा था। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पूछताछ किए जाने पर शूटर तेत्सुया यमगमी ने सिर्फ इतना कहा कि वह शिंजो आबे के काम से संतुष्ट नहीं था, मगर जांच एजेंसियां उसके इस कबूलनामे से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।

वह पूरे मामले की तह तक जाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। पूर्व पीएम की हत्या के पीछे कोई गहरी साजिश तो नहीं थी, यह सवाल भी जापान की अवाम को परेशान कर रहे है। दरअसल शिंजो आबे निर्विवाद और सरल एवं मधुर व्यवहार के राजनेता थे। जापान की जनता के दिल में वह राज करते थे। उनके नाम और काम को अक्सर सराहा जाता था। शिंजो आबे ने 2006 से 2007 तक और फिर 2012 से 2020 तक जापान के प्रधानमंत्री और उदार लोकतांत्रिक दल (एलडीपी) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री थे। शिंजो आबे का जन्म 21 सितंबर 1954 को टोकियो में एक राजनीतिक रूप से प्रभावशाली परिवार में हुआ था।

उनका परिवार मूल रूप से यामागुची प्रांत से है। उनके दादा कॉन आबे और पिता शिंटारो आबे दोनों ही राजनेता थे। आबे की मां योको किशी 1957 से 1960 तक जापान के प्रधानमंत्री रह चुके नोबुसेकु किशी की बेटी थीं। शिंजो ने आमतौर पर उत्तर कोरिया के संबंध में एक हार्ड-लाइन का रूख किया। खासकर जापानी नागरिकों के उत्तरी कोरियाई अपहरण के बारे में। आबे ने 2007 में जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के मध्य चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता प्रारंभ की थी। वह खुले तौर पर संशोधनवादी संगठन निप्पन कैगी (जापान सम्मेलन) से संबद्ध रखते हैं। आबे ने 1987 में पूर्व रेडियो डिस्क जॉकी आकी मात्सुजाकी से शादी की थी। वह चॉकलेट निर्माता मोरीनागा के चेयरमैन की बेटी हैं।

प्रधानमंत्री के रूप में अपने पति के पहले कार्यकाल के बाद आकी मात्सुजाकी ने टोक्यो के कांडा में एक ऑरगैनिक इजाकाया खोला था। शिंजो आबे के असमय चले जाने से देश और दुनिया ने एक प्रतिभाशाली नेता खो दिया है। आबे हमेशा नए विचारों से भरे रहते थे। शासन, अर्थशास्त्र, संस्कृति, विदेश नीति और कई अन्य मुद्दों पर उनके विचार बहुमूल्य थे। आबे के लिए भारत-जापान संबंध दोनों देशों और दुनिया के नागरिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण थे।

असैन्य परमाणु सहयोग को आगे बढ़ाने में शिंजो आबे अहम थे, जो जापान के लिए सबसे कठिन विषय था। आबे ने भारत में हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए सबसे उदार शर्तों की पेशकश की। पूर्व पीएम आबे में बड़े निर्णय लेने का साहस था। उन्हें दुनिया का समर्थन प्राप्त था। आबे की व्यापक एवनॉमिक्स नीति ने जापानी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया और जापानी नागरिकों के सुधार और उद्यमशीलता की भावना को फिर से जगाया।