योगी उपयोगी ही नहीं बेहद जरूरी भी हैं

लेखक – नरेंद्र चौधरी
उद्यमी एवं समाजसेवी
(लेखक उद्यमी एवं समाजसेवी हैं। अध्यात्म और धर्म-कर्म विषय में विशेष रूचि रखते हैं। यह लेख उदय भूमि में प्रकाशन के लिए लिखा है।)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर प्रशंसा की थी। उनके पांच साल के मुख्यमंत्रित्व काल से पीएम मोदी बेहद खुश और प्रभावित रहे। चुनावी जनसभाओं में पीएम मोदी ने कई बार कहा था कि यूपी के लिए योगी बहुत उपयोगी हैं। मोदी की यह बात आज वाकई सौ फीसदी सच साबित हो रही है। सीएम के तौर पर पहले कार्यकाल में योगी ने वह काम कर दिखाए जो अब से पहले सिर्फ राजनीतिक चर्चाओं में रहते थे। खासकर चुनावी मौसम में नेता लोक-लुभावन वादे तो कर देते थे, मगर बाद में धरातल पर देखने को कुछ नहीं मिलता था।

योगी आदित्यनाथ ने जनहित में जितना कहा, उससे ज्यादा करके दिखाया। नतीजन जनता ने भी उन्हें सिर-आंखों पर बैठाकर दोबारा सीएम पद के लिए सबसे उपयुक्त माना। अब वह अपनी दूसरी पारी को आरंभ कर चुके हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ वर्तमान और भविष्य में यूपी के लिए ना सिर्फ उपयोगी बल्कि बेहद जरूरी भी हैं। यूपी की जनता ने पीएम मोदी के बाद जिस दूसरे राजनेता के प्रति अपनी आस्था और भरोसा जताया है वह सिर्फ और सिर्फ योगी आदित्यनाथ हैं। जनता की मंशा को जानने के बाद योगी अपनी दूसरी पारी में और बेहतर परफोरमेंस दिखाने के लिए शिद्दत से अपने काम में जुट चुके हैं।

दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने ना केवल सरकारी मशीनरी की काम के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की है बल्कि अपने मंत्रियों को भी साफ संकेत दे दिए हैं। मंत्रियों को काम कर अपनी श्रेष्ठता साबित करनी होगी। मंत्रियों को बेवजह की बयानवाजी से बचने की सलाह भी दी गई है। इसका कारण यह है कि किसी संवेदनशील मामले पर सत्ता पक्ष के किसी मंत्री की गलत टिप्पणी से जनता में यदि गलत मैसेज जाता है तो इससे सरकार की छवि प्रभावित होती है। योगी सरकार की सत्ता में पुन: वापसी के बाद उत्तर प्रदेश का माहौल बदल चुका है। नई सरकार के गठन के बाद से अब तक पचास से ज्यादा अपराधी पुलिस के समक्ष आत्मसर्पण कर चुके हैं।

इन अपराधियों को एनकाउंटर होने का डर या बुलडोजर से घर ढहा दिए जाने की आशंका थी। यही नहीं कई अपराधियों ने गले में कार्ड लटका रखा था, जिसमें लिखा था कि मैं सरेंडर कर रहा हूं। कृपया गोली न चलाएं। विभिन्न थानों में कई अपराधी चलकर गए और सरेंडर कर दिया। माना जा रहा है कि योगी सरकार की वापसी होने के बाद खौफ में आकर अपराधी ऐसा कर रहे हैं। पिछले पांच साल के कार्यकाल में योगी के रूप में उत्तर प्रदेश ही नहीं देश को भाजपा ने एक नया और बिल्कुल स्पष्टवादी नेता दिया। ऐसा नेता, जो अपनी धार्मिक भावना के साथ चलकर सबका साथ-सबका विकास का मूलमंत्र लेकर देश के सबसे बड़े राज्य में व्यापक सुधार लाने के साथ-साथ देश के राष्ट्रवादियों के दिल में राज भी करना जानता है।

पिछले पांच साल में वोट के नाम पर राजनीति करने वाले तमाम राजनेताओं और वामपंथियों ने योगी आदित्यनाथ की छवि को एक विशेष वर्ग का समर्थन और विशेष वर्ग का विरोध करने वाला बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सही कहा है कि प्रदेश में वंशवाद और जातिवाद की राजनीति नहीं चलेगी। सुशासन और गरीब कल्याण के लिए पहले भी काम किया गया था और आगे भी जारी रहेगा। उत्तर प्रदेश को नंबर वन अर्थव्यवस्था बनाया जाएगा। दरअसल अर्थव्यवस्था ही वह कमजोर नब्ज है, जहां सरकार की वास्तविक परख होने वाली है। यदि मुख्यमंत्री यूपी को नंबर वन अर्थव्यवस्था बनाने का सपना देख रहे हैं, तो उनका सहर्ष स्वागत है।

उत्तर प्रदेश जैसे राज्य का विकास देश की चंद बहुत बड़ी चुनौतियों में शुमार है। यहां विकास की बुनियादी रूपरेखा को और दुरुस्त करने की जरूरत है। यमुना एक्सप्रेस-वे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे जैसी बड़ी परियोजनाओं के पूरा होने से प्रदेश में विकास की बुनियाद सशक्त हुई है। आज उत्तर प्रदेश के पास ऐसा बहुत कुछ है, जिस पर सब गर्व कर सकते हैं। अभी जो परियोजनाएं चल रही हैं, उन्हें जल्द पूरा करने पर प्रदेश सरकार का जोर होना चाहिए। चुनाव अगर श्रेय लेने का समय होता है, तो जनता ने योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार को श्रेय दे दिया है, मगर अब फिर काम में लग जाने का समय है।

विधायक दल को संबोधित कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो सकारात्मक बातें की हैं, उन्हें साकार करने में सरकार को लग जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार की जरूरत है, तो राज्य सरकार को ऐसे तमाम प्रबंध करने चाहिए, जिनसे प्रदेश में निवेश बढ़े। भौगोलिक और व्यावसायिक लिहाज से उत्तर प्रदेश एक बेहतर जगह है, पर इस प्रदेश को जितना मिलना चाहिए, उतना नहीं मिला है। भारी राजनीतिक बढ़त या वजूद को आर्थिक विकास में तब्दील करने का समय आ गया है। डबल इंजन की सरकार है और यूपी के लिए इससे अच्छा मौका अब कब आएगा? पिछल पांच साल में योगी आदित्यनाथ के एक्शन मॉडल की खूब चर्चा देशभर में रही, वहीं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण संबंधित प्रक्रियाओं और सरकार के स्टेप के निर्णय ने देश ही नहीं दुनियाभर के सनातनियों का ध्यान खींचा और योगी आदित्यनाथ ने सराहना बटोरी।

कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ की छवि को उत्तर प्रदेश की जनता ने वृहद स्तर पर स्नेह दिया और ये कहा कि समय की मांग योगी मॉडल ही है। मठ के महाराज और बाबा समय के साथ बुलडोजर बाबा कहलाने लगे। योगी सदा भगवा रंग के वस्त्र में ही दिखे हैं। बुलडोजर हाइवे भी बनाता है, बाढ़ रोकने का काम भी करता है। इसके अलावा माफिया से अवैध कब्जों को भी मुक्त कराने का काम करता है। गत पांच वर्ष में यूपी सरकार ने मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, विजय मिश्रा और कंटू सिंह जैसे तमाम माफिया की लगभग 2 हजार करोड़ की अवैध संपत्ति पर कब्जे हटाए और भव्य इमारतें जमींदोज कर दी गई। यानी बुलडोजर चला। बुलडोजर चलने का परिणाम विधान सभा चुनाव के बाद भी देखने को मिला और आज भी दिखाई दे रहा है।