ट्विन टावर : क्या भ्रष्टाचार की इमारत भी कभी गिर पाएगी ?

लेखक:- प्रदीप गुप्ता
(समाजसेवी एवं कारोबारी हैं। व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और राजनीतिक एवं सामाजिक विषयों पर बेबाकी से राय रखते हैं।

दिल्ली से सटे नोएडा शहर में भ्रष्टाचार की नींच पर खड़ी की गई बहुमंजिला इमारत आजकल सुर्खियों में है। ट्विन टावर नामक यह इमारत रविवार को गिरा दी जाएगी, मगर ज्वलंत सवाल यह है कि देश में क्या भ्रष्टाचार की इमारत को भी कभी जमींदोज किया जा सकेगा। सुरसा के मुंह की तरह बढ़ते भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में कोई भी सरकार सफल नहीं हो सकी है। आज से लगभग 1 साल पहले 31 अगस्त 2021 को देश कि सबसे बड़ी अदालत ने नोएडा सेक्टर 93ए में बने सुपरटेक ट्विन टावर को अवैध घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ये माना था कि ट्विन टावर को बनाने में नियमों की अनदेखी हुई है। इतना ही नहीं इस मामले में नोएडा अथॉरिटी के भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी।

इसके साथ ही ये आदेश भी दिए थे कि 3 महीने में यानी नवंबर 2021 तक टावर को गिरा दिया जाए। इस फैसले को एमराल्ड कोर्ट सोसायटी के बायर्स की बड़ी जीत की तरह देखा गया क्योंकि रियल स्टेट के सेक्टर में ये बायर और बिल्डर के बीच एक बड़ा मुद्दा था। जिसमें बायर्स की जीत हुई थी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है की क्या सुपरटेक के इन दो टावरों को गिराने के बाद रियल स्टेट सेक्टर में भ्रष्टाचार पर लगाम लग पाएगा? इस बात की क्या गारंटी है कि भविष्य में इस तरह की कोई और भ्रष्टाचार की नई इमारत खड़ी नहीं हो पाएगी? क्या देश में इस तरह की और अनगिनत इमारतें जो नियम-कानून को ताक पर रखकर बनाई गई है उसके खिलाफ भी कोई कार्रवाई होगी? इस फैसले के बाद लोग अपने-अपने तरीके से इसका विश्लेषण कर रहे हैं और ये कह रहे हैं कि बिल्डर की हार हुई और बॉयर्स की जीत हुई।

लेकिन मैं ये पूछना चाहता हूं कि क्या इस इमारत को बनाने के लिए सिर्फ बिल्डर ही जिम्मेदार है? नोएडा प्राधिकरण के वह तमाम अधिकारी और कर्मचारी भी उतने ही जिम्मेदार नहीं हैं जिनकी सहमति या मिलीभगत से यह इमारत खड़ी हो पाई। फायर डिपार्टमेंट, बिल्डिंग हाइट डिपार्टमेंट, पर्यावरण डिपार्टमेंट, बिल्डिंग स्ट्रक्चर डिपार्टमेंट, सुरक्षा डिपार्टमेंट, तथा अन्य अनेक प्रकार के डिपार्टमेंट जिन्होंने इस को बनाने की एनओसी दी, उनके कर्मचारियों पर कोई ठोस कार्रवाई हो पाएगी? क्या उनकी पेंशन और भत्ते हमेशा के लिए रोके जाएंगे?क्या उन सब कर्मचारी और अधिकारियों को जेल डाला जाएगा? क्या उस समय अथॉरिटी के सीईओ और टाउन प्लानर को कभी सरकार जेल भी भेज पाएगी या नहीं? क्या सरकार रेरा की तरह कोई ऐसा एक्ट लेकर आएगी जो आगे ऐसा ना हो पाए ।यह सब आम जनता के बड़े सवाल हैं जिनका जवाब सरकार को और सुप्रीम कोर्ट को देना चाहिए।

अच्छा तो तब होता जब बिल्डिंग तोडऩे से पहले ही, उस समस्त कर्मचारियों और अधिकारियों को जेल पहुंचाया जाता। सुप्रीम कोर्ट, उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार आप जिस तरह से बॉयर्स के हितों की रक्षा के लिए आरईआरए कानून लेकर आए हैं, उसी तरह से बिल्डरों के हितों की रक्षा के लिए भी कोई कानून जल्द से जल्द बनाया जाएं ताकि भविष्य में भ्रष्टाचार की इस तरह की कोई और इमारत खड़ी ना हो सकें। जनता का और बिल्डर का पैसा बर्बाद ना हो सके। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश के विकास में रोजगार में और राजस्व में बिल्डर का एक बहुत बड़ा योगदान है।