बच्चों को नए जमाने के निकोटीन उत्पादों से बचाने के लिए एमएवी ने लॉन्च किया क्रांतिकारी शैक्षणिक टूलकिट

-‘हमारा भविष्य, हमारी लड़ाई’ पहल से बच्चों को वैपिंग, निकोटीन गम और पाउच के खतरों की सटीक जानकारी
-नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और परफॉर्मेंस आर्ट के माध्यम से बच्चों में जागरूकता और रचनात्मकता का संचार
-मेडिकल विशेषज्ञ, पुलिस अधिकारी और शिक्षकों ने बच्चों को स्वस्थ और निकोटीन मुक्त जीवन के लिए प्रेरित किया

उदय भूमि संवाददाता
नई दिल्ली। इस बाल दिवस पर बच्चों को एक सशक्त और सार्थक उपहार मिला है। मदर्स अगेंस्ट वैपिंग (एमएवी) ने ‘हमारा भविष्य, हमारी लड़ाई’ (अवर फ्यूचर, अवर फाइट) नामक नया शैक्षणिक टूलकिट लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य बच्चों को नए जमाने के निकोटीन उत्पाद जैसे वैप्स, गम और पाउच के खतरों के प्रति जागरूक करना है। हरकोर्ट बटलर सीनियर सेकेंडरी स्कूल, मंदिर मार्ग, नई दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में कक्षा 8 से 12 तक के 500 से अधिक बच्चों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में परफॉर्मेंस आर्ट का विशेष उपयोग करते हुए बच्चों को इंटरैक्टिव और रोचक तरीके से वैपिंग और निकोटीन उत्पादों के हानिकारक प्रभावों से अवगत कराया गया। कार्यक्रम के दौरान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया, पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता आयोजित की गई और छात्रों ने मार्च पास भी निकाले। इन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों में स्वास्थ्य और जागरूकता की भावना को बढ़ावा दिया गया।

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन और भारत सरकार के पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने कहा कि वैपिंग और नए जमाने के निकोटीन उपकरण बच्चों के स्वास्थ्य के लिए घातक हैं। इनकी लुभावनी मार्केटिंग से किशोरों को बहकाया जा रहा है। जागरूकता, सही जानकारी और खुलकर बातचीत ही बच्चों को निकोटीन की लत से बचा सकती है। सुप्रीम कोर्ट सुरक्षा के डीसीपी और सम्मानित अतिथि जितेंद्रमणि त्रिपाठी ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी में ऊर्जा और उत्साह है। उन्हें सही मार्गदर्शन और माता-पिता एवं शिक्षकों के समर्थन से ही निकोटीन उत्पादों से दूर रखा जा सकता है। जो छात्र अपने शिक्षकों और माता-पिता का सम्मान करते हैं, वे कभी ऐसे खतरनाक उत्पादों के जाल में फंसेंगे नहीं।

कार्यक्रम में छात्रों को ‘नए जमाने के निकोटीन उत्पादों के खतरे’ विषय पर पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। निर्णायक मंडल ने बच्चों की पेंटिंग की समीक्षा कर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को प्रमाणपत्र प्रदान किया। प्रधानाचार्य समीर कुमार गंगढ़ ने कहा कि बच्चों को निकोटीन एडिक्शन के खतरों से बचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। जब शिक्षा को क्रिएटिविटी और एन्फोर्समेंट के साथ जोड़ा जाता है, तो बदलाव की ताकत बढ़ती है। बच्चों को यह समझना चाहिए कि असली ताकत ऐसे खतरों को न कहने और बचाव करने में है।

प्रसिद्ध पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. हरीश भाटिया ने वैपिंग और निकोटीन उत्पादों से श्वसन तंत्र पर पडऩे वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में छात्रों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फेफड़ों की सूजन, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और मस्तिष्क के विकास पर प्रभाव किशोरों में बढ़ रहा है। इस इंटरैक्टिव सत्र से बच्चों ने सही विकल्प चुनने और लत से बचने का महत्व समझा। कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने फैक्ट कार्ड गतिविधि में भाग लिया, जिसमें वैप्स, ई-सिगरेट और निकोटीन पाउच के हानिकारक प्रभाव उजागर किए गए। बच्चों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 29 सितंबर, 2019 के ‘मन की बात’ संबोधन की जानकारी भी दी गई, जिसमें ई-सिगरेट पर प्रतिबंध और किशोरों को बचाने के प्रयासों की बात कही गई।

कार्यक्रम का समापन सभी छात्रों और शिक्षकों द्वारा निकोटीन मुक्त जीवन और स्वास्थ्यपूर्ण भविष्य के लिए सामूहिक शपथ के साथ हुआ। यह पहल बच्चों को वैपिंग और अन्य खतरनाक निकोटीन उपकरणों से दूर रहने और अपने स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए जागरूक करती है। इस कार्यक्रम ने शिक्षा, कला और स्वास्थ्य के माध्यम से बच्चों में जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना को मजबूत किया, जिससे आने वाली पीढ़ी एक स्वस्थ, सुरक्षित और निकोटीन मुक्त भविष्य की ओर कदम बढ़ा सके।