-आईजीआरएस पोर्टल और लंबित मामलों की समीक्षा में उपाध्यक्ष ने जताई नाराज़गी, अधिकारियों से मांगा स्पष्टीकरण
उदय भूमि संवाददाता
गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में आईजीआरएस पोर्टल सहित अन्य माध्यमों से आने वाली शिकायतों के समय पर निस्तारण न किए जाने पर जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। गुरूवार को जीडीए सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में उपाध्यक्ष ने अधिकारियों की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और स्पष्ट निर्देश दिए कि जनसंदर्भों का समयबद्ध निस्तारण होना चाहिए, अन्यथा इसकी जवाबदेही अधिकारियों पर होगी। बैठक में उपाध्यक्ष ने हेल्पलाइन, शासन, मेरठ मंडलायुक्त और जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से प्राप्त जनसंदर्भों एवं शिकायतों की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जनसुनवाई प्रणाली के माध्यम से आने वाली शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई की जाए और संबंधित पक्ष को अवगत कराया जाए। इस दौरान किसी प्रकार की ढिलाई या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
विशेष रूप से उपाध्यक्ष ने प्रवर्तन जोन-8 के प्रभारी और अधीनस्थ स्टाफ से मामलों का समय पर निस्तारण न किए जाने पर स्पष्टीकरण तलब किया। इसके अलावा, प्रवर्तन जोन-1 और 6 के अधिकारियों को हेल्पलाइन पर प्राप्त शिकायतों का जवाब न देने पर चेतावनी जारी करने के निर्देश दिए गए। उपाध्यक्ष ने विलंबित कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई और संबंधित अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। बैठक में 978 लंबित प्रकरणों की स्थिति पर भी चर्चा हुई, जिनमें जीडीए स्तर से काउंटर शपथ पत्र दाखिल करना बाकी था। अधिकारियों ने बताया कि अब तक लगभग 240 प्रकरणों में काउंटर शपथ पत्र दाखिल करना शेष है।
इस पर उपाध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि काउंटर शपथ पत्र दाखिल करने की संख्या को जल्द ही 100 से कम किया जाए। उन्होंने कहा कि न्यायालय के अधीन मामलों में सक्रियता और पारदर्शिता ही प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को मजबूत बनाएगी। उपाध्यक्ष ने बैठक में यह भी निर्देशित किया कि सभी अधिकारियों को आईजीआरएस पोर्टल पर संदर्भों का गुणवत्तापूर्वक निस्तारण सुनिश्चित करना होगा, ताकि जनपद की छवि शासन के समक्ष सकारात्मक और भरोसेमंद बनी रहे।
उन्होंने अधिकारियों को चेताया कि लापरवाही और उदासीनता के लिए किसी को भी छूट नहीं दी जाएगी। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स की यह कड़ी कार्रवाई यह संदेश देती है कि जनपद की जनता के प्रति जिम्मेदारी और समय पर शिकायतों का निस्तारण सर्वोच्च प्राथमिकता है। उनका कहना है कि अधिकारियों की सक्रियता, पारदर्शिता और जवाबदेही से ही प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और मजबूत बन सकती है और लंबित मामलों में सुधार और त्वरित निस्तारण सुनिश्चित किया जा सकता है।