राहत : सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम मंजूरी

मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट की अड़चन दूर

नई दिल्ली। मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा की सुप्रीम अड़चन दूर हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके अंतर्गत संसद भवन की नई इमारत का निर्माण होना है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के खिलाफ कोर्ट में कई याचिका दायर की गई थीं। कोर्ट ने पर्यावरण कमेटी की रिपोर्ट को भी नियमों को अनुरूप माना है। कोर्ट ने लैंड यूज चेंज करने के आरोप की वजह से सेंट्रल विस्टा की वैधता पर सवाल खड़े करने वाली याचिका को फिलहाल लंबित रखा है। इस प्रकरण में जस्टिस ए.एम. खानविल्कर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की 3 जजों की बेंच ने आज अपना फैसला सुनाया। देश की शीर्ष अदालत का कहना है कि हम सेंट्रल विस्टा परियोजना को मंजूरी देते समय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को कायम रखते हैं। कोर्ट ने कहा कि निर्माण कार्य आरंभ करने के लिए धरोहर संरक्षण समिति की मंजूरी जरूरी है। अदालत ने अपने फैसले में केंद्र सरकार से कहा कि निर्माण आरंभ करने से पहले सरकार हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी ले। 3 जजों की बेंच में फैसला दो एक के बहुमत में है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कुछ बिंदुओं पर अलग विचार रखे हैं। उन्होंने प्रोजेक्ट का समर्थन किया है, मगर लैंड यूज में बदलाव से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि यह परियोजना आरंभ करने से पहले हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की स्वीकृति लेना जरूरी था। बता दें कि कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद की आधारशिला रखी थी। इस दरम्यान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे शिलान्यास करने पर कोई आपत्ति नहीं है, मगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई निर्माण, तोड़-फोड़ या पेड़ गिराने अथवा स्थानांतरित करने का काम ना हो। अब सुप्रीम कोर्ट लैंड यूज मामले में सुनवाई करेगा। बता दें कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर कांग्रेस ने भी सवाल उठाए थे।