मेवाड़ में धूमधाम से मनाई गई वीर सावरकर जयंती

देश को बचाने के लिए खुद को करें मजबूत: डॉ. गदिया

गाजियाबाद। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में आयोजित वीर सावरकर जयंती समारोह में इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि देश तभी बचेगा जब हम सशक्त बनेंगे। हमारी सभ्यता, संस्कृति और महापुरुषों को जिन्दा रखना है तो हमें आर्थिक, भौतिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनना होगा। तभी हम विश्वगुरु बन सकते हैं। अभी विश्व में हमारी भागीदारी मात्र दो प्रतिशत है। जब यह बढ़कर 50 से 60 प्रतिशत हो जाएगी तो हमें विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि देश के महानायक नरेन्द्र मोदी के विचारों में वीर विनायक दामोदर सावरकर बसे हैं। जो वीर सावरकर समाज व देश के हित में सोचते थे, ठीक वैसी ही सोच नरेन्द्र मोदी का है। वीर सावरकर जयंती पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने ये बातें विद्यार्थियों को बताईं।

उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि वीर सावरकर जातिविहीन समाज की रचना करना चाहते थे, अब मोदी जी भी इसी सपने को साकार करने के लिए प्रयासरत हैं। सावरकर चाहते थे कि दलितों, शोषितों व पीडि़तों को हरिजन कहा जाए, मोदी जी भी इसी पक्ष में हैं। सावरकर की तरह मोदी भी युवाओं के प्रथम प्रणेता माने जाते हैं। सावरकर सैनिकों का शस्त्रीकरण करने के पक्षधर थे तो मोदी जी भी सेना के लिए बेहतरीन सोच रखते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को आज नौकरियां मिलें, यह तो जिंदगी का एक सफल मकसद हो सकता है मगर देश और समाज के लिए युवाओं को प्रेरित कर सकें, यह एक शिक्षक का काम है। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस इसी भावना को मिशन के रूप में लेकर निरंतर कार्यरत है। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर मुस्लिम विरोधी कतई नहीं थे। वह 200 सबजातियों में बंटी हिन्दू संस्कृति के खिलाफ थे। इस संस्कृति को संगठित करना ही उनका मकसद था। उन्होंने कहा कि अपनी समस्या खुद ही हल करनी होगी। डॉ. गदिया ने वीर सावरकर के जीवन के अनेक संदर्भों को शब्दचित्र के जरिये रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि यातनाएं सहने से कभी नहीं डरना चाहिए। यातनाएं सहने वाला लम्बी आयु जीता है। वीर सावरकर का जीवन इसका एक सशक्त उदाहरण है। उन्होंने एक रोचक संदर्भ से इस बात की पुष्टि की। इससे पूर्व डॉ. गदिया, मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल आदि ने वीर सावरकर, शारदे मां व भारत माता के चित्र के समक्ष दीप जलाया और पुष्प अर्पित कर अपनी भावांजलि दी। इस अवसर पर डॉ. अलका अग्रवाल ने कहा कि वीर सावरकर के पूरे परिवार ने देश को स्वतंत्र कराने की खातिर अपने पूरे परिवार का बलिदान किया। यह बलिदान ऐतिहासिक है। समारोह में रिचा एंड ग्रुप, हंशिका, नेहा, तान्या, मीनू एंड ग्रुप, शिवानी, गरिमा, शिखर, रूपल, विनय आदि ने सम्भाषण, कविताएं, समूह गान आदि से कार्यक्रम में चार चांद लगाए। समारोह का सफल संचालन छात्रा अंजलि और आशु ने किया। इस अवसर पर मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस का समस्त स्टाफ मौजूद रहा।