धौलाना विधानसभा के पहले विधायक बनने का गौरव हासिल करने वाले कर्मठ एवं जुझारू जनप्रतिनिधि के रूप में विख्यात धर्मेश तोमर की छवि विकास पुरूष की बन चुकी है। उनकी छवि जब विपक्षी नेताओ के दिलो-दिमाग पर दस्तक देती है, तो वह भले ही दबी जुबान में स्वीकारते है कि उनकी काम कराने की कार्यशैली उन्हें भी प्रभावित करती है। खांटी राजनीति करने वाले धर्मेश तोमर मानते है जो अपना है उसे गले लगाकर रखो, अपना होकर भी पराए सा व्यवहार रखने वाला न समर्थन कर सकता है और न सच्चा सर्मथक हो सकता है। वह कहते है सर्मथन और समर्थक हर किसी को नही मिलते इनकी कद्र करनेे वाला ही जनता के दिलों पर राज करता है। क्षेत्र की जनता भी मानती है कि जुझारू और कर्मठ विधायक के रूप में जन जन तक पैठ बना चुके विधायक धर्मेश तोमर ने विधानसभा क्षेत्र में विकास का खाका खींचा था उसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और निष्ठा का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है। ऐसा संकल्प विरले ही जन प्रतिनिधियों में देखने को मिलता है। उन्होंने विधानसभा क्षेत्र में रिर्काड तोड विकास कार्य कराए। जनता के बीच जो विकास पुरूष की छवि स्थापित कर मुकाम हासिल किया वह अद्भुत है, अद्वितीय है। जुझारू और कर्मठ जनप्रतिनिधि के रूप में जन जन पैठ बना चुके हैं। पूर्व विधायक व भाजपा नेता धर्मेश तोमर से उदय भूमि के विशेष संवाददाता अनिल तोमर के साथ हुई बातचीत के अंश।
सवाल – पिता प्रधानाचार्य, भाई इंजिनियर्स और आप पालिटिशियन आखिर क्यों चुनी राजनीति ?
जवाब – राजनीति इसलिए चुनी कि देश में लोकतंत्र है और राजनीति इस लोकतंत्र का माध्यम है। लोकतंत्र के मूल्यों, उसकी जो मान्यता हैं। उन्हीं के अनुसार देश- समाज चलता है। पोस्ट ग्रेजुएट, बी एड व अन्य पढ़ाई पूरी करने के बाद ठेकेदारी की फिर ,राजनीति की ओर चले आए।
सवाल- राजनीति में लाने का श्रेय किसे देंगे और आपका राजनैतिक सफर कैसा रहा है ?
जवाब – ईश्वर ने जैसा चाहा वैसा हुआ, परिस्थितियां राजनीति के अनुकूल बनती चली गई और मन रमता गया। वर्ष 1995 में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा और जीता, उसी योजना में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद रिक्त होने पर बाई इलेक्शन जिला पंचायत अध्यक्ष बना और वह डेढ़ वर्ष तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहा। काफी विकास कार्य कराए,
मेला टैक्स फ्री कराया, वर्ष 2002 में पहला चुनाव लडा और 4000 मतों से हारा, दूसरा चुनाव 2007 में 11 हजार मतों से हारा, धौलाना विधानसभा बनी और तीसरा चुनाव फिर सपा से 2012 में चुनाव लड़ा और 60 हजार से अधिक मत मिले और चुनाव जीता। 2017 में फिर सपा से चुनाव लड़ा और 72 हजार से अधिक मतों से बढ़त बनाई और चुनाव हारा।
सवाल – पूर्व विधायक होने के बाद भी समाज में आज भी विधायक वाली छवि का राज क्या है ?
जवाब – मैंने 1995 के बाद लगातार अपने बैठने का स्थान और समय तय किया। मैं अपने स्थान पर निर्धारित समय पर लोगों से मिलता हूं। जबकि विधानसभा क्षेत्र में अन्य नेता लोग यह मेंटेन नहीं कर पाते। स्थानीय होने के नाते सभी केे संपर्क में रहता हूं। मैं किसी पद पर रहूं या ना रहूं, जनता के बीच अपने शहर में रहता हूं और पूरी तरह जनता के प्रति समर्पित हूं। जबकि अन्य नेता जनता से दूरी बना कर नोएडा, गाजियाबाद में बड़ी-बड़ी अट्टालिका में रहते हैं ।और उनकी जनता तक पहुंच नहीं हो पाती है। यही कारण हैै कि जनता के बीच रहने वाले ही जनता के दिलों में रहते हैं। यह तो जनता ही बेहतर बता सकती है। आमजन के मन की पीड़ा को अपनी समझ कर काम करने की मेेेेरी शैली रही है। बिना लाग लपेट के मुद्दे की बात करना,अपने समर्थक का साथ देना और उसके सम्मान को सर्वोपरि रखना मेरी पहली और अंतिम प्राथमिकता है। रही बात छवि की बात, तो यह आपकी कार्य प्रणाली से बनती है
सवाल- जनता से मिला विकास पुरूष का खिताब पर क्या कहेगें ?
जवाब – कुछ करने की तमन्ना थी, दो बार चुनाव हारे थे, एमएलए बने, तीसरे चुनाव में विधायक बना, अपने कार्य काल में 5 साल का एक-एक क्षण जनता के काम करने में बीता। क्षेत्र का विकास कैसे हो, जनता की समस्याओं के समाधान कैसे हो, पिलखुवा में आए दिन होने वाले अपराध और कैसे अंकुश लगाया जाए, इन सब पर पूरे मन से जनता के हित में काम किए। जनता ने अपने दिमाग में जो छवि बसाई है, उस पर हम लगातार कार्य कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा। मेरा मानना है कि विकास कार्यों की सतत प्रक्रिया यदि सुचारू रूप से जारी रहे तो विधान सभा के प्रत्येक गांव की कायाकल्प हो सकेगी। जनता ने जिन वादों पर मुझे चुनकर लखनऊ भेजा था। उन्हीं वादों को पूरा करने के लिए मैने क्षेत्र में कार्य कराए थे। वर्तमान विधायक विकास कार्यों से कोसों दूर है।
सवाल – दो दशक से अधिक समय तक समाजवादी विचारा को बढाने के बाद अब राष्ट्रवादी विचार धारा के साथ कैसे ताल-मेल बिठा रहे हैैं। गुटबाजी की दल-दल में आखिर कमल कैसे खिलेगा ?
जवाब – सही सवाल कि आखिर कैसे गुटबाजी में कमल खिलेगा। तो मैं बता दूं गुटबाजी वाले लोगों का कोई वजूद नहीं है। यदि सारे गुटबाज एक भी हो जाए तो 5 सौ वोट भी नहीं रोक पाएंगे। किसी का भी ऐसा वजूद नहीं जो भाजपा का मत रोक ले। जो गुटबाज हैं वह परजीवी हैं। मेरा मानना है कि अच्छे लोग गुटबाजी में मे नहीं पड़ते। आधारहीन ही संभवत गुटबाजी करते हैं। कमजोर लोग भाजपा प्रत्याशी रहे हैं। ऐसे लोगों से भाजपा का भला होने वाला नहीं है। जो लहर में भी नही जीते हो, उनसे पार्टी का क्या भला होगा? यह पार्टी और जनता भलि भांति जानती है। मेरा मानना है कि विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम डेढ़ लाख मतदाता है और 40 हजार दलित मतदाता। करीब दो लाख मतदाताओं में जिनका वजूद तक नहीं आखिर वह कैसे कमल खिलाएंगे यह मेरी समझ से परे है।
सवाल – आप सपा में रहे या भाजपा में आपका अपना वोट बैंक है। ऐसी चर्चा राजनीति के गलियारों में चलती है ऐसा कैसे सम्भव है?
जवाब – बिल्कुल मैं निश्चित रूप से मानता हूं कि मेरा बहुत बड़ी तादाद में मुस्लिम, दलित वर्ग में भी वोट बैंक है। जो मेरा व्यक्तिगत है मैं कहीं भी रहूं वह मेरे साथ रहता है तीन दशक से राजनीति में हूं। मतदाता जैसे-जैसे बढ़ते गए समर्थक व शुभचिंतक भी बढ़ते गए। यही मेरा हौसला, मेरी ताकत और मेरा विश्वास है। पार्टी की जीत के लिए पूरे मनोयोग और कर्म योग से पार्टी की विचारधारा को जन जन तक पहुंचाने में जुटा हूं।
सवाल- उदय भूमि से बातचीत करने के लिए आपने समय निकाला आपका धन्यवाद।
जवाब – आपको भी धन्यवाद। सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं। उदय भूमि इसी तरह निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता करते हुए समाज को जागृत करता रहे। आपकी पूरी टीम को शुभकामनाएं।