बच्चों को संस्कारी बनाने में माता-पिता निभाएं नैतिक जिम्मेदारी: शैलेष पाण्डेय

-जागरूकता से होता है शिक्षा की समझ का संबंध: द्वारिका प्रसाद अग्रवाल
-सविता स्मृति सरोज फाउंडेशन के स्थापना दिवस पर विविध आयोजन
-शिक्षा की समझ और सामाजिक व्यवहार विषय पर परिचर्चा

बिलासपुर, छत्तीसगढ़। सविता स्मृति स्वरूप फाउंडेशन का आरंभ 31 दिसंबर को सविता प्रथमेश के जन्मदिन के अवसर पर किया गया। इस अवसर पर फाउंडेशन की नाम पट्टिका का अनावरण शिक्षाविद् बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय द्वारा किया गया। इसके पश्चात शिक्षा की समझ और सामाजिक व्यवहार विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन प्रीतपाल बाली और व्यक्तित्व उत्प्रेरक, प्रसिद्ध लेखक द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ने उद्बोधन दिया। अग्रवाल ने कहा कि पहले शिक्षा की समझ मातृभाषा में थोड़ी बहुत संभव थी अब अंग्रेजी माध्यम में वह भी संभव नहीं है। शिक्षा का मतलब अब ज्ञान प्राप्ति नहीं बल्कि जानकारियां एकत्र कर उन्हें याद रखना हो गया है।

शिक्षा की समझ से तात्पर्य है कि देश का हर नागरिक एक दूसरे का सम्मान करे। शिक्षा की समझ का संबंध जागरूकता से होता है। बाली ने कहा कि हमें अपने मां बाप से समाज से बचपन से ही ऐसे संस्कार मिलते हैं कि यदि हम उन्हें ही याद रखें और उनके अनुसार ही व्यवहार करें तो हममें शिक्षा की वह समझ आ जाएगी जिसके लिए आज हमें ऐसी परिचर्चाएं करनी पड़ रही हैं। हमारे संस्कार थे कि हम अपने पड़ोसी से बात बात में पूछ लेते थे कि आज उसके घर खाना बना है कि नहीं और यदि उसे कोई परेशानी रहती थी तो बगैर उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाए उसकी सहायता कर देते थे, यही शिक्षा की समझ और सामाजिक व्यवहार होता है।

कार्यक्रम में कुमारी आकांक्षा बाजपेयी ने मंथरा एक सत्य विषय पर मंथरा का प्रभावोत्पादक एकल अभिनय कर उपस्थितजनो को मंथरा के अलग रूप से परिचित कराया। कुमारी शुभांगी बाजपेयी ने अपनी गंभीर और विचार करने लायक कविताओं का पाठ किया। फाउंडेशन के कार्यों के बारे में जानकारी संस्थापक और निदेशक प्रथमेश सविता ने दी और कहा कि यह फाउंडेशन कंपनी एक्ट के सेक्शन आठ में रजिस्टर्ड है इसके शेयर लेने पर आपको जो लाभांश मिलेगा वह अमूल्य होगा। फाउंडेशन द्वारा हरदेवदत्त व किरण मिश्र के हाथों कुमारी निधी तिवारी को उनकी संस्था निधी जीवाश्रय को पशु सेवा वाहन मारुति वैन की चाबी प्रदान की गई।

बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि पहले हम बच्चों को चलना खेलना सिखाते हैं दौडऩा सिखाते हैं फिर बड़े होने पर उनपर पढ़ाई का बोझ डालकर खेलने दौडऩे से मना करते हैं। हर माता पिता अपने कर्तव्य बोध के रूप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देता है। हमें मूल्यों पर आधारित शिक्षा से लोगों को शिक्षित करना पड़ेगा, प्रशिक्षण भी देना होगा और संस्कारवान भी बनाना होगा।

विधायक शैलेष पांडेय ने सविता स्मृति स्वरोज फाउंडेशन को उसके कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए अपना एक माह का वेतन प्रदान करने की मंशा जाहिर की और आगे भी शासन प्रशासन और निजी रूप से सहयोग देने का वादा किया। कार्यक्रम का प्रभावपूर्ण संचालन ऐश्वर्य लक्ष्मी बाजपेयी ने और भावपूर्ण आभार प्रदर्शन शिवा मिश्रा ने किया।