अब्दुल समद ने हाथ जोड़ें, सभी से मांफी मांगी फिर भी नहीं मिली माफी। आजम खान के करीबी विवादित IAS अधिकारी अब्दुल समद को एक दिन के जेल की सजा सुनाई गई। विवादों से अब्दुल समद का पुराना नाता रहा है। मेरठ और गाजियाबाद के नगर आयुक्त रहते हुए मनमानी करने और चेहेतों को हर तरीके से लाभान्वित करने सहित कई तरह के आरोप लगे। अब्दुल समद के खिलाफ कई मामलों में गंभीर शिकायतें हुई थी। भाजपा के पूर्व विधायक सलिल विश्नोई की पिटाई मामले में सेवानिवृत्त आईएएस समेत पांच पुलिसकर्मियों को विशेषाधिकार हनन का पाया गया दोषी
लखनऊ। भाजपा के पूर्व विधायक सलिल विश्नोई की पिटाई मामले में गाजियाबाद के पूर्व नगर आयुक्त समेत पांच पुलिसकर्मियों को जेल की सजा सुनाई गई हैं। दोषियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव को गुरुवार को विधान सभा ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। पुलिस महानिदेशक को उन्हें हिरासत में लेकर विधान सभा के मार्शल के सुपुर्द करने का आदेश दिया गया। ताकि उन्हें सदन में पेश किया जा सके। सजा सुनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि आने वाली पीढिय़ों के लिए यह एक उदाहरण बनेगा। यह वाकया 15 सितंबर 2004 का था। विशेषाधिकार हनन नोटिस 25 अक्टूबर, 2004 को दिया गया था। यूपी विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने इन सदस्यों को दोषी पाया था। पूर्व भाजपा के विधायक सलिल विश्नोई के साथ वर्ष 2004 में अभद्रता करने के आरोप में कानपुर के तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी (अब रिटायर्ड) अब्दुल समद समेत छह पुलिसकर्मियों को विशेषाधिकार हनन का दोषी करार देते हुए शुक्रवार को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई गई।
कानपुर की जनरलगंज सीट के तत्कालीन विधायक सलित विश्नोई हाल में विधान परिषद के सदस्य हैं। उन्होंने बिजली आपूर्ति को लेकर धरना दिया था और वह अपने साथियों के साथ डीएम को ज्ञापन देने जा रहे थे। उसी समय रास्ते में बाबूपुरवा के तत्कालीन क्षेत्राधिकारी अब्दुल समद एवं अन्य पुलिसकर्मियों ने घेरकर उनके साथ मारपीट की थी। उस दौरान अब्दुल समद ने कहा कि मैं बताता हूं, विधायक क्या होता है। आंदोलन कैसे किया जाता है। उनके साथ अभद्रता, गाली गलौज, अपमानित करते हुए लाठियां बरसाई गई, जिसमें विधायक के पैर में फ्रैक्चर हो गया था।
मामला विशेषाधिकार समिति के सामने आया, परीक्षण और अवलोकन के पश्चात 28 जुलाई 2005 को समिति ने आरोपी सीओ अब्दुल समद, तत्कालीन थाना प्रभारी किदवई नगर कानपुर नगर ऋषि कांत शुक्ला, तत्कालीन उप निरीक्षक त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल छोटे सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल थाना काकादेव विनोद मिश्रा एवं इसी थाने के तत्कालीन कांस्टेबल मेहरबान यादव को दोषी पाया। प्रकरण चलता रहा और 27 फरवरी 2023 को समिति ने आरोपियों पर दंड की कार्रवाई की संस्तुति करते हुए विधानसभा के सामने पेश होने को कहा। शुक्रवार को सभी आरोपी सदन में पेश हुए।
सदन ने सर्वसम्मति से यह निर्णय विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना पर छोड़ा। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने दोषियों को एक दिन के कारावास (रात 12 बजे तक) के लिए प्रस्ताव पेश किया और सतीश महाना ने फैसले की घोषणा की। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि छह पुलिसकर्मियों को रात 12 बजे तिथि बदलने तक विधानसभा के ही एक कक्ष में कैद रखा जाएगा। पहले संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने 2004 में जनप्रतिनिधि विश्नोई की पिटाई करने के मामले में इन पुलिसकर्मियों को सजा देने की मांग की थी। सदन में जब इन पुलिसकर्मियों से अपना पक्ष रखने को कहा गया तो इन लोगों ने बिना शर्त माफी मांगी थी।
34 साल पूर्व भी कठघरे में खड़े हुए थे दोषी
आज से 34 साल पूर्व भी विधान सभा में विशेषाधिकार हनन के मामले में दोषी कठघरे में खड़े हुए थे। वर्ष 1989 में तराई विकास जनजाति निगम के अधिकारी शंकर दत्त ओझा ने विधान सभा के तत्कालीन सदस्य हरदेव से कुछ अन्य सदस्यों के सामने अभद्र व्यवहार किया था। इसे भी विशेषाधिकार हनन का मामला माना गया था।
हाथ जोड़कर दोषियों ने मांगी माफी
सदन ने दोषियों को उनका पक्ष रखने का मौका दिया, अब्दुल समद ने चरणस्पर्श कहकर अपनी बात शुरू की। उन्होंने एवं ऋषिकांत ने कहा कि दायित्वों के निर्वहन में कभी जाने अनजाने में गलती हो गई है तो हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं। जन प्रतिनिधियों का हमेशा सम्मान किया है ओर करते रहेंगे। उनकी गलती को क्षमा कर दिया जाए।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का सदस्यों ने किया विरोध
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सदन में कहा कि सभी दोषियों ने जब माफी मांग ली है तो उन्हें कुछ घंटों की सजा दी जाए। जिसका अधिकतर सदस्यों ने पुरजोर तरीके से विरोध करना शुरु कर दिया। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि अब यह संभव नही है, इतना हो सकता है कि सजा की अवधि में दोषियों के लिए भोजन पानी का इंतजाम कर दिया जाए।
सरकारी कर्मचारी, अधिकारियों को बुलाना परिपाटी ठीक नहीं
जिस दौरान सभी दोषियों के सजा के प्रश्न पर सुनवाई हो रही थी, उससे पहले ही समाजवादी पार्टी विधायक समाजवाद पर टिप्पणी के मुद्दे पर सदन से वॉकआउट कर चुके थे। सपाई सदन से बाहर जा रहे थे उस समय आरोपियों को सदन में ले जाया जा रहा था। जिस पर सपा प्रमुख अखिलेश ने कहा कि इस तरह से सरकारी कर्मचारी, अधिकारियों को बुलाना और सजा पर बहस, यह गलत परिपाटी है। इसका संदेश समाज में अच्छा नही जाएगा।