जीडीए से संबंद्ध टाउन प्लानर राजीव रत्न शाह का अटैचमेंट जल्द हो सकता है समाप्त

-क्रॉसिंग रिपब्लिक में बिल्डरों के नक्शों की जांच के बीच विवादास्पद तैनाती पर उठे सवाल

उदय भूमि संवाददाता
गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) से संबंद्ध हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण (एचपीडीए) में तैनात टाउन प्लानर राजीव रत्न शाह का जीडीए में अटैचमेंट जल्द ही समाप्त हो सकता है। यह फैसला ऐसे समय में सामने आया है जब क्रॉसिंग रिपब्लिक क्षेत्र के जीएच-1, जीएच-12 और जीएच-14 में एसोटेक, पंचशील और अन्य बिल्डरों के स्वीकृत नक्शों की जांच जारी है। आरोप है कि राजीव रत्न शाह ने पूर्व में जीडीए में तैनाती के दौरान नियमों और कानून को ताक पर रखकर कई बिल्डरों के नक्शे स्वीकृत कर दिए थे, जिनमें जमीन के स्वामित्व और अन्य कानूनी दस्तावेजों में गंभीर गड़बडिय़ां पाई गई थीं। टाउन प्लानर पर यह भी आरोप है कि उन्होंने तथ्यों को छुपाकर गलत नक्शे स्वीकृत किए, जिन्हें तत्कालीन जीडीए उपाध्यक्ष ने बाद में निरस्त कर दिया। इन स्वीकृत नक्शों में कई सरकारी और निजी भूमि शामिल थी, लेकिन स्वामित्व परीक्षण या वैधता जांच किए बिना ही बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए अनुमति दे दी गई थी। मामले की जांच तत्कालीन मंडलायुक्त स्तर से चल रही थी, जिसमें उन्हें दोषी पाया गया।

इसके बावजूद, तत्कालीन मेरठ मंडल के मंडलायुक्त एवं जीडीए अध्यक्ष डॉ. ऋषिकेश भास्कर यशोद ने 23 अगस्त 2025 को उन्हें जीडीए से संबंद्ध कर दिया। यह कदम प्रशासनिक नियमों और जांच के निष्कर्षों के विपरीत माना जा रहा है। राजीव रत्न शाह की यह दूसरी बार जीडीए में तैनाती है। वर्ष 2023 में पूर्व में लगे आरोपों के चलते उन्हें जीडीए से हटाकर एचपीडीए में स्थानांतरित किया गया था, लेकिन दो साल के भीतर ही पुन: जीडीए में टाउन प्लानर के रूप में उन्हें जोड़ा गया। जीडीए में उनकी तैनाती के बाद तत्कालीन उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने उन्हें जीएमपी जोन-1 से जोन-5 तक का समस्त कार्य सौंपा, जबकि पहले से नियुक्त टाउन प्लानर अरविंद कुमार को जोन-6 से जोन-8 तक जिम्मेदारी दी गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि राजीव रत्न शाह की लखनऊ और मेरठ मंडल तक अफसरों के साथ गहरी पैठ है, जिसके कारण उन्होंने तथ्यों को छुपाकर पुन: तैनाती हासिल की।

क्रॉसिंग रिपब्लिक की संशोधित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में बिना स्वामित्व परीक्षण के सरकारी और कुछ किसानों की जमीन पर बिल्डरों का नक्शा पास किया गया। आरोप है कि कुछ बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए उनके ग्रुप हाउसिंग सोसायटी का नक्शा नियमों के विपरीत स्वीकृत कर दिया गया। इस मामले में जांच अभी भी चल रही है और यदि दोषी पाए जाते हैं तो शासन स्तर पर पूर्व अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है। जीडीए के वर्तमान माहौल में मुख्य नगर नियोजक के रूप में किसी अधिकारी की तैनाती फिलहाल नहीं की गई है, और सभी कार्य अरविंद कुमार देख रहे हैं।

महायोजना-2031 में संशोधन और नए क्षेत्रों को शामिल कराने से लेकर अन्य कार्यों को समय पर पूरा कराने में उनकी मेहनत और तत्परता को प्रशंसा मिली है। इसके बावजूद राजीव रत्न शाह जीडीए में अटैचमेंट होने के बावजूद कार्यालय में कम ही दिखाई देते हैं, क्योंकि उनकी प्राथमिक तैनाती हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण में है। इस मामले में जीडीए उपाध्यक्ष नंद किशोर कलाल ने स्पष्ट किया कि यदि जांच में राजीव रत्न शाह दोषी पाए जाते हैं और आरोप सिद्ध होते हैं, तो उन्हें जीडीए से जल्द ही सभी चार्ज से हटाया जाएगा। इसके साथ ही तत्कालीन मंडलायुक्त और जीडीए उपाध्यक्ष से यह भी स्पष्ट किया जाएगा कि किस आधार पर उन्हें जीडीए में पुन: टाउन प्लानर के रूप में संबंद्ध किया गया।

जीडीए से संबंद्ध टाउन प्लानर राजीव रत्न शाह के खिलाफ जो भी आरोप हैं और जिस मामले में जांच चल रही है, उसकी निष्पक्ष जांच की जा रही है। यदि जांच में वे दोषी पाए जाते हैं तो उनके सभी चार्ज और जिम्मेदारियां जीडीए से तुरंत हटा दी जाएंगी। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि तत्कालीन मंडलायुक्त और जीडीए उपाध्यक्ष ने उन्हें जीडीए में पुन: टाउन प्लानर के रूप में किस आधार पर तैनात किया, इस पर भी स्पष्टता लाई जाए। हमारी प्राथमिकता नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करना है, ताकि विकास कार्य पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संचालित हो सके।
नंद किशोर कलाल
उपाध्यक्ष, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण