बोर्ड बैठक में नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक का नया रूप देखने को मिला। नगर आयुक्त ने एक टीचर की तरह पार्षदों के मन में उठ रहे सभी सवालों का जवाब दिया। कुछ पार्षद अपनी बात पर अड़ गये और जिद्द करने लगे। ऐसे पार्षदों को नगर आयुक्त ने एक दार्शनिक और विचारक की तरह अपनी तार्किंक बातों से संतुष्ट किया। दिन भर चली बोर्ड बैठक के दौरान नगर आयुक्त ने पहले एक अच्छे श्रोता की तरह पार्षदों की बातों को ध्यानपूवर्क सुना फिर शिक्षक की तरह सभी बातों का जवाब दिया।
गाजियाबाद। शुक्रवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक में नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक का नया रूप देखने को मिला। नगर आयुक्त ने एक टीचर की तरह पार्षदों के मन में उठ रहे सभी सवालों का जवाब दिया। कुछ पार्षद अपनी बात पर अड़ गये और जिद्द करने लगे। ऐसे पार्षदों को नगर आयुक्त ने एक दार्शनिक और विचारक की तरह अपनी तार्किंक बातों से संतुष्ट किया। दिन भर चली बोर्ड बैठक के दौरान नगर आयुक्त ने पहले एक अच्छे श्रोता की तरह पार्षदों की बातों को ध्यानपूवर्क सुना फिर शिक्षक की तरह सभी बातों का जवाब दिया।
बोर्ड बैठक के दौरान नगर निगम की आमदनी बढ़ाने से संबंधित एक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ पार्षद टैक्स बढ़ोत्तरी का विरोध करने लगे। पार्षद का कहना था कि टैक्स बढ़ोत्तरी नहीं होनी चाहिये। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी द्वारा टैक्स बढ़ोत्तरी को लेकर जवाब दिया गया। लेकिन पार्षद नहीं माने और हंगामा करने लगे। हंगामा बढ़ने पर नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने माईक हाथों में लेकर सदन को संबोधित किया। नगर आयुक्त ने कहा कि शहर हम सभी का है और शहर की भलाई के बारे में सोचते हुए बेहतर काम करना हम सभी का दायित्व है। यदि विकास का मॉडल चाहिये तो हमें आमदनी बढ़ाना होगा। ऐसे में हमे तय करना होगा कि हमें किस आइडियोलॉजी पर चलना है।
नगर आयुक्त ने कहा कि ये सदन यह तय करे कि हमें किस आइडियोलॉजी पर चलना है। अगर आपको सोशलिज्म कम्युनिज्म वाली आइडियोलॉजी पर चलना है तो फिर ठीक है आप कहो कि टैक्स नहीं लेना है। टैक्स नहीं लेंगे तो नगर निगम के पास फंड नहीं होगा। फंड नहीं होगा तो फिर विकास कार्य बाधित होंगे। अगर आपको डेवलपमेंट वाली आइडियोलॉजी पर चलना है तो फिर कहीं न कही सेल्फ सस्टेनेबल यानी आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा। आत्मनिर्भर बनने के लिए हमें हम हाल में आमदनी बढ़ाना होगा। नगर आयुक्त ने पार्षदों को आश्वस्त किया कि टैक्स में कहीं भी गलत तरीके से कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जायेगी। पूरी पारदर्शी और नियमानुसार ही टैक्स लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह महज एक भ्रम है कि टैक्स चार गुणा बढ़ रहा है। सच्चाई यह है कि टैक्स में वाजिब एवं तार्किक बढ़ोत्तरी हो रही है। कुछ क्षेत्र ऐसे भी है जहां पर टैक्स में कमी हो रही है।
एक पार्षद सदन की सर्वोच्चता को लेकर जिद कर बैठे और बोले सदन जो चाहेगा वहीं होगा। पार्षद के इस जिद का जवाब देते हुए नगर आयुक्त ने कहा कि सदन का निर्णय सम्मानित है। हम सभी उसी के अनुसार काम करते हैं। लेकिन सदन में कोई निर्णय लेते समय नगर निगम अधिनियम और शासनादेश दोनों का ध्यान रखना होता है। सदन कोई निर्णय लेता है तो वह बात शासन में जाती है और उस पर शासन जो निर्णय लेता है उसे लागू किया जाता है। नगर निगम द्वारा की गई टैक्स बढ़ोत्तरी के मामले में नगर आयुक्त ने कहा कि मैं आप सभी को अपने तर्कों से संतुष्ट करूंगा। नगर आयुक्त ने कहा कि गाजियाबाद नगर निगम द्वारा लिये गये टैक्स बढ़ोत्तरी के निर्णय को शासन ने वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड को रेफर किया था। गया। वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड में विधान सभा, विधान परिषद, कानून और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ होते हैं। सभी ने इसका परीक्षण किया और वापिस रिपोर्ट शासन को भेजा कि जो निर्णय लिया गया है वह एक्ट के अधीन लिया गया है। उसके बाद शासन स्तर पर भी इस विषय में मंथन हुआ है। काफी चिंतन मनन के बाद टैक्स बढ़ोत्तरी के निर्णय को स्वीकृति दी गई है। नगर आयुक्त के तर्कों से अधिकांश पार्षद संतुष्ट नजर आये और उन्होंने नगर आयुक्त की बातों का समर्थन किया।