प्रदूषण एवं स्वास्थ्य विषय पर जागरूकता विषय का व्याख्यान आयोजित

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस: प्रदूषण को नियंत्रित करना सबकी नैतिक जिम्मेदारी: डॉ केके पाण्डे
-कोहरे की पोलूशन स्वास्थ्य के लिए हानिकारण: डॉ अर्जुन खन्ना

गाजियाबाद। सर्दियों में कोहरा सामान्य मौसमी प्रक्रिया है, जिससे परेशानियां तो होती हैं मगर यह उतना खतरनाक नहीं है, जितना स्मॉग। इस वक्त पूरे दिल्ली-एनसीआर पर काली धुंध छाई हुई है। कोहरा आमतौर पर अस्थमा रोगियों की परेशानी बढ़ता है मगर प्रदूषण वाली इस धुंध के जहर से कोई नहीं बच पाता। कोहरे के अंदर जब पोलूशन बैठ जाती है तो वह बहुत घातक हो जाती है। गुरूवार को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण के अवसर पर यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी में एक प्रदूषण एवं हमारा स्वास्थ्य विषय पर जागरूकता विषय का व्याख्यान आयोजित किया गया। इस व्याख्यान में मरीजों को संबोधित करते हुए हॉस्पिटल के वरिष्ठ फेफड़ा रोग एवं क्रिटिकल रोग विशेषज्ञ डॉ केके पांडे ने बताया कि 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के भयानक हादसे को याद करते हुए हम यह दिन मनाते हैं। आप हमें प्रदूषण के अपने शरीर पर पडऩे वाले कुप्रभावों के बारे में जागरूक होने और उनसे बचाव के लिए यह दिन और महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने मरीजों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदूषण को नियंत्रित करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। प्रदूषण के लिए गाडिय़ों से निकलने वाले धुए को उन्होंने बहुत बड़ा जिम्मेदार माना और लोगों से अपील की वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लें, साइकिल चलाएं, छोटी दूरी के लिए पैदल चलने की आदत डालें। हॉस्पिटल के वरिष्ठ फेफड़ा रोग एवं क्रिटिकल रोग विशेषज्ञ डॉ अर्जुन खन्ना ने कहा कि इस वर्ष हम दिल्ली एनसीआर में घनी स्मोग की चादर देख रहे हैं और पिछले दो-तीन दिनों से हवा का चलना भी रुक गया है। जिस वजह से यह भयावह रूप लेता जा रहा है। विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि सर्दी के मौसम में अक्सर ये होता है कि एयर डेंस या घनी हो जाती है और थोड़ी हैवी हो जाती है। ऐसे में एयर का सर्कुलेशन कम हो जाता है और हवा घूमना कम कर देती है। क्योंकि अभी पॉल्यूशन लेवल बहुत ज्यादा है तो जो घनी हवा है या डेंस एयर है जिसे हम कोहरा या फॉग कहते हैं उसके अंदर जब पोलूशन बैठ जाती है तो उसे स्मॉग कहते हैं। दिल्ली एनसीआर में जो आप इस समय देख रहे हैं वह सब तरफ स्मॉग कोहरे से ज्यादा खतरनाक होती है, स्मॉग चलती हुई एयर पोलूशन से ज्यादा खतरनाक होती है। यह इसलिए ज्यादा खतरनाक होती है, क्योंकि यह स्टैटिक है या रुकी हुई है और इसके अंदर जो पोल्यूटेंट्स या प्रदूषकों की कंसंट्रेशन या घनत्व है। इसीलिए हम जब बाहर निकलते हैं तो हमारी आंखों में जलन होती हैं, गले में इरिटेशन होती है, खांसी आती है और जो लोग सांस के रोगी हैं। हॉस्पिटल के फेफड़ा रोग एवं क्रिटिकल रोग विशेषज्ञ डॉ अंकित सिन्हा ने बताया कि इससे बचाव का तरीका यही है कि ज्यादा से ज्यादा घर के अंदर रहे, घर के अंदर या अपने ऑफिस में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि उस एयर प्यूरीफायर में हेपा फिल्टर लगा हो और जिसमें एसपीएम इंडिकेटर लगा हो। घर से बाहर निकलने पर सामान्य मास्क न लगाकर एन-95 मास्क लगाएं। अगर घर से निकलना जितना कम कर सकते हो तो सबसे अच्छा है, खासकर जब पोल्यूटेंट बहुत ज्यादा होते हैं जो सुबह सुबह अर्ली मॉर्निंग का टाइम होता है।