गाजियाबाद में खूनी दंरिदें को फांसी, 7 खून करने वाले ड्राइवर को गाजियाबाद की कोर्ट में सुनाई गई सजा

9 साल पहले हुए इस नरसंहार में न्याय का इंतजार खत्म हो गया है। कारोबारी के परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी। लूट के इरादे से पूरे परिवार को मौत के घाट उतार देने वाले ड्राइवर राहुल वर्मा को अपर जिला जज की अदालत में फांसी की सजा सुनाई गई। अदालत ने कहा कि परिवार के 7 सदस्यों की हत्या की घटना दुर्लभतम श्रेणी की अपराध है। मालूम हो कि कोर्ट ने शनिवार को राहुल वर्मा को दोषी करार दिया था और सजा पर बहस के लिए 1 अगस्त सोमवार की तारीख नियत की थी।

गाजियाबाद। नगर कोतवाली क्षेत्र के नई बस्ती में मई-2013 को कारोबारी परिवार की 3 पीढ़ी के 7 लोगों की हत्या करने वाले ड्राइवर राहुल वर्मा को सोमवार को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। 9 साल पहले हुए इस नरसंहार में न्याय का इंतजार खत्म हो गया है। कारोबारी के परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी। लूट के इरादे से पूरे परिवार को मौत के घाट उतार देने वाले ड्राइवर राहुल वर्मा को अपर जिला जज की अदालत में फांसी की सजा सुनाई गई। अदालत ने कहा कि परिवार के 7 सदस्यों की हत्या की घटना दुर्लभतम श्रेणी की अपराध है। मालूम हो कि कोर्ट ने शनिवार को राहुल वर्मा को दोषी करार दिया था और सजा पर बहस के लिए 1 अगस्त सोमवार की तारीख नियत की थी। बता दें कि 21 मई 2013 को नई बस्ती मोहल्ले में इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया गया था। कारोबारी सतीश गोयल का ड्राइवर राहुल वर्मा नरसंहार को अंजाम देने के बाद लाखों रुपए के गहने और नकदी लेकर फरार हो गया था।

9 साल से डासना जेल में बंद
करीब 9 साल से डासना जेल में बंद है। नगर कोतवाली क्षेत्र में 21 मई 2013 की रात सनसनीखेज घटना हुई थी। घंटाघर नई बस्ती मोहल्ले में रहने वाले बुजुर्ग कारोबारी सतीश गोयल और उनके पूरे परिवार की चाकू से गोद कर हत्या कर दी गई थी। मृतक कारोबारी के दामाद सचिन मित्तल ने कोतवाली थाने में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ हत्याकांड का मुकदमा दर्ज कराया था। मृतकों में कारोबारी सतीश गोयल, उनकी पत्नी मंजू गोयल, पुत्र सचिन गोयल,पुत्रवधु रेखा गोयल और तीन पौत्र पौत्री शामिल थे। राहुल वर्मा 15 दिन पहले ही कारोबारी के घर से रुपए लेकर भागा था। लौटा तो सबकी हत्या के बाद पुलिस ने विवेचना शुरू की और घटना के 10 दिन बाद सनसनीखेज हत्या के आरोप में राहुल वर्मा को घटना के अगले दिन ही 22 मई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने राहुल के पास से छह हजार रुपए नगद और सोने चांदी के लाखों के जेवरात बरामद किए थे। कोतवाली पुलिस ने दो दिन बाद 24 मई को हत्यारे राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर हत्या में प्रयुक्त चाकू और खून से सने कपड़े भी बरामद किए। राहुल वर्मा कारोबारी का कार चालक था। राहुल घटना से करीब 15 दिन पहले कारोबारी सतीश गोयल के घर से साढ़े चार लाख रुपए चोरी कर फरार हो गया था। तब से नौकरी पर नहीं आ रहा था।

किडनी ट्रांसप्लांट के लिए रखे रुपयों के लिए किया था कत्ल
पीडि़त पक्ष के अधिवक्ता देवराज सिंह ने बताया कि 22 मई 2013 को सतीश चंद्र गोयल की किडनी ट्रांसप्लांट होनी थी। राहुल को इसके बारे में जानकारी थी। उसे अनुमान था कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए घर में रखे 25 से 30 लाख रुपए मिल सकते हैं। इसी इरादे से राहुल ने 21 मई की रात वारदात को अंजाम दिया था। कारोबारी परिवार के 7 लोगों की नृशंस हत्या में एडीजे-19 अदालत ने सामूहिक हत्याकांड के दोषी पूर्व ड्राइवर राहुल वर्मा को फांसी की सजा सुनाई है। राहुल वर्मा को दोषी साबित करने में फोरेंसिक रिपोर्ट बेहद अहम बनी। घर से मिले खून के सैंपल और राहुल के गमछे-जूते पर मिले खून के सैंपल मैच हो गए। घर में मौजूद फुट प्रिंट का राहुल के जूते से मिलान हो गया। घटनास्थल से मिले सिगरेट के टुकड़े पर लगी लार भी राहुल की पाई गई। राहुल वर्मा का दोस्त प्रशांत श्रीवास्तव खुद इस केस में सरकारी गवाह बना। सामूहिक नरसंहार से पहले राहुल ने प्रशांत से कहा था कि (21 मई 2013) को लूट करेंगे, जिसमें हमें 25-30 लाख रुपए मिल सकते हैं। लेकिन ऐन वक्त पर प्रशांत पलट गया और किसी काम से प्रयागराज जाने की बात कहकर उसने राहुल का साथ नहीं दिया। राहुल को सजा दिलाने में प्रशांत के इस बयान की अहम भूमिका रही।

80 रुपए के चाकू से की थी 7 लोगों की हत्या
राहुल वर्मा ने सारे कत्ल एक ही चाकू से किए। सातों के शरीर पर घाव का साइज एक जैसा था। यह चाकू डासना गेट बाजार में एक दुकान से 80 रुपए में खरीदा गया था। पुलिस ने इस चाकू विक्रेता के भी बयान दर्ज किए। नई बस्ती में खल चूरी एवं प्रॉपर्टी कारोबारी सतीश चंद गोयल का परिवार रहता था। 21 मई 2013 की रात सतीश चंद गोयल, पत्नी मंजू गोयल, पुत्र सचिन गोयल, पुत्रवधु रेखा, पौत्र अमन, हनी और पौत्री मेघा की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। सामूहिक हत्याकांड की जानकारी सबसे पहले उस कपाउंडर को हुई, जो सतीश चंद गोयल को किडनी बीमारी के चलते इंजेक्शन लगाने के लिए 22 मई की सुबह घर आया था। सतीश चंद गोयल के दामाद सचिन मित्तल ने उनके पूर्व ड्राइवर राहुल वर्मा के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने जब राहुल को गिरफ्तार किया तो पूछताछ में खुलासा हुआ कि उस रात वह लूट के इरादे से छत के रास्ते घर में घुसा था। परिवार के सदस्यों के जाग जाने पर पहचाने जाने के डर से उसने सभी की हत्या कर दी थी।

जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश चंद्र शर्मा ने बताया, अगस्त 2013 में इस मामले में पुलिस ने करीब 40 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी। नवंबर 2013 में यह केस कोर्ट में ट्रायल पर आ गया। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने कुल 28 गवाह पेश किए। सारी बहस पूरी होने के बाद एडीजे-19 कोर्ट ने 30 जुलाई 2022 को राहुल वर्मा को दोषी करार दिया था। एक अगस्त सोमवार की दोपहर कोर्ट ने इस मुकदमे में अपना फैसला सुनाते हुए दोषी राहुल वर्मा को सामूहिक हत्याकांड का दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने राहुल को आईपीसी की धारा-302 के तहत फांसी की सजा 50 हजार जुर्माना,आईपीसी-394 में 10 साल की सजा,30 हजार रुपए जुर्माना, आईपीसी-411 में 3 साल की सजा 10 हजार रुपए का जुर्माना,आम्र्स एक्ट में 3 साल की सजा 10 हजार रुपए समेत एक लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए फांसी की सजा सुनाई है।