निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध मेंं विद्युत कर्मी आंदोलनरत

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण एवं विघटन के प्रस्ताव के विरोध में प्रांतव्यापी विरोध सभा आयोजित की गई। इस दौरान उपभोक्ता विरोधी एवं कर्मचारी विरोधी निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की गई। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आंदोलन चल रहा है। राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जनपदों व परियोजना मुख्यालय पर प्रदेश के तमाम बिजली कर्मचारियों/संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने विरोध सभा की। निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में पूर्वांचल के सभी जनपदों में विगत 1 सितम्बर से विरोध सभाओं का क्रम चल रहा है। संघर्ष समिति के पदाधिकारी अवधेश कुमार, अनिल चौरसिया, हिर्देश गोस्वामी, आलोक त्रिपाठी, उमाकांत शर्मा, भुवनेश, के.के. सोलंकी, रामनारायण, योगेंद्र लाखा, दिलनवाज, पंकज भारद्वाज, धीरज सिंह, जय भगवान, राज सिंह, सुनील कुमार, शेर सिंह त्यागी, दिलीप सक्सेना ने चेतावनी दी है कि यदि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के विघटन व निजीकरण का फैसला वापस न लिया गया और इस दिशा में सरकार की ओर से कोई भी कदम उठाया गया तो ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियंता उसी समय बिना और कोई नोटिस दिए अनिश्चित कालीन आंदोलन प्रारंभ करने हेतु बाध्य होंगे। संघर्ष समिति का कहना है कि जब वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का विघटन किया गया था तब सालाना घाटा मात्र 77 करोड़ रुपए था। विघटन के बाद कुप्रबंधन और सरकार की गलत नीतियों के चलते यह घाटा अब बढ़कर 95000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन आंदोलन चलाया जाएगा संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी 20 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश में मंडल मुख्यालयों पर विरोध सभाएं कर कर्मचारियों और उपभोक्ताओं को जागरूक करेंगे।