नोएडा-ग्रेटर नोएडा के हजारों होम बायर्स को मिलेगी बड़ी राहत

  • अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लेकर लखनऊ में हुआ मंथन, कैबिनेट की स्वीकृति के बाद सिफारिशों पर लगेगी अंतिम मुहर

उदय भूमि ब्यूरो

ग्रेटर नोएडा। नोएडा ग्रेटर नोएडा के हजारों होम बायर्स को जल्द ही सरकार से बड़ा तोहफा मिलेगा। होम बायर्स को राहत देने की दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। सरकार की मंशा है कि समस्या का ऐसा समाधान निकाला जाये जिससे लोगों को बड़ी राहत मिले और यदि कोई तकनीकि या फाइनैंसियल अड़चनें आ रही है तो नियमानुसार उसे भी दूर किया जाये। इसी कड़ी में पिछले सप्ताह लखनऊ में अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लेकर शासन और सभी प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में गहन चिंतन बैठक हुई।

बैठक में अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष एक प्रजेंटेशन दिया। किस तरह से सिफारिशों को लागू किया जाये और इससे होम बायर्स को कितना अधिक फायदा मिले इसको लेकर सभी ने विचार रखे। प्रजेंटेशन के दौरान अमिताभ कांत समिति की अधिकांश सिफारिशों पर अधिकारी एक राय दिखे। लेकिन इन सिफारिशों को लागू करने में कई नीतिगत अड़चनें हैं। ऐसे में इन सिफारिशों को लागू करने को लेकर नीतियों में भी संशोधन करना होगा।

विदित हो कि विगत कई वर्षों से नोएडा ग्रेटर नोएडा में होम बायर्स बड़ी समस्या बना हुआ है। वर्षों से हजारों लोग लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। चुनावों में भी बिल्डर-बायर्स बड़ा मामला बनकर उभरता है। बिल्डर्स बायर्स की समस्या को हल करने को लेकर केंद्र सरकार ने ने अमिताभ कांत समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है और समस्या के समाधन को लेकर समिति ने कई सिफारिशें की हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने बीते सप्ताह लखनऊ में चीफ सेक्रेटी दुर्गा शंकर मिश्रा के समक्ष प्रजेंटेशन दिया गया। प्रजेंटेशन में बताया गया कि इन सिफारियों को किस तरह से लागू किया जाएगा।

बैठक में अधिकतर सिफारिशों पर सहमित बन गई है। बिल्डरों की परियोजनाएं अधूरी हैं। इनको पूरा करने में अभी और समय लगेगा। तीनों प्राधिकरण बिल्डरों को तीन साल का और समय देने के लिए तैयार हैं। इसके बदले कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। बकाया की गणना जून 2020 के बाद एसबीआई की एमसीएलआर दर से की जाएगी। कब्जा पा चुके खरीदारों रजिस्ट्री कराने पर भी चर्चा की गई। इसके लिए परियोजना में जितने टॉवर या उनके फ्लैट पूरे हो गए हैं, उतने हिस्से की ही सीसी जारी करने की तैयारी है। इसके अलावा यमुना प्राधिकरण ने आवंटी अपने हिस्से की प्राधिकरण की बकाया राशि और बिल्डर की एनओसी लाकर रजिस्ट्री करा सकता है। यह फामूर्ला भी अन्य प्राधिकरण में लागू करने की तैयारी है। प्राधिकरण जीरो पीरियड देने पर भी सहमत हो सकते हैं। अगर अधूरी परियोजना को बिल्डर सरेंडर करना चाहे तो वह भी विकल्प मिलेगा। इसके लिए नीतियों में संशोधन होगा।