नि:संतान दंपतियों के लिए डॉ गौरी अग्रवाल बनी मसीहा

-सीड्स ऑफ इनोसेंस ने रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स के लिए सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस’बिग आईवीएफ-सीड सही तो बर्थ डिफेक्ट नही लांच
-भारत के 8 राज्यों में लांच: दंपत्तियों के लिए गर्भधारण पूर्व जेनेटिक टेस्टिंग, भ्रूण की प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग, फीटल मेडिसिन और एंटी-नेटल जेनेटिक स्क्रीनिंग की मिलेगी सुविधा

गाजियाबाद। निसंतान दंपत्ति संतान की चाहत में हर तरह के उपाय और तरीके आजमा लेते हैं लेकिन इससे उन्हें कुछ फायदा नहीं होता। ऐसे में आइये देखते हैं कुछ ऐसे आसान तरीके जिनसे निसंतान दंपत्तियों को मिला संतान सुख। आईवीएफ तकनीक के जरिये निसंतान दंपत्ति अपने जीवन में संतान सुख पा सकते हैं। आईवीएफ तकनीक के जरिये ट्यूब ब्लॉकेज और अंडों की कमी की वजह से मां न बन पाने वाली महिलाएं भी संतान सुख पा सकती हैं। उत्तर भारत के प्रीमियर आईवीएफ एंड फर्टिलिटी ट्रीटमेंट प्रोवाइडर ‘सीड्स ऑफ इनोसेंसÓ द्वारा बिग आईवीएफ-सीड सही तो बर्थ डिफेक्ट नही नाम के रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स कैम्पेन का शनिवार को डॉ गौरी अग्रवाल ने नेहरु नगर स्थित यशोदा अस्ताल में उद्घाटन किया। यह कैम्पेन भारत के 8 राज्यों में 15 आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटरों में अमल में लाए जाने वाला एक व्यापक फर्टिलिटी प्रोग्राम है। इनोवेटिव रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स, भ्रूण चिकित्सा और जेनेटिक स्क्रीनिंग सर्विस के माध्यम से हाई एंड टेक्नोलॉजी-आधारित बांझपन का इलाज करने के उद्देश्य से शुरू किया गया। यह कैम्पेन कई असफल आईवीएफ साइकल, गर्भपात, आनुवंशिक बीमारियों या आनुवंशिक असामान्यता से पीडि़त दंपत्तियों को माता-पिता बनने में उनकी मदद कर सकता है।

बिग आईवीएफ- सीड सही तो बर्थ डिफेक्ट नही प्रोग्राम अनुभवी आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ गौरी अग्रवाल द्वारा शुरू किया गया। डॉ गौरी अग्रवाल नए रिसर्च को अमल में लाने और नई-नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में सबसे आगे रही हैं। वह सीड्स ऑफ इनोसेंस की फाउंडर भी हैं। देश भर के मरीजों का बांझपान का इलाज करते हुए डॉ गौरी अग्रवाल ने जाना कि लोगों को यह पता नही है कि उनमें बार बार गर्भपात क्यों होता है और उनका आईवीएफ साइकल क्यों असफल हो जाता है। इसी बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए उन्होने बिग आईवीएफ- सीड सही तो बर्थ डिफेक्ट नही प्रोग्राम शुरू किया। यह रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स से सम्बंधित सभी पहलुओं जागरूकता फैलाएगा। इसके अलावा यह आईवीएफ इलाज में एक क्रांतिकारी बदलाव साबित होगा।

झारखंड दंपत्ति से मिली प्रेरणा:
सीड्स ऑफ इनोसेंस की फाउंडर और डॉयरेक्टर डॉ गौरी अग्रवाल ने अपनु अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि सीड्स ऑफ इनोसेंस में रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स को हमारे एआरटी प्रोटोकॉल का एक अभिन्न हिस्सा बनाने के लिए वास्तव में मुझे जिस चीज ने प्रेरित किया, वह था जब मै झारखंड के एक दंपत्ति से मिली। उनकी शादी को 11 साल हो चुके थे। इतने सालों बाद जब उन्हे बच्चा नहीं हुआ तो उन्होने आईवीएफ का विकल्प चुना और दूसरे ही प्रयास में सफलतापूर्वक गर्भधारण हो गया। हालांकि उनके लिए बुरी खबर तब आई जब प्रसवपूर्व स्केन के दौरान पता चला कि वह भ्रूण डाउन सिंड्रोम से पीडि़त है।

विज्ञान हमारे साथ है तो किसी के साथ हम ऐसा नहीं होने देंगे। यही हमारा लक्ष्य और प्रतिज्ञा है।
इसके अतिरिक्त, गाजियाबाद के निवासी आकाश कुमार सीड्स ऑफ इनोसेंस के साथ अपनी पहली मुलाकात साझा करने के लिए मौजूद थे। पेशे से एकाउंटेंट आकाश ने हमें बताया कि कैसे डॉ. गौरी ने उन्हें और उनकी पत्नी को पहली कोशिश में गर्भधारण करने में मदद की। बच्ची का नाम एमी बागदी रखा गया और वह पिछले महीने 3 साल की हो गई। उनकी पत्नी और वह दोनों दूसरी प्रक्रिया के लिए क्लिनिक में थे। एकाउंटेट आकाश ने कहा डॉ गौरी अब तक के सबसे अच्छे डॉक्टर हैं, और स्टाफ के सदस्यों का व्यवहार विनम्र और स्वागत योग्य है।

8 भारतीय राज्यों में के 15 आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटरों में कैंपेन शुरू
यह प्रोग्राम 8 भारतीय राज्यों में सभी 15 आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटरों में शुरू किया गया है। ये सभी सेन्टर सीड्स ऑफ इनोसेंस के हैं। इन सेन्टर में जेनेटिक काउंसलिंग, दंपत्ति के लिए प्री-कॉन्सेप्शन जेनेटिक टेस्टिंग, प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग ऑफ एम्ब्रियो, फीटल मेडिसिन और एंटी-इनोसेंस सुविधा शामिल हैं। जेनेटिक स्क्रीनिंग सभी मरीजों का होता है। ताकि आईवीएफ इलाज बेहतर तरीके से हो सकें। रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स के लिए नए लांच किए गए सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस से विभिन्न वर्गों को लाभ होगा। इससे जो महिला बांझपन से पीडि़त हैं, जिन्हे आनुवंशिक बीमारियां हैं और जिन महिलाओं की उम्र ज्यादा हो गई है, आदि को संतान सुख प्राप्त करने का मौका मिलेगा।

निसंतानता से पीडि़त दंपत्तियों को मिल सकता है स्वस्थ बच्चा
डॉ गौरी अग्रवाल ने कहा रिप्रोडक्टिव स्पेशलिस्ट, जेनेटिसिस्ट और भ्रूण चिकित्सा एक्सपर्ट्स वाली हमारी टीम की विशेषज्ञता के तहत उपलब्ध सबसे एडवांस इन-हाउस जेनेटिक टेस्टिंग लैब, अत्याधुनिक सुविधाएं और अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने से निसंतानता से पीडि़त दंपत्तियों को एक स्वस्थ बच्चे का माता-पिता बनने का मौका मिलता है।

डॉ गौरी इकोनॉमिक टाइम्स हॉल ऑफ फेम आईवीएफ स्पेशलिस्ट से सम्मानित
गौरतलब है कि सीड्स ऑफ इनोसेंस 2017 में इन-हाउस जेनेटिक टेस्टिंग लैब स्थापित करने वाला देश का पहला आईवीएफ सेन्टर भी था। एक स्वस्थ गर्भावस्था और आनुवंशिक रूप से स्वस्थ बच्चे का आश्वासन देने के लिए आईवीएफ में 78 प्रतिशत तक की सफलता दर हासिल करने के लिए जेनेटिक स्क्रीनिंग (पीजीएस/पीजीडी) का उपयोग किया जाता है। डॉ गौरी अग्रवाल को हाल ही में 2022 इकोनॉमिक टाइम्स हॉल ऑफ फेम आईवीएफ स्पेशलिस्ट से सम्मानित किया था, और सीड्स ऑफ इनोसेंस को आईवीएफ चेन ऑफ द ईयर (उत्तर भारत) 2022 पुरस्कार प्राप्त हुआ था।