पाल्क स्ट्रेट पार कर चमका भारत का हौसला, गाजियाबाद के सीडीओ अभिनव गोपाल ने रचा इतिहास

-श्रीलंका से भारत तक 8 घंटे 30 मिनट में समुद्र पार, दिव्यांग तैराकों और आईएएस अफसरों की टीम ने दिखाई अद्भुत एकजुटता और साहस

उदय भूमि संवाददाता
गाजियाबाद। भारत और श्रीलंका के बीच फैले खुले समुद्र की लहरों पर साहस, संकल्प और राष्ट्रीय एकता की अद्भुत मिसाल कायम करते हुए गाजियाबाद के मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल समेत आठ सदस्यीय भारतीय तैराक टीम ने पाल्क स्ट्रेट को 8 घंटे 30 मिनट में पार कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह दूरी थलाईमन्नार (श्रीलंका) से धनुषकोड़ी (भारत) तक लगभग 28 से 30 किलोमीटर की रही, जिसे टीम ने विपरीत समुद्री परिस्थितियों के बावजूद अदम्य जज़्बे के साथ पार किया। इस साहसिक अभियान में दो एकल तैराकों ने भी कीर्तिमान रच डाला। आंध्र प्रदेश के पहले पैरा-स्विमर गणेश बालगा ने इस चुनौतीपूर्ण रास्ते को 10 घंटे 50 मिनट में पार कर इतिहास रच दिया, वहीं भारत की पहली दिव्यांग (अंप्यूटी) महिला तैराक शश्रुति विनायक नाकड़े ने 11 घंटे 5 मिनट में यह दुर्गम दूरी पूरी कर एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया। इस रोमांचकारी और ऐतिहासिक तैराकी का नेतृत्व अर्जुन पुरस्कार विजेता प्रसंत कर्मकार ने किया, जबकि टीम में विभिन्न राज्यों और पेशेवर क्षेत्रों से आए प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

इनमें एडीसी दीपक बाबूलाल करवा (हरियाणा), पुलिस निरीक्षक मुरिगेप्पा चन्ननावर (कर्नाटक), रेलवे टिकट चेकर रबिन बोल्डे (पश्चिम बंगाल), मेडिकल छात्र अमन शानभाग (कर्नाटक), पैरा तैराक राजबीर (हरियाणा) और राष्ट्रीय एथलीट इशांत सिंह (हरियाणा) शामिल रहे। मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल के लिए यह तैराकी एक और अंतरराष्ट्रीय स्तर की उपलब्धि रही। उन्होंने बताया कि इस चुनौती के दौरान तेज हवाएं और समुद्री धाराएं लगातार रास्ता रोकने का प्रयास करती रहीं, लेकिन टीम ने अदम्य साहस, एकजुटता और निरंतर अभ्यास के बल पर इसे सफलतापूर्वक पार किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में गोवा में आयोजित आयरनमैन 70.3 (हाफ आयरनमैन) ट्रायथलॉन और वर्ष 2024 में एस्तोनिया के टाल्लिन में आयोजित फुल आयरनमैन ट्रायथलॉन को भी वह पहले ही सफलतापूर्वक पूरा कर चुके हैं। वे इन प्रतिष्ठित एंड्योरेंस इवेंट्स को पूरा करने वाले देश के पहले आईएएस अधिकारियों में शामिल हैं।

इस तैराकी अभियान को रामसेतु के समानांतर पूरा किया गया, जो न केवल एक साहसिक अभियान था बल्कि यह फिट इंडिया मूवमेंट, साहसिक पर्यटन को बढ़ावा, श्रीराम के प्रति सांस्कृतिक आस्था का सम्मान, ओपन सी स्विमिंग को प्रोत्साहन और भारत की विविधता में एकता जैसे अनेक महत्वपूर्ण संदेशों को भी समाज तक पहुंचाने वाला रहा। तैराकों ने 17 अप्रैल की रात 7:50 बजे रामेश्वरम फिशिंग जेटी से प्रस्थान किया और सभी आवश्यक इमिग्रेशन और कस्टम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 18 अप्रैल की सुबह 5:50 बजे थलाईमन्नार से समुद्र के भीतर एक निर्धारित बिंदु से तैराकी प्रारंभ की। श्रीलंका की सीमा में सीधा प्रवेश वर्जित होने के कारण प्रारंभ बिंदु निर्धारित किया गया था।

इस पूरे अभियान की निगरानी स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के प्रतिनिधि विजयकुमार मयांडी द्वारा की गई, ताकि सभी तकनीकी मानकों और प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित हो सके। मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल ने कहा कि यह प्रयास भारत की ओपन वॉटर स्विमिंग क्षमताओं को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने वाला है। यह तैराकी न केवल एक खेल उपलब्धि है, बल्कि समावेशिता, सशक्तिकरण और भेदभावरहित समाज की दिशा में एक ठोस संदेश भी है। उन्होंने बताया कि अब यह टीम जून 2025 में इंग्लिश चैनल को रिले फॉर्मेट में पार करने की तैयारी कर रही है, एक और अंतरराष्ट्रीय चुनौती, जो भारतीय साहस और संकल्प का परचम दुनिया में और ऊंचा लहराएगी।