जनप्रतिनिधियों के सगे संबंधियों की नगर निगम के कामकाज में खत्म होगी दखलंदाजी, शासनादेश के उल्लंघन पर होगी कार्रवाई

– मेयर के पति द्वारा नगर निगम के डॉक्यूमेंट एवं फाइलें घर पर मंगवाने के मामले में नगर आयुक्त हुए सख्त
– मेयर ने जताया एतराज बोली इस तरह का प्रयास जनप्रतिनिधि कानूनों और अधिकारों को कुचलने जैसा होगा

विजय मिश्रा (उदय भूमि)
गाजियाबाद। प्रशासनिक कामकाज में जनप्रतिनिधियों के सगे संबंधियों और रिश्तेदारों की दखलंदाजी पर विराम लगेगा। बिना किसी अनुमति के जनप्रतिनिधियों के सगे-संबंधियों द्वारा नगर निगम की फाइलों को मंगाये जाने के मामलों को नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने गंभीरता से लिया है। नगर आयुक्त ने शासनादेश पर अमल करते हुए जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों द्वारा फाइलें मंगाये जाने की कवायद पर रोक लगा दी है। निगम अधिकारियों को निर्देश दिया है उचित माध्यम से एवं अनुमति प्राप्त करने के  बाद ही जनप्रतिनिधियों को डॉक्यूमेंट उपलब्ध कराया जाये। जनप्रतिनिधियों के पति एवं उनके रिश्तेदारों द्वारा किसी तरह का दबाव बनाया जाता है तो उसे दरकिनार किया जाये। उधर, इस मामले में मेयर सुनीता दयाल ने एतराज जताया है। मेयर का कहना है कि उनके पति द्वारा पत्रावली मंगाने आदि का आरोप निराधार है। उनके पति ने नगर निगम कार्यालय में कभी प्रवेश भी नहीं किया है। इस तरह का प्रयास जनप्रतिनिधि कानूनों और अधिकारों को कुचलने जैसा होगा।

आरोप है कि शासकीय कार्य की पत्रावलियां एवं फाइलें बिना किसी अनुमति के मेयर के पति के समक्ष प्रस्तुत की जा रही हैं। पिछले दिनों मेयर के कैंप कार्यालय में तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर पर निगम के विभिन्न विभागों से फाइलें मंगवानें और फाइल की आड़ में दवाब बनाकर जबरन वसूली का भी आरोप लगा था। इस मामले में आरोपी कंप्यूटर ऑपरेटर को कैंप कार्यालय से हटा निगम मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है। यह विवाद थमा भी नहीं था कि अब मेयर के पति द्वारा निगम की फाइलों को मंगाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों का प्रशासनिक कामकाज में हस्तक्षेप खत्म करने के लिए पूर्व में कई शासनादेश जारी हो चुके हैं।

उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 के प्रावधानों के मुताबिक मेयर या अध्यक्ष या सभासद, सदस्य,  ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो निर्वाचकों द्वारा निर्वाचित किया गया हो अर्थात ऐसे व्यक्ति से भिन्न कोई भी व्यक्ति नगर पालिका प्रशासन में किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने या बैठकों में सम्मिलित होने में समर्थ नहीं है। निर्वाचित महिला पदाधिकारियों द्वारा निकायों के प्रशासनिक कार्यों अथवा बैठकों में अपने साथ अथवा अपने स्थान पर संबंधित द्वारा हस्तक्षेप करने की प्रक्रिया अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है। नगर निगम, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतें की बैठकों में यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि, निर्वाचित अथवा पदेन पदाधिकारियों से भिन्न कोई भी व्यक्ति बैठक में सम्मिलित न होने पाए और न ही उसके द्वारा अपने किसी मत की अभिव्यक्ति बैठक में की जाए। उपयुक्त के अलावा उक्त शासनादेश द्वारा यह भी निर्देश जारी किए गए है कि महिला पदाधिकारियों के किसी भी संबंधी के यथास्थिति नगर निगम, नगर पालिका परिषद या नगर पंचायत के अभिलेखों के अवलोकन की अनुमति प्रदान न की जाये जब तक उनके द्वारा विधिवत निरीक्षण के लिए आवेदन न किया गया हो और यथास्थिति नगर आयुक्त या अधिशासी अधिकारी द्वारा निरीक्षण की लिखित अनुमति प्रदान न कर दी गई हो।

उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 के अनुसार मेयर को ही बैठक में सम्मिलित होने का अधिकार है। मेयर को सरकारी पत्रावलियों और अभिलेखों के अवलोकन की अनुमति के लिए विधिवत आवेदन की प्रक्रिया पूर्ण होने पर नगर आयुक्त की लिखित स्वीकृति उपरांत उपलब्ध कराने का प्रावधान है। जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों द्वारा फाइलें लेना ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट-1923 के अन्तर्गत प्रतिबंधित एवं दंडनीय है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव, नगर विकास विभाग द्वारा इस मामले में पूर्व में कई बार शासनादेश जारी कर उस पर सख्ती से अमल करने का आदेश दिया गया था। इन्हीं शासनादेश और अधिनियम के अनुपालन में नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने मेयर सुनीता दयाल के पति द्वारा फाइलें मंगाने पर रोक लगा दी है। नगर आयुक्त ने इस मामले में बुधवार को एक आदेश जारी किया गया। बृहस्पतिवार को मेयर सुनीता दयाल को जब इस आदेश के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने एतराज जताया। मेयर सुनीता दयाल ने नगर आयुक्त को चिट्ठी लिखकर आदेश में उल्लेखित विवरण और शब्दावली को आपत्तिजनक बताया। मेयर ने आरोप लगाया कि नगर निगम के कुछ अधिकारी नगर आयुक्त को गुमराह कर रहे हैं। नगर आयुक्त और मेयर के बीच हुए इस पत्र व्यवहार ने साबित कर दिया है कि नगर निगम एक बार फिर जंग का अखाड़ा बनेगा। पूर्व में भी मेयर और नगर आयुक्त के बीच संग्राम हो चुका है।