-अवैध शराब के नेटवर्क पर कसा शिकंजा, गांव-शहर हर जगह जागरूकता और धरपकड़ तेज
-आबकारी विभाग ने कसी नकेल, गांव-शहर सबको बनाया जागरूकता और कार्रवाई का हिस्सा
उदय भूमि संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, जो अपनी तहज़ीब, नवाबी अंदाज और साहित्य-संस्कृति के लिए जानी जाती है, अब एक नए बदलाव की ओर अग्रसर है। यह बदलाव अवैध शराब के खिलाफ निर्णायक जंग है। लखनऊ को इस सामाजिक बुराई से मुक्त करने के लिए जिला आबकारी अधिकारी करुणेन्द्र सिंह ने कमान संभाली है और एक ऐसा अभियान शुरू किया है जो जिलों में उदाहरण बनने जा रहा है। जहां पहले शराब माफिया प्रशासन को आंख दिखाते थे, वहीं अब हालात बदल रहे हैं। अवैध शराब के सिडिंकेट को तोडऩे और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए लखनऊ आबकारी विभाग की टीमें पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर चुकी हैं। इसके साथ ही अनुज्ञापियों को भी नियमानुसार कार्य करने का सलीका सिखाया जा रहा है। क्योंकि शराब विक्रेताओं का लालच कभी-कभी आबकारी विभाग की छवि को धूमिल कर देता है।
इसलिए शराब विक्रेताओं को नियमानुसार शराब बेचने और उन्हें ओवर रेटिंग करने से रोकने के लिए टीमें पूरी तरह जोश के साथ अपनी कार्यवाही को अंजाम दे रही है। आबकारी विभाग की टीमें और उनके मुखबिर तंत्र दुकानों की निगरानी करने के साथ-साथ गुप्त रुप से टेस्ट परचेजिंग कर रहे है। साथ ही दुकानों के बाहर शराब पीने और पिलाने वालों को पहली बार में चेतावनी देकर छोड़ा जा रहा है, दुसरी बार मिलने पर सीधा सलाखों के पीछे भेजा जा रहा है। इस समय लखनऊ में जो हो रहा है, वह किसी एक जिले की कार्रवाई नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक संदेश है। अब नियम से ही कारोबार चलेगा। शराब बेचने वाले हों या बनाने वाले, अब सबकी निगरानी हो रही है और कानून को हल्के में लेने वालों पर कार्रवाई निश्चित है।
ओवर रेटिंग से लेकर आबकारी विभाग सख्त
पिछले कुछ समय में यह देखा गया कि कुछ अनुज्ञापी दुकानदार, मामूली लाभ के लिए नियमों की अनदेखी कर रहे थे। 5-10 रुपये की ओवर रेटिंग से न केवल उपभोक्ता ठगा जा रहा था बल्कि इससे आबकारी विभाग की छवि भी प्रभावित हो रही थी। इसे लेकर आबकारी विभाग ने सख्त निर्णय लिया है। अब दुकानदारों को न केवल नियमों का पाठ पढ़ाया जा रहा है बल्कि उन पर गुप्त निगरानी और टेस्ट परचेजिंग जैसे कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। पहली बार पकड़े जाने पर चेतावनी दी जाती है, मगर दोबारा गलती पर सीधा जेल भेजा जा रहा है।
गांव-देहात में भी सख्ती, जागरूकता और सहभागिता
लखनऊ का देहात क्षेत्र, विशेष रूप से महुआ अवैध शराब निर्माण के लिए बदनाम रहा है। त्योहारों और चुनाव के दौरान यहां से भारी मात्रा में शराब की तस्करी होती थी। मगर इस बार जिला आबकारी अधिकारी ने गांवों को भी अपनी मुहिम में शामिल कर लिया है। जागरूकता अभियान चलाकर ग्रामीणों को समझाया जा रहा है कि अवैध शराब से जान का खतरा है। स्थानीय लोगों को मुखबिर तंत्र का हिस्सा बनाया गया है ताकि अवैध गतिविधियों की सूचना तत्काल मिल सके। महिलाओं और युवाओं की सीधी भागीदारी सुनिश्चित की गई है ताकि हर घर तक यह संदेश पहुंचे कि अब कानून से खिलवाड़ नहीं चलेगा।
निरीक्षण, दबिश और सुधार- एक साथ कई स्तर पर हो रही कार्रवाई
बुधवार को आबकारी विभाग की संयुक्त टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में निकलीं। जिन अधिकारियों ने मोर्चा संभाला उनमें शामिल थे – राहुल कुमार सिंह, रिचा सिंह, विवेक सिंह, रजनीश प्रताप सिंह, कृष्ण कुमार सिंह, कृति प्रकाश पाण्डेय, अभिषेक सिंह, विजय राठी, अरविंद बघेल, कौशलेन्द्र रावत, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, प्रदीप शुक्ला, अखिलेश चौधरी, अखिल गुप्ता और शिखर। गहरू देशी, तीन नंबर बगिया कम्पोजिट, दरोगा खेड़ा देशी, हिंदुखेड़ा बंथरा देशी, बनी कम्पोजिट और सिकंदरपुर बंथरा कम्पोजिट शराब की दुकानों का औचक निरीक्षण करते हुए चेकिंग की गई। दुकानों पर रेट लिस्ट चस्पा करने और साथ में उन पर आबकारी अधिकारी और इंस्पेक्टरों का नंबर भी डिस्पले करने, सीसीटीवी का 24 घंटे संचालन करने, दुकानों पर सभी आवश्यक निर्देश लगाने, दुकानों पर अधिक से अधिक ब्रांड्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ पाश मशीन से शत प्रतिशत शराब बिक्री करने के निर्देश दिए गए।
जनता का समर्थन- मुहिम को बना रहा जनआंदोलन
शहर और गांवों से मिल रहे आबकारी विभाग को समर्थन ने इस मुहिम को प्रशासनिक अभियान से एक जनआंदोलन बना दिया है। स्थानीय लोग खुद आगे आकर सूचनाएं दे रहे हैं। महिला, पुरुष भी अवैध शराब के विरोध में मुखर हो रही हैं और युवा इस लड़ाई को सोशल मीडिया पर समर्थन दे रहे हैं।
लखनऊ को अवैध शराब मुक्त बनाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता
हमारा मकसद सिर्फ छापेमारी या चालान करना नहीं है, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था बनाना है जिसमें अवैध शराब की कोई जगह ही न हो। इस दिशा में हमने न केवल कानून का सख्ती से पालन करवाना शुरू किया है, बल्कि लोगों को भी जोड़कर जागरूकता फैलाने का काम किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ से बनने वाली अवैध शराब का नेटवर्क अब टूट चुका है और इसे पूरी तरह समाप्त करने के लिए हम गांव-गांव जाकर लोगों को समझा रहे हैं।

जिला आबकारी अधिकारी
जो अनुज्ञापी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उन्हें स्पष्ट चेतावनी दी जा रही है – अब कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हमारी टीमें हर दिन निरीक्षण कर रही हैं, टेस्ट परचेजिंग कर रही हैं और शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई हो रही है। दुकानों पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी निगरानी, रेट लिस्ट, पॉश मशीन से बिक्री जैसे निर्देश सख्ती से लागू करवा रहे हैं। आबकारी विभाग की कार्रवाई में जनता का भरपूर सहयोग मिल रहा है। यह सिर्फ प्रशासन की नहीं, बल्कि जनता की भी लड़ाई है और हम सब मिलकर लखनऊ को एक अवैध शराब मुक्त मॉडल जिला बनाएंगे।
करुणेन्द्र सिंह
जिला आबकारी अधिकारी
लखनऊ