नोएडा एयरपोर्ट पर एमआरओ हब विकसित करने की प्रक्रिया तेज जल्द निकलेगा ग्लोबल टेंडर

उत्तर प्रदेश की शान और पहचान बनने को आतुर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का काम तेजी से चल रहा है। एयरपोर्ट के दूसरे चरण में विकसित होने वाले एमआरओ (मेंटीनेंस रिपेयरिंग एंड ओवरहॉलिंग) हब विकसित करने की प्रक्रिया तेज हो गई। इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम करीब 70 प्रतिशत पूरा हो गया है।

उदय भूमि ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश की शान और पहचान बनने को आतुर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का काम तेजी से चल रहा है। एयरपोर्ट के दूसरे चरण में विकसित होने वाले एमआरओ (मेंटीनेंस रिपेयरिंग एंड ओवरहॉलिंग) हब विकसित करने की प्रक्रिया तेज हो गई। इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम करीब 70 प्रतिशत पूरा हो गया है। जिला प्रशासन ने अब तक 814 हेक्टेयर जमीन के लिए 2768 करोड़ रुपये का मुआवजा बांट दिया है। जमीन अधिग्रहण का बचा हुआ काम जल्द पूरा हो जाएगा। इसके साथ नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (नियाल) इस हब में बड़ी कंपनियों को लाने की तैयारी कर रही है। अनुमान है कि इसके लिए 20 अक्टूबर तक ग्लोबल टेंडर निकाले जाएंगे।

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर के दूसरे चरण के लिए 1365 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण चल रहा है। 1365 हेक्टेयर में से जिला प्रशासन 1187 हेक्टेयर का मुआवजा बांट रहा है। बाकी जमीन सरकारी है, जिसका पुर्नग्रहण हो चुका है। 1187 हेक्टेयर जमीन के लिए किसानों को 3913 करोड़ रुपये का मुआवजा बांटा जाना है। जिला प्रशासन ने अब तक 2768 करोड़ रुपये का मुआवजा बांट दिया है। यह करीब 814 हेक्टेयर जमीन का है। अभी 1145 करोड़ रुपये मुआवजा बांटा जाना है। एडीएम एलए बलराम सिंह की अगुवाई में इस प्रक्रिया को तेजी के साथ पूरा किया जा रहा है। बहुत जल्द यह काम पूरा हो जाएगा। अधिग्रहण के बाद नागरिक उडह्यडयन विभाग को जमीन पर कब्जा दे दिया जाएगा। एयरपोर्ट के दूसरे चरण में एमआरओ हब विकसित किया जाना है।
नोएडा एयरपोर्ट पर एशिया का सबसे बड़ा एमआरओ सेंटर बनेगा। यहां पर ना सिर्फ भारत बल्कि एशिया पैसिफिक क्षेत्र के अधिकांश देशों के विमानों की मरम्मत होगी। इससे जहां सरकार को राजस्व मिलेगा वहीं यमुना सिटी क्षेत्र में लगभग 60 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह के नेतृत्व में एयरपोर्ट को जल्द चालू करने के लिए तेजी से काम चल रहा है। यमुना सिटी में डेवलपमेंट के कार्य तेजी से हो रहे हैं। एमआरओ हब के लिए अलग से एक रनवे बनेगा। उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना देश को आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
देश में अभी कोई बड़ा एमआरओ सेंटर नहीं है जहां पर विमानों की पूरी मरम्मत हो सके। भारत में एविएशन सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है लेकिन विमानों के रखरखाव एवं मेंटीनेंस वर्क के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर हैं। हैदराबाद और बेंगलुरु में सिर्फ विमानों के छोटे-मोटे मरम्मत कार्य ही होते हैं। विमानों में यदि कोई बड़ा मम्मत होना हो तो उसे सिंगापुर, श्रीलंका और दूसरे यूरोपीय देशों में कराया जाता है, लेकिन जेवर में हवाई अड्डा शुरू होने के साथ ही एमआरओ के मामले में भी आत्मनिर्भरता आ जाएगी।

40 हजार करोड़ रुपये का होगा निवेश
यमुना सिटी में एमआरओ सेंटर बनने से यहां औद्योगिक विकास तेजी से होगा। एमआरओ सेंटर बनने से लगभग 4० हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा और 50 से 60 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। भारत में एमआरओ सेंटर नहीं होने के कारण प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपये विदेश जाता है। इस पैसे की भी बचत होगी।

विमानों का निर्माण व रखरखाव करने वाली बड़ी कंपनियां
एयर बस, बोइंग, सैफरॉन, जीई एविएशन, एसटी एविएशन, ब्रिटिश एविएशन, एविएशन टेक्निकल सर्विसेज, एएआर कॉरपोरेशन आदि।

देश में विमानों की स्थिति
एयरलाइंस का नाम – विमानों की संख्या
इंडिगो – 275
एयर इंडिया – 120
स्पाइस जेट – 71
गो एयर – 57
विस्तारा – 54
एयर एशिया इंडिया – 35
एयर इंडिया एक्सप्रेस – 24
आकाशा एयर – 1
फ्लाई बिग – 4
स्टार एयर – 5
एलायंस एयर – 20