बेटियों को लेकर सामाजिक बदलाव की शुरुआत

-अब बेटियों के नाम से होगी घर की पहचान: डीएम
-डीएम समेत प्रशासनिक अधिकारियों ने की अपने घर से शुरूआत

गाजियाबाद। बेटियों को लेकर सामाजिक बदलाव की शुरुआत गांवों से हो गई है। अधिकारियों के प्रयास से गांवों में घर की पहचान बिटिया के नाम से होने लगी है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पिछले कई सालों से कारगर रूप से चल रहा है। लेकिन अब इस अभियान की रूपरेखा ही बदल दी गई है। जिस परिवार में केवल बेटी ही होगी उसके घर के बाहर बेटी के नाम पर प्लेट लगाई जाएगी। यह अभियान पूरे जिले में चलेगा। इसका आगाज सोमवार को शुरू कर दिया है। जिसकी शुरूआत जिलाधिकारी समेत विभिन्न अधिकारियों ने अपने घर से की है। सोमवार को जिला मुख्यालय में आवास पर लगाने के लिए बेटियों के नाम की नेम प्लेट वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डीएम आरके सिंह और सीडीओ अस्मिता लाल ने अभिभावकों के नाम की नेम प्लेट और प्लांट वितरण किया और बेटियों को प्रोत्साहित करने की अपील की। डीएम आरके सिंह ने कहा कि लड़का-लड़की में किसी भी प्रकार का भेदभाव ना करें। लड़कों की तरह लड़कियों को समान अवसर दें। पुरुषों की जगह अब बेटियों की घरों के बाहर नेम प्लेट लगाई जाएगी। उन्होंने बच्चियों की शिक्षा पर भी बल देते हुए कहा कि आज लड़कियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। उन्हें शिक्षा के समान अवसर मिलने चाहिए। उन्होंने सभी लोगों से अपील की कि वे लिग जांच, कन्या भ्रूण हत्या करने वाले लोगों के खिलाफ अवश्य कदम उठाएं। यदि किसी गांव में कोई भी इनमें सम्मलित पाया जाता है तो उसकी शिकायत अवश्य दें। विभाग द्वारा उसका नाम पूर्ण रूप से गुप्त रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की मुहिम को सही मायनों में साकार करते हुए हमें बेटियों और बेटों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। हमें अपनी सोच में परिवर्तन लेकर आना चाहिए। प्रशासन हर समय बेटियों की मदद करने के लिए तैयार है। 15 साल पूर्व तक स्थितियां ऐसी नहीं थीं लेकिन अब धीरे-धीरे समाज में जागरूकता आ रही है और बेटियों को मिल रहे प्रोत्साहन से वह अपने परिवार और देश का नाम रोशन कर रही हैं। सीडीओ अस्मिता लाल ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों के आवास पर उनके नाम की नेम प्लेट लगाने शुरूआत की गई है। महिलाओं को भी समान अधिकार बहुत जरूरी है। लोगों को बेटियों के प्रति मानसिकता को बदलना चाहिए। घर की पहचान बेटी के नाम अभियान एक सफल अभियान के रूप में साबित होगा। यह छोटी सी कोशिश है जो एक दिन बड़ा अभियान बनेगी और हर घर का नाम बेटी के नाम पर होगा। इससे उन अभिभावकों को भी प्रोत्साहन मिलेगा जो बेटियों के होने पर दुख मनाते हैं। अगर बेटियों को बढ़ावा दिया जाए तो वह अपने साथ-साथ अपने परिवार और समाज का भी नाम रौशन कर सकती है। बस जरूरत है एक बदलाव की। डीएम आरके सिंह को उनकी बेटी प्रीति सिंह के नाम की नेम प्लेट दी गई। डीएम ने कहा कि वह इसे अपने आवास पर लगाएं ताकि लोगों को संदेश मिल सके। इसके अलावा एसीएम खालिद अंजुम को तीन बेटियों के नाम की नेम प्लेट, सीवीओ महेश कुमार, डीडीओ बीसी त्रिपाठी, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी अजय तायल, पीडीडीआरडीए पीएन दीक्षित, हरवीर सिंह, सहदेव, परविंदर कुमार, गफरुद्दीन, संजीव वर्मा, दीपक सिरोही, सुमित शिशौदिया, प्रवीन त्यागी, जितेंद्र कुमार, लोकेंद्र ंिसंह व नेहा वालिया को उनकी बेटी के नाम की नेम प्लेट और प्लांट वितरित किए गए।