मोदी-योगी की छवि के सहारे भाजपा प्रत्याशी, पांचों सीट पर फंसा है पेंच

गाजियाबाद। जनपद गाजियाबाद में विधान सभा की पांचों सीट पर पिछला प्रदर्शन दोहराने के लिए भाजपा को इस बार ऐड़ी से चोटी तक का जोर लगाना पड़ रहा है। भाजपा प्रत्याशियों की नाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि के भरोसे नजर आ रही है। प्रत्याशी भी मोदी और योगी के नाम पर मतदाताओं से वोट मांगते दिखाई दे रहे हैं। पांच में से तीन सीट पर भाजपा प्रत्याशियों को बागियों ने परेशानी में डाल रखा है। बागियों से निपटना पार्टी और प्रत्याशियों के लिए इतना आसान नहीं है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गाजियाबाद और साहिबाबाद विधान सभा क्षेत्र में जनसंपर्क और सभाएं की थीं। चर्चा यही है कि इन दोनों सीट पर भाजपा का मामला ज्यादा फंसा हुआ है। ऐसे में प्रत्याशियों की नाव को किनारे लगाने के मकसद से सीएम को चुनावी व्यस्तता से समय निकाल कर खुद गाजियाबाद आना पड़ा है। 2017 विधान सभा चुनाव में भाजपा ने लोनी, मुरादनगर, गाजियाबाद, साहिबाबाद और मोदीनगर सीट पर अपना परचम लहरा कर विरोधियों को पटक दिया था।

पांच साल बाद आज पुन: इन पांचों सीट पर पार्टी ने मौजूदा विधायकों को टिकट देकर जनता के बीच भेजा है, मगर गाजियाबाद, साहिबाबाद और लोनी क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशियों को भाजपा छोड़ मैदान में आ चुके प्रत्याशियों से भी चुनौती मिल रही है। गाजियाबाद और साहिबाबाद में भाजपा प्रत्याशियों का विरोध ज्यादा है। चर्चा है कि इस बात को ध्यान में रखकर सीएम योगी आदित्यनाथ को रविवार को जनसंपर्क और जनसभा करने के बहाने इन दोनों क्षेत्र में बुलवाया गया था।

साहिबाबाद विधान सभा क्षेत्र
साहिबाबाद विधान सभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी सुनील शर्मा की राह इस बार आसान दिखाई नहीं दे रही। भाजपा से टिकट न मिलने के विरोध में वैश्य समाज ने डॉ. सपना बंसल को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार रखा है। इसके अलावा भाजपा के खिलाफ बगावत कर सच्चिदानंद शर्मा भी निर्दलीय उम्मीदवार बन चुके हैं। हालाकि सच्चिदानंद को मनाने में भाजपा सफल हो चुकी है। इसके अलावा सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी अमरपाल शर्मा से भी सुनील शर्मा को कड़ी टक्कर मिलने की संभावना जाहिर की जा रही है। साहिबाबाद सीट पर पिछले चुनाव में रिकॉर्ड डेढ़ लाख से अधिक मतों से मैदान मारने वाले सुनील शर्मा वर्तमान में कड़े चुनावी मुकाबले में फंसे नजर आ रहे हैं।

गाजियाबाद विधान सभा क्षेत्र
गाजियाबाद विधान सभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग के लिए भी चुनौतियां कम नहीं हैं। उन्हें टिकट दिए जाने के विरोध में कई भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक पार्टी को अलविदा कर चुनाव मैदान में आ चुके हैं। जिनमें आशुतोष गुप्ता, पिंटू सिंह व रानी देवश्री जैसे नाम शामिल हैं। अतुल गर्ग के खिलाफ पिछले दिनों सोशल मीडिया पर पर्चे भी वायरल किए गए थे, जिसमें उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध साफ देखने को मिला था। बसपा द्वारा अपना प्रत्याशी बदलने से अतुल गर्ग को भले कुछ राहत महसूस हुई है, मगर बागियों से पार पाना उनके लिए बेहद कठिन साबित हो सकता है।

लोनी विधान सभा क्षेत्रलोनी विधान सभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर हैं। पार्टी ने उन्हें भी दोबारा टिकट देकर मैदान में उतारा है। नंदकिशोर के लिए भी इस बार जीत का स्वाद चखना टेड़ी खीर साबित हो सकता है। दरअसल गुर्जर के खिलाफ रंजीता धामा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक दी है। रंजीता धामा नगर पालिका परिषद लोनी की चेयरमैन हैं। उनके पति मनोज धामा भी पूर्व चेयरमैन रहने के साथ-साथ लंबे समय तक भाजपा से जुड़े रहे हैं। धामा दंपति कई बार नंदकिशोर गुर्जर के खिलाफ तीखे बयान दे चुका है। मनोज धामा फिलहाल जेल में बंद हैं।

                                                                     मुरादनगर विधान सभा क्षेत्र
मुरादनगर विधान सभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी अजीत पाल त्यागी को सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार मुन्नी से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। मुरादनगर श्मशाान घाट हादसा प्रकरण के बाद इस क्षेत्र में भाजपा के खिलाफ जनाक्रोश देखने को मिला था। हादसा पीड़ित परिवारों की मांगे आज तक पूरी नहीं हो पाई हंै। जिसके चलते उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी को जीत सुनिश्चित करने के लिए ज्यादा पसीना बहाना पड़ेगा।

मोदीनगर विधान सभा क्षेत्र
मोदीनगर विधान सभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी डॉ. मंजू सिवाच हैं। डॉ. सिवाच को सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी सुदेश शर्मा से चुनौती मिल रही है। सुदेश शर्मा पूर्व विधायक होने के साथ-साथ क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ रखने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा इस सीट से बसपा ने महिला प्रत्याशी पूनम गर्ग को टिकट देकर डॉ. सिवाच की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। मोदीनगर में भी चुनावी सरगर्मी जोरों पर है। ऊंट किस करवट बैठेगा, इसका पता 10 मार्च को चलेगा। फिलहाल मोदीनगर को दोबार से फतह करना भाजपा के लिए आसान नहीं है।