गाजियाबाद में महापौर ने फिर खोली निगम अधिकारी की पोल, पकड़ी दो गाड़ी

निगम के डीजल का नेचर ग्रीन नामक कम्पनी कर रही थी इस्तेमाल

गाजियाबाद। नगर निगम भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक बार फिर घिर गया। महापौर सुनीता दयाल आगे आकर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल रही है। पहले अधिकारियों की सह पर दिल्ली का कूड़ा गाजियाबाद में डालने का आरोप, फिर अधिकारियों पर फाइन नहीं देने का आरोपी उसके बाद टैक्स विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल और अब एक उन्होंने नगर निगम में डीजल के खेल और सरकारी वाहनों का प्राइवेट कार्य किए जाने का मामला उजागर कियाहै। आरोप है कि विकास कार्यों में गुणवतापूर्वक सामग्री तक नहीं लगाई जा रही। अधिकारी ठेकेदारों के साथ मिलकर सरकारी पैसे के साथ खेल रहे हैं। रविवार को महापौर ने शहर निरीक्षण के दौरान तीन गाडिय़ों को पकड़ा है।

वैशाली से आते समय मोहन नगर चौराहे पर गाजियाबाद नगर निगम लिखे दो डम्फर देखे, ध्यान दिया तो पता चला कि एक में मलबा है और दूसरे में डस्ट भरा हुआ था। महापौर ने गाड़ी रोकी और ड्राइवर से जानकारी प्राप्त की, जिसमे पता चला कि उक्त गाड़ी नेचर ग्रीन कंपनी का वेद प्रकाश नामक व्यक्ति चलवाता है। दिन में लगभग 2 चक्कर लगते है, प्रत्येक चक्कर का 25 लीटर डीजल मिलता है और यह मलबा मोरटा साइट पर भेजा जाता है। पेपर मील की डस्ट सिहानी गार्बेज फैक्ट्री में छोड़ा जाता है। डीजल निगम का इस्तेमाल किया जा रहा है और उसका लाभ प्राइवेट कंपनी ले रही है। महापौर ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी से फोन वार्ता पर बात की तो बताया कि अगर निगम किसी प्राइवेट वाहन का प्रयोग करता है तो वह वाहन प्राइवेट कार्य नही कर सकता है। तो महापौर ने कहा कि फिर क्यो नेचर ग्रीन का कार्य निरस्त किया जाए? तभी महापौर ने मौके पर सफाई निरीक्षक को बुलाकर दोनों गाडिय़ों को सौंपा और संबंधित के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए।

वैशाली में प्राइवेट कम्पनी का कार्य मे हो रहा निगम के पीने के पानी का दोहन

राम्प्रस्था ग्रीन वैशाली में एक प्लॉट में निगम का पानी का टैंक महापौर को खड़ा मिला। जिसके आस पास रेत, डस्ट, रोड़ी, सीमेंट आदि भी रखा था। प्रतीत हो रहा था कि किसी को फायदा पहुचने के लिए पानी के टैंक द्वारा जल का दुरुपयोग किया जा रहा है। मोके पर की अवर अभियंता से वार्ता की गई। जिसमें बताया गया कि जन्माष्टमी पर कार्यक्रम के दौरान वही खड़ा किया हुआ था। तब महापौर ने सख्ती दिखाते हुए कहा गया कि 1 माह से उक्त स्थल पर ही टैंक खड़ा हुआ है, कार्यक्रम समाप्त हुए एक माह बीत गया है और टैंक का हटाया नहीं गया। इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। टैंक को तत्काल हटाकर उसे कार्यालय में भेजा जाए।