कालाबाजारी में लिप्त आरोपियों पर गैंगस्टर लगाने की तैयारी

-जेल से छूटे आरोपी फिर भी मुश्किलें बढना तय
-एसपी सिटी प्रथम निपुण अग्रवाल बोले, गैर कानूनी कार्य कतई बर्दास्त नहीं

गाजियाबाद। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन समेत जीवन रक्षक दवाओं,उपकरणों की कालाबाजारी करने वाले मुख्य आरोपी समेत 10 दिन में जेल से बाहर आ गए है। इन्हें जेल भेजने के बाद पुलिस की कार्रवाई बौनी साबित हुई है। महामारी के बुरे दौर में जब लोग लोग अपनों को बचाने के लिए अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन और दवाईयों के लिए छटपटा रहे थे। इसी मजबूरी का फायदा उठाकर जीवन रक्षक दवाओं और उपकरणों की कालाबाजारी की। प्रदेश सरकार ने इन पर रासुका लगाने के आदेश दिए थे। बता देें कि जिले में पुलिस ने ऐसे 41 लोग गिरफ्तार कर जेल भेजे थे। मगर इन पर रासुका लगाने की कार्रवाई तो दूर यह आरोपी जेल से 10 दिन बाद ही बाहर आ गए हैं। अप्रैल व मई माह में 19 केस दर्ज कर कालाबाजारी करने वाले 41 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस ने ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सी मीटर,ऑक्सी पल्स मीटर, रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्टेमरा इंजेक्शन आदि बरामद किए। इस कालाबाजारी में सबसे बड़े आरोपियों में देश का नामी न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.अल्तमस हुसैन और उसके दो साथी भी शामिल थे। घंटाघर कोतवाली पुलिस ने इन्हें 27 अप्रैल को गिरफ्तार कर इनसे 70 रेमडेसिविर व 2 ऑक्टेमरा इंजेक्शन, 36.10 लाख रुपए,स्कोडा कार,दो बाइक बरामद की थी। 28 अप्रैल को तीनों आरोपी जेल गए और 9 दिन बाद ही 8 मई को जेल से छूट गए।डॉ.अल्तमस समेत तीन आरोपी सर्वाधिक 9 दिन जेल में रहे। इसके अलावा कुछ आरोपियों ने सिर्फ 4 से 6 दिन जेल की हवा खाई। हैरत की बात यह है कि अधिकांश आरोपी एक रात ही जेल में रहे और अगले दिन बाहर आ गए। जबकि कुछ आरोपी ऐसे हैं,जिनकी जमानत बाहर से बाहर हो गई। घंटाघर कोतवाली,लिंकरोड, कविनगर थाने में दर्ज 11 मामलों में 23 आरोपियों में 7 आरोपी एक रात ही जेल में रहे। 4 आरोपी 4 दिन, 1 आरोपी 6 दिन और 3 आरोपी 9 दिन जेल में रहे। 8 आरोपियों की बाहर से बाहर जमानत हो गई। अपै्रल की शुरूआत में जिले में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने असर दिखाना शुरू किया था। 15 अपै्रल से 10 मई के बीच कोरोना की दूसरी लहर का पीक टाइम माना गया। सात से कम सजा की धाराओं के चलते जेल से मिली अंतरिम जमानत डासना जेल में क्षमता से तीन गुना तक अधिक कैदी बंद हैं। जेलों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शासन ने सात साल से कम सजा के बंदियों को दो माह की पैरोल व अंतरिम जमानत पर छोडऩे के निर्देश दिए थे। डासना जिला कारागार से अब तक 1000 से अधिक बंदी अंतरिम जमानत व पैरोल पर छोड़े जा चुके हैं। कालाबाजारी में गिरफ्तार आरोपियों पर पुलिस ने लगाई धाराओं में भी सात साल से कम की सजा थी, लिहाजा कोर्ट के आदेश पर इन्हें जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया।कालाबाजारी करने वाले इन आरोपितों से 70 रेमडेसिविर इंजेक्शन,2 ऑक्टेमरा इंजेक्शन,767 ऑक्सीजन सिलेंडर,83 ऑक्सी फ्लोमीटर,8 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर,10 ऑक्सी पल्स मीटर बरामद किए गए थे। कोरोना संक्रमण के पीक पर चलने के दौरान जिले में 198 मामले आपदा प्रबंधन अधिनियम के दर्ज किए गए। पुलिस ने इसके तहत 277 आरोपी को गिरफ्तार किया। 19 मामले कालाबाजारी के दर्ज कर 41 आरोपी गिरफ्तार किए गए। धारा-188 के तहत 7249 मामले दर्ज कर 12,190 आरोपी गिरफ्तार किए गए। कोरोना कफ्र्यू के उल्लंघन में 7249 मुकदमे जिले के विभिन्न थानों में दर्ज हुए। इनमें 12,393 लोगों को मुकदमों में आरोपी बनाया गया। जबकि वाहनों के 4.17 लाख चालान किए गए। इसकी एवज में जुर्माने के रूप में 3.66 करोड़ रुपए वसूला गया। बगैर मास्क के 2.16 लाख चालान किए गए। बगैर मास्क वालों से 2.57 करोड़ रुपए जुर्माना वसूला गया। एसपी सिटी प्रथम निपुण अग्रवाल का कहना है कि कालाबाजारी करने वाले आरोपितों के खिलाफ महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम व धोखाधड़ी की धाराएं मुकदमे में लगाई गई थीं। कोर्ट में आरोपी की जमानत प्रक्रिया होती हैं। शासन के निर्देश पर बंदी जेल से रिहा हुए होंगे। दो माह की अंतरिम जमानत के बाद उन्हें कोर्ट में सरेंडर होना हैं। इसके बाद उच्चाधिकारियों व कानून विदों से राय लेकर उनके खिलाफ आगामी कार्रवाई की जाएगी। कालाबाजारी करने वाले आरोपियों पर गैंगस्टर समेत निरोधात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही हैं।