गाजियाबाद नगर निगम की अनूठी पहल, कूड़ा बीनने वालों के बच्चों का सुधरेगा भविष्य, रैगी बाल गोपाल सेंटर की हुई शुरूआत

– गार्बेज फैक्ट्री में काम करने वाले गार्बेज सेग्रीगेटर (कर्मचारियों) के बच्चों का भविष्य संवारने की कोशिश, प्ले स्कूल की तर्ज पर रैगी बाल गोपाल सेंटर में बच्चों के खेलने के साथ होगी पढ़ने की व्यवस्था

गाजियाबाद। नगर निगम ने गार्बेज फैक्ट्री में कार्यरत गार्बेज सेग्रीगेटर (रैगर) के बच्चों के बेहतर स्वास्थ, शिक्षा और सुनहरे भविष्य को ध्यान में रखकर महत्वपूर्ण पहल की है। इसके मद्देनजर गार्बेज फैक्ट्री परिसर में 10 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एक सेंटर बनाया गया है। यह सेंटर एक प्ले स्कूल की तरह से बनाया गया है। जहां इन बच्चों को एक अलग माहौल मिल सकेगा। माता-पिता के काम करने के दौरान यह बच्चे कूड़ा-करकट से ना सिर्फ दूर रहेंगे बल्कि अच्छे माहौल में खेलने के साथ-साथ यहां पढ़ाई भी कर सकेंगे। अभिभावकों को बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा की चिंता नहीं रहेगी। नगर निगम की इस अनूठी पहल की चौतरफा प्रशंसा हो रही है।
रैगर यानी कूड़ा संग्रहकर्ता को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की योजना पर गाजियाबाद नगर निगम काम कर रहा है। रैग पीकर को गार्बेज सेग्रीगेटर के रूप में नई पहचान देकर नगर निगम के स्वच्छता कार्यक्रम से जोड़ा गया। बिचौलिये या ठेकेदार रैग पीकर्स का शोषण ना करें इसकी व्यवस्था नगर निगम द्वारा की गई। सफाई व्यवस्था से जुड़े कामों में इन्हें लगाया गया। इन्हें ड्रेस और पहचान पत्र उपलब्ध कराया गया। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, गार्बेज फ्रैक्ट्री सहित अन्य स्थानों पर ये गार्बेज सेग्रीगेटर के रूप में काम कर रहे हैं। गार्बेज सेग्रीगेटर के बच्चों को लेकर भी नगर निगम संजीदा है और अब उनके भविष्य को बेहतर बनाने को लेकर भी नगर निगम काम कर रहा है। कर्मचारियों के बच्चों का भविष्य संवारने की लिए नगर निगम की यह पहल वाकई काबिले तारिफ है।
नगर स्वास्थ अधिकारी डॉ. मिथलेश ने बताया कि नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर के निर्देशानुसार गार्बेज सेग्रीगेटर को मुख्यधारा से जोड़ने के साथ-साथ उनके बच्चों की बेहतरी के लिए भी काम किया जा रहा है। योजना बनाई गई है कि जहां भी अधिक संख्या में महिला गार्बेज सेग्रीगेटर काम कर रहे हैं वहां पर एक रैगी बाल गोपाल सेंटर बनाया जाये। रेत मंडी स्थित गार्बेज फैक्ट्री से इसकी शुरूआत की गई है। गार्बेज फैक्ट्री में शहर के विभिन्न हिस्सों से प्रतिदिन कई सौ मीट्रिक टन कूड़ा-कचरा पहुंचता है। फैक्ट्री परिसर में कूड़े को अलग-अलग कर निस्तारण की व्यवस्था की गई है। गार्बेज फैक्ट्री में 200 से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से अधिकांश गार्बेज सेग्रीगेटर हैं। गार्बेज सेग्रीगेटर कूड़े को छांट कर अलग-अलग करते हैं। इन गार्बेज सेग्रीगेटर के 30 से ज्यादा ऐसे बच्चे हैं, जिनकी उम्र 10 साल से कम हैं। माता-पिता दोनों के काम करने के कारण इनके छोटे बच्चों की देखरेख में अक्सर परेशानी आती है। गार्बेज फैक्ट्री में कार्यरत गार्बेज सेग्रीगेटर्स मजबूरीवश अपने इन बच्चों को साथ में रखते हैं। इन्हीं बच्चों को रहने को लेकर नगरायुक्त ने इंतजाम करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद इन नौनिहालों के भविष्य को बेहतर बनाने और उन्हें अपने माता पिता के पास रखने को लेकर यह इंतजाम किया गया है। फैक्ट्री परिसर में रैगी बाल गोपाल नामक प्ले स्कूल की शुरूआत की गई है। इस प्ले स्कूल में बच्चों के खेलने और रहने की व्यवस्था है। अब अन बच्चों के पढ़ाई की भी व्यवस्था कराई जा रही है। मसलन माता-पिता जब कूड़े की छंटाई का काम करेंगे, उस समय यह बच्चे सुरक्षित माहौल में यहां रहेंगे और पढ़ाई भी कर सकेंगे। गंदगी से दूर रहने से इन बच्चों का स्वास्थ्य भी प्रभावित नहीं होगा। प्ले स्कूल में केयरटेकर की तैनाती की गई है। बच्चों के स्वास्थ्य का भी समय-समय पर परीक्षण कराया जाएगा। गार्बेज फैक्ट्री में कैंटीन की भी व्यवस्था कराई गई है।
नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि गार्बेज सेग्रीगेटर ( रैगर्स ) के बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में नगर निगम ने प्रयास किए हैं। गार्बेज फैक्ट्री में बाल गोपाल सेंटर की स्थापना का असल मकसद वहां कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों को अच्छा माहौल उपलब्ध कराना है। रैगी बाल गोपाल सेंटर प्ले स्कूल में बच्चों के खेलकूद, शिक्षा एवं स्वास्थ्य को लेकर उचित इंतजाम किए गए हैं। नगर निगम के इस प्रयास से गार्बेज सग्रीगेटर भी बेहद प्रसन्न हैं। काम के दौरान वह बच्चों की चिंता से मुक्त हो गए हैं।