नोएडा से जुड़ा मिथक तोड़ने की हिम्मत जुटाने में अखिलेश यादव को लग गए 11 साल

नोएडा। समाजवादी पार्टी के मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शनिवार को नोएडा पहुंचे। करीब 11 साल बाद अखिलेश यादव का नोएडा की धरती पर कदम रखना राजनीतिक गलियारों में भी चर्चाओं में रहा। एक मिथक को तोड़ने में उन्हें इतना लंबा समय लग गया। नोएडा आगमन के दौरान उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ गर्म-जोशी से मुलाकात करने के साथ-साथ कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। अखिलेश से मुलाकात होने के बाद सपा कार्यकर्ताओं में भी उत्साह देखने को मिला। दरअसल नोए़डा के बारे में मिथक है जो भी यहां पर जाता है उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती है। नतीजन अखिलेश यादव वर्ष 2012 में सीएम पद पर बैठने के बाद निरंतर 11 साल तक नोएडा से दूरी बनाए रहे थे।

अखिलेश यादव 2012 से 2017 के बीच सीएम रहते समय कभी नोएडा नहीं आए थे। नोएडा के लिए अंधविश्वास माना जाता है कि जो भी वर्तमान मुख्यमंत्री यहां आता है, तो उसकी कुर्सी चली जाती है। हालांकि मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस अंधविश्वास को सीएम पद पर रहते कई बार तोड़ा है। जानकारों का कहना है कि अखिलेश यादव ने पिछले 11 साल में नोएडा की भूमि पर शनिवार को पहली बार कदम रखा। दरअसल नोएडा से जुड़े मिथक के पीछे कुछ घटनाएं भी हंै। 1980 से लेकर अब तक पांच बार ऐसा हो चुका है, जब यूपी के मुख्यमंत्रियों को नोएडा का दौरा करने के बाद अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।

अखिलेश भी इस अंधविश्वास को मानते रहे हैं। इसलिए अपनी सरकार जाने के बाद भी उन्होंने नोएडा का कभी रूख नहीं किया। 1980 में एनडी तिवारी नोएडा आए थे, और कुर्सी गंवा बैठे। इसी प्रकार 1988 में वीर बहादुर सिंह ने नोएडा का दौरा किया था। इसके कुछ दिन बाद उनकी कुर्सी चली गई थी। 1995 में मुलायम सिंह, 1997 में मायावती और 1999 में कल्याण सिंह के साथ भी यही हुआ था। 2011 में भी मायावती नोएडा आईं और 2012 में सत्ता से बाहर हो गईं थी। उधर, 11 साल बाद नोएडा पहुंचे अखिलेश यादव का कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया। अखिलेश यादव ने नोएडा के सेक्टर-121 में स्थित स्वर्गीय रघुवर प्रधान की प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद नोएडा विधानसभा से सपा प्रत्याशी रहे सुनील चौधरी के आवास पर जाकर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की।