रातों रात पैदा हो रहे हैं सूट बूट वाले सैकड़ों किसान जेवर क्षेत्र में संगठित तरीके से चल रहा है फर्जी किसान बनाने का खेल

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के दूसरे चरण से प्रभावित किसानों की संख्या सिर्फ 2 महीने में 2 हजार से अधिक बढ़ गई है। दो महीने पहले तक इस क्षेत्र में एयरपोर्ट परियोजना से प्रभावित होने वाले किसानों की संख्या 7,164 थी, जो कि अब बढ़कर करीब 9,000 के आसपास पहुंच गई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि जो लोग किसान बने हैं उनमें से अधिकांश ने खेती के लिए महज 10 वर्ग मीटर से लेकर 200 वर्गमीटर की जमीन खरीदी है। कुछ लोगों ने 500 और 1,000 वर्ग मीटर की जमीन भी खरीदी है। जमीन खरीदने वालों में जेवर क्षेत्र के कम और दिल्ली, गाजियाबाद, गुरूग्राम, फरीदाबाद, मेरठ, मुंबई, नोएडा, दादरी, ग्रेटर नोएडा सहित अलग-अलग क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। यह जमीन उस क्षेत्र में खरीदे गये हैं जहां जेवर एयरपोर्ट के दूसरे चरण को लेकर जमीन अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी हो चुका है। यानी जमीन अधिग्रहित होते ही जिस तेजी से किसान पैदा हुए उसी तेजी से खत्म भी हो जाएंगे। लेकिन इससे सरकार को जरूर सैकड़ों करोड़ रुपये का चूना लगेगा।

विजय मिश्रा ( उदय भूमि ब्यूरो )
ग्रेटर नोएडा।
 आपको सुनने में भले ही यह अटपटा लगे लेकिन सच्चाई है कि जेवर क्षेत्र में रातों रात सूट बूट वाले सैकड़ों किसान पैदा हो रहे हैं। जितनी जमीन में लोग एक कमरे का मकान नहीं बना सकते उससे भी कम जमीन खरीद कर लोग किसान होने का दर्जा हासिल करने में लगे हैं। जानकारी के मुताबिक सिर्फ पिछले दो महीने के दौरान ही जेवर एयरपोर्ट के आसपास के क्षेत्र में किसानों की संख्या 2000 से अधिक बढ़ गई है। संभव है कि अगले कुछ महीने में यह आंकड़ा काफी बढ़ जाये। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इतनी अधिक संख्या में लोग किसान क्यों बन रहे हैं और 10 मीटर का प्लाट खरीदकर किसान बनने के पीछे का क्या राज है? जानकार बता रहे हैं कि एक सोची सम­ाी साजिश के तहत फर्जी किसान पैदा किये जा रहे हैं जिससे कि विस्थापित के रूप में सरकार से मिलने वाले मुआवजा को हासिल किया जाये। फर्जी किसान बनने की इस प्रक्रिया को यदि तत्काल नहीं रोका गया सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
दरअसल गौतमबुद्ध नगर के जेवर क्षेत्र में एयरपोर्ट के आसपास किसान बनाने का खेला चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के दूसरे चरण से प्रभावित किसानों की संख्या सिर्फ 2 महीने में 2 हजार से अधिक बढ़ गई है। दो महीने पहले तक इस क्षेत्र में एयरपोर्ट परियोजना से प्रभावित होने वाले किसानों की संख्या 7,164 थी, जो कि अब बढ़कर करीब 9,000 के आसपास पहुंच गई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि जो लोग किसान बने हैं उनमें से अधिकांश ने खेती के लिए महज 10 वर्ग मीटर से लेकर 200 वर्गमीटर की जमीन खरीदी है। कुछ लोगों ने 500 और 1,000 वर्ग मीटर की जमीन भी खरीदी है। जमीन खरीदने वालों में जेवर क्षेत्र के कम और दिल्ली, गाजियाबाद, गुरूग्राम, फरीदाबाद, मेरठ, मुंबई, नोएडा, दादरी, ग्रेटर नोएडा सहित अलग-अलग क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। यह जमीन उस क्षेत्र में खरीदे गये हैं जहां जेवर एयरपोर्ट के दूसरे चरण को लेकर जमीन अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी हो चुका है। यानी जमीन अधिग्रहित होते ही जिस तेजी से किसान पैदा हुए उसी तेजी से खत्म भी हो जाएंगे। लेकिन इससे सरकार को जरूर सैकड़ों करोड़ रुपये का चूना लगेगा।
सूत्र बताते हैं कि जमीन की खरीद फरोख्त गलत मंशा से हो रही है और लोग कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं। जेवर एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहित होने पर प्रभावित किसान के रूप में सभी को मोटा मुआवजा मिलेगा। मुआवजा के अलावा प्रभावित व्यक्ति को नौकरी या एकमुश्त साढ़े 5 लाख रुपए नकद मिलने का प्रावधान है। दरअसल यह सभी लाभ भूमि अधिग्रहण कानून में रिहैबिलिटेशन एंड रिसेटेलमेंट के प्रावधान के तहत मिलेगा। प्रावधान है कि जमीन अधिग्रहण से प्रभावित प्रत्येक परिवार को एक भूखंड या आवास भी मिलेगा। यानी सिर्फ 10 वर्गमीटर का प्लाट खरीद कर लाखों रुपये का सरकारी लाभ मिलेगा। ऐसे में प्रशासनिक अमले को तत्काल इस खेल को खत्म करने के लिए प्रभावी कदम उठाना होगा।